दिल्ली ब्लास्ट: 200 IED से कत्लेआम का प्लान फेल, फरीदाबाद-गुरुग्राम पुलिस ने नाकाम की 26/11 जैसी साजिश

इस आतंकी साजिश में AK-47 से सार्वजनिक स्थानों और अस्पतालों पर अंधाधुंध फायरिंग कर कत्लेआम करना था। अधिक से अधिक लोगों को हताहत करने के लिए फरीदाबाद में 2900KG विस्फोटक जमा किया था।

Updated On 2025-11-12 16:17:00 IST

दिल्ली ब्लास्ट में प्रयोग की गई हरियाणा नंबर की कार। 

दिल्ली में लाल किले के पास 10 नवंबर की शाम हुए ब्लास्ट की जांच में हरियाणा के फरीदाबाद और गुरुग्राम पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के सामने चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। इस व्हाइट कॉलर आतंकी मॉड्यूल की योजना सिर्फ एक धमाका करना नहीं थी, बल्कि यह मुंबई में 26/11 जैसे हमले की तर्ज पर देश के कई प्रमुख शहरों में एक साथ कत्लेआम करने की तैयारी में था।

हरियाणा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, इस मॉड्यूल का इरादा 200 से अधिक पावरफुल IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) तैयार करना था। इसी उद्देश्य से फरीदाबाद में 2900 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक सामग्री, टाइमर और बम बनाने के अन्य उपकरण जमा किए गए थे।

हाईप्रोफाइल टारगेट और अस्पतालों पर निशाना

आतंकियों की यह साजिश बेहद भयावह थी। जांच में पता चला है कि उनका मकसद सिर्फ बम धमाके करना नहीं था, बल्कि AK-56 और AK-47 जैसी राइफलों का इस्तेमाल कर सार्वजनिक स्थानों पर अंधाधुंध फायरिंग करके अधिकतम लोगों को मारना था।

साजिश के तहत एक साथ कई शहरों में धमाके और ताबड़तोड़ फायरिंग की जानी थी। आतंकियों के निशाने पर हाईप्रोफाइल सार्वजनिक स्थान और राजनीतिक हस्तियां थीं। सबसे खतरनाक बात यह थी कि हमलावरों ने अस्पतालों को भी निशाना बनाने की योजना बनाई थी। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि धमाके और फायरिंग के तुरंत बाद लोगों को मेडिकल सहायता न मिल पाए, जिससे अधिकतम क्षति (Maximum Casualty) हो। इस खुलासे के बाद गुरुग्राम पुलिस ने तत्काल प्रभाव से मुंबई 26/11 हमले जैसी सिक्योरिटी एसओपी (Standard Operating Procedure) तैयार कर ली है, जिसके तहत भीड़भाड़ वाले स्थानों से लेकर अस्पतालों तक की निगरानी बढ़ा दी गई है।

आतंकी साजिश के अहम खुलासे

डॉक्टरों और प्रोफेसरों वाले इस 'व्हाइट कॉलर आतंकी मॉड्यूल' की प्लानिंग पूरी तरह से पेशेवर थी। पुलिस जांच में हुए कुछ अहम खुलासे हुए हैं।

1. दिल्ली और यूपी थे टारगेट

पुलिस जांच में पता चला है कि इस आतंकी मॉड्यूल के निशाने पर सिर्फ देश की राजधानी दिल्ली ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश भी था। उनकी योजना दिल्ली में लाल किला, इंडिया गेट और कॉन्स्टिट्यूशन क्लब जैसी जगहों को निशाना बनाने की थी। वहीं, यूपी में धार्मिक स्थलों को खास तौर पर टारगेट किया जाना था, ताकि साम्प्रदायिक तनाव भड़काया जा सके।

2. फरीदाबाद क्यों बना बेस

आतंकी मॉड्यूल ने जानबूझकर अपना बेस फरीदाबाद को बनाया। अल-फलाह यूनिवर्सिटी में नौकरी करने के कारण, डॉक्टरों वाले इस समूह पर किसी को शक होने की गुंजाइश कम थी। यह डॉक्टरी प्रोफेशन की आड़ में साजिश रचने की एक सोची-समझी रणनीति थी।

3. विस्फोटक जमा करने के लिए 'सुरक्षित' स्थान

विस्फोटक जमा करने के लिए फतेहपुर तगा और धौज जैसे मुस्लिम बाहुल्य इलाकों को चुना गया ताकि बाहरी लोगों को शक न हो। धौज गांव के जिस घर से 360 किलोग्राम विस्फोटक मिला, उसके ऊपर सीमेंट का गोदाम था, जिससे देखने वालों को यह लगे कि शायद यह सीमेंट हो सकती है। वहीं फतेहपुर तगा में 2500 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक मौलवी इश्तियाक के घर में रखा गया था। मुस्लिम समाज में मौलवी के किराएदार पर शक न करने की सामान्य सामाजिक प्रवृत्ति का फायदा उठाया गया।

4. डबल गेट वाले कमरे का चयन

डॉ. मुजम्मिल ने फतेहपुर तगा में किराए पर कमरा लेते समय इस बात का ध्यान रखा कि उसमें दो गेट हों—एक बाहर की तरफ और दूसरा अंदर की तरफ। मुजम्मिल ने 2563 किलोग्राम विस्फोटक रखने के लिए बाहरी गेट का इस्तेमाल किया और पूछताछ किए जाने पर उसे 'खाद' बताकर टाल दिया।

5. तो इसलिए गुरुग्राम नंबर की कार का इस्तेमाल किया

जिस i20 कार में ब्लास्ट हुआ, वह गुरुग्राम नंबर (HR 26 CE 7674) की थी। यह कार इसलिए खरीदी गई थी ताकि दिल्ली, गुरुग्राम और फरीदाबाद के बीच आने-जाने में सुरक्षा एजेंसियों को शक न हो। गुरुग्राम से दिल्ली सैकड़ों लोग अप-डाउन करते हैं, इसलिए लोकल नंबर की कार से उन्हें आसानी से आवाजाही की छूट मिल गई।

गुरुग्राम पुलिस अलर्ट पर

इस टेरेरिस्ट मॉड्यूल के गुरुग्राम कनेक्शन की जांच DCP (हेडक्वार्टर) डॉ. अर्पित जैन लीड कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि गुरुग्राम पुलिस दिल्ली पुलिस और केंद्रीय जांच एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रही है। भीड़भाड़ वाली जगहों पर लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष एसओपी तैयार की गई है, जिससे किसी भी आतंकी हमले को नाकाम किया जा सके।


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