कैंसर का हॉटस्पॉट बना फलेंडी गांव: 9 गांवों में सर्वें कर कैंसर का लगाया जाएगा पता

क़ासिम खान, स्वास्थ्य विभाग ने फील्ड में उतारी टीमें, निजामपुर, मालब, आकेड़ा, फलेंडी, टपकन, झारोखड़ी, बिछोर, रिगड़, सटकपुरी गांव में सर्वें करेंगी विभाग की टीमें।

Updated On 2025-11-03 18:23:00 IST

पत्रकारों को सर्वें की जानकारी देते सीएमओ डॉ. विकास सिंगला। 

हरियाणा के नूंह में गांव फलेंडी के कैंसर का हॉट स्पॉट बनने की जानकारी मिलने के बाद कैंसर का पता लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अपनी टीमों को मैदान में उतार दिया है। गांव में कैंसर से दंपत्ति व दो भाईयों सहित 20 से अधिक मौतों की खबर सामने आने के बाद जिला उपायुक्त ने 29 अक्टूबर को फलेंडी गांव में रात्रि ठहराव के दौरान स्वास्थ्य व जनस्वास्थ्य विभाग को गांव का सर्वे व पानी की जांच करने के आदेश दिए थे। फलेंडी सहित कई गांवों में पानी के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजने के बाद अब स्वास्थ्य विभाग ने सर्वे टीमों को फील्ड में उतार दिया है। स्वास्थ्य विभाग की टीम फलेंडी सहित नौ गांवों का सर्वे कर कैंसर की पता लगाएगी। सर्वें के लिए चुने गए गांवों में निजामपुर, मालब, आकेड़ा, फलेंडी, झारोखड़ी, बिछोर, सटकपुरी, टपकन, रिगड़ इत्यादि शामिल हैं। 


नूंह में एक साल में 2 दर्जन से अधिक मौत, दहशत

हरियाणा में नूंह के पुन्हाना खंड का फलेंडी गांव। आबादी करीब 8 हजार और 2300 मतदाता। गांव फलेंडी में कैंसर ग्रामीणों की जिंदगी पर कहर बनकर टूट रही है। पिछले एक साल में कैंसर अब तक करीब दो दर्जन लोगों को मौत की नींद सुला चुकी है। कैंसर से होने वाली मौतों के लगातार बढ़ रहे आंकड़े से ग्रामीणों में दशहत का माहौल है। इतना सब होने के बावजूद प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग इससे अनजान बना हुआ है, जिससे ग्रामीणों में कैंसर का खौफ भी बढ़ रहा है। गांव में रात्रि ठहराव के लिए पहुंचे जिला उपायुक्त के सामने जब यह मामला उठा तो उन्होंने जल्द ही गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम भेजने व जनस्वास्थ्य विभाग को गांव में पानी में सैंपल लेने का आश्वासन दिया। गांव में कैंसर से मरने वाले लोगों में दो सगे भाई व एक दंपति भी शामिल है।

हर मोहल्ले में कैंसर मरीज

गांव फलेंडी में कोई ऐसा मोहल्ला नहीं है, जहां कैंसर मरीज न हो यानी की गांव के हर मोहल्ले के किसी न किसी घर के सदस्य की कैंसर से मौत हो चुकी है। ग्रामीणों के अनुसार अब तक करीब 25 - 30 लोगों की मौत कैंसर से हो चुकी है, जबकि काफी लोग अभी भी कैंसर से जूझ रहे हैं। कुछ का इलाज गुरुग्राम, दिल्ली और जयपुर जैसे शहरों में चल रहा है। इनमें कई लोग तो ऐसे हैं, जो दिहाड़ी मजदूरी कर पेट पालते हैं। ऐसे में कई कैंसर मरीज जैसे - तैसे अपना इलाज कराते हुए धीरे - धीरे मौत के करीब जा रहे हैं। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि पहले कभी ऐसी बीमारी नहीं थी, लेकिन पिछले तीन - चार सालों से कैंसर के मामले अचानक तेजी से बढ़ने लगे हैं। अगर पिछले दो - तीन वर्ष की बात करें तो कैंसर से अभी तक 70 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

दूषित पानी माना जा रहा कारण

ग्रामीण इदरीश का कहना है कि गांव में पीने का पानी बेहद खराब गुणवत्ता का है। हैंडपंपों और नलों से निकलने वाला पानी कैंसर का मुख्य कारण हो सकता है। ग्रामीणों के मुताबिक फलेंडी गांव गुडगांव कैनाल और उजीना ड्रेन से सटा हुआ है। कैनाल का गंदा पानी नालियों और जमीन के जरिए भूजल में मिल रहा है। यही दूषित पानी बीमारी का सबसे बड़ा कारण हो सकता है। ग्रामीणों ने मांग की है कि सरकार तत्काल गांव के पानी और मिट्टी की जांच कराए ताकि असल कारण का पता लगाया जा सके। पिछले एक वर्ष में लगभग 25 लोगों की कैंसर के चलते मौत हुई है, जिसमें कई नौजवान लड़के थे ,जो अपने पीछे एक हंसता खेलता परिवार छोड़ गए। अब उस परिवार की देखरेख करने वाला कोई नहीं है।

एक-एक घर में कई मौत

फलेंडी गांव में सद्दीक एवं शब्बीर पुत्रान नसीर खान दोनों सगे भाई कैंसर की वजह से अब इस दुनिया में नहीं हैं। इसके अलावा सुल्तान पुत्र इसाक एवं उनकी पत्नी अख्तरी अब इस दुनिया में नहीं है। सबसे खास बात यह है कि एक ही परिवार के चार सगे भाई लियाकत, हनीफ, कय्यूम, अय्यूब पुत्रान जोरे खान अब इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह चुके हैं। सबसे खास बात यह है कि कैंसर के अंतिम स्टेज पर मौत व जिंदगी की जंग लड़ रहे यूनुस पुत्र झड़मल उम्र करीब 35 वर्ष की दो बेटी जवान हैं। घर की माली हालत अच्छी नहीं है। किसी समय भी दुनिया को अलविदा कह सकते हैं।

क्या कहता है स्वास्थ्य विभाग

डॉ विशाल सिंगला डिप्टी सिविल सर्जन ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि रात्रि ठहराव के दौरान उपायुक्त अखिल पिलानी ने गांव की सर्वे करने के आदेश दिए थे। डॉक्टरों की टीम गांव में सर्वे के लिए भेज दी गई है। पानी के सैंपल ले लिए गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा कि कैंसर फैलने की मुख्य वजह क्या है। उन्होंने कहा कि जल्दी ही गांव में लोगों की स्वास्थ्य जांच की जाएगी।

जिला पार्षद ने उठाई मांग

फलेंडी गांव जिला परिषद वार्ड नंबर 25 में आता है. इस वार्ड के पार्षद तौफीक, हिंगनपुर ने गांव में पहुंचकर कैंसर पीड़ित लोगों से मुलाकात की और सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द गांव में पानी के सैंपल लेकर तथा जांच शिविर लगाकर कैंसर का पता लगाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बड़ी तादाद में लोग कैंसर से मर चुके हैं और लगातार कैंसर के रोगियों की संख्या बढ़ रही है, जो चिंता का विषय है। फलेंडी गांव के लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर है। अधिकतर लोग खेती - बाड़ी के अलावा पशुओं का दूध बेचकर अपना गुजारा करते हैं। कैंसर की बीमारी सिर्फ एक मोहल्ले में नहीं बल्कि गांव में चारों तरफ कैंसर के मरीज हैं। कैंसर से मरने वालों तथा बीमारी की आयु 25 से लेकर 65 वर्ष तक है। इनमें महिलाएं भी शामिल हैं और अधिकतर लोगों में लंग्स का कैंसर बताया जा रहा है। धूम्रपान भी एक कारण हो सकता है, लेकिन कई लोग कैंसर की चपेट में आकर मर चुके हैं। जिन्होंने ग्रामीणों के मुताबिक कभी धूम्रपान को हाथ तक नहीं लगाया।

कहां-कहां होता है इलाज

हरियाणा के नूँह जिले में राजकीय शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कॉलेज है, लेकिन इसमें कैंसर रोगियों का इलाज नहीं होता है। लोग बाढसा एम्स झज्जर, एम्स दिल्ली के अलावा जयपुर तथा बीकानेर सहित देश के अलग - अलग शहरों में इलाज करने के लिए जाते हैं, लेकिन अभी तक अधिकतर रोगियों की कैंसर की वजह से मौत हुई है। कोई कैंसर से जंग जीत कर पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हुआ है। कैंसर का इलाज महंगा है और लोगों के पास इलाज कराने के लिए पर्याप्त रकम नहीं है। मजबूरी में कर्ज लेकर लोग इलाज कराने को मजबूर हैं। उनकी सबसे बड़ी चिंता यह है कि परिवार के कमाने वाले व्यक्ति की ही कैंसर से मौत हो गई तो उनके बच्चों के विवाह - शादी से लेकर लालन-पालन कैसे होगा। पडोसी गांव शाहचौखा में भी कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ रही है।

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