दिल्ली ब्लास्ट: अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन को दिल्ली पुलिस का समन, भाई गिरफ्तार, ED करेगी फंडिंग की जांच
जांच में खुलासा हुआ है कि आतंकी मॉड्यूल ने इस यूनिवर्सिटी का इस्तेमाल रेडिकलाइजेशन और लॉजिस्टिक कवर के लिए किया। आतंकियों के छिपने और योजना बनाने के खुलासे के बाद यूनिवर्सिटी पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी है।
दिल्ली ब्लास्ट के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन को दिल्ली पुलिस ने भेजा समन।
दिल्ली में हुए ब्लास्ट की जांच का केंद्र बिंदु अब हरियाणा के फरीदाबाद में स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी बन गया है। इस हाई-प्रोफाइल मामले में दिल्ली पुलिस ने यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी को समन भेजा है। सिद्दीकी को जालसाजी और धोखाधड़ी से जुड़े मामलों में पूछताछ के लिए बुलाया गया है। यूनिवर्सिटी पर आरोप है कि आतंकी मॉड्यूल ने इसे रेडिकलाइजेशन और लॉजिस्टिक कवर के तौर पर इस्तेमाल किया। यानी, यह यूनिवर्सिटी आतंकियों के छिपने और योजना बनाने का अड्डा बन गई थी।
चेयरमैन के भाई की गिरफ्तारी और फंडिंग की जांच
यूनिवर्सिटी की फंडिंग और वित्तीय लेनदेन की जांच करते हुए एक बड़ी गिरफ्तारी हुई है। चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी के भाई हमूद सिद्दीकी को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, यह गिरफ्तारी 25 साल पुराने फाइनेंशियल फ्रॉड केस में हुई है। जांच एजेंसियां इस बात की तफ्तीश कर रही हैं कि इस पुरानी धोखाधड़ी का दिल्ली ब्लास्ट केस या यूनिवर्सिटी की संदिग्ध फंडिंग से कोई संबंध है या नहीं। इस बीच इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) भी यूनिवर्सिटी को मिलने वाले हवाला फंड की जांच शुरू करने वाला है। ईडी की टीम जमीन के कागजात, पैसे से जुड़े रिकॉर्ड, हॉस्टल और प्रोफेसरों की भर्ती से जुड़ी जानकारी खंगालेगी।
आज हो सकती है यूनिवर्सिटी के अवैध हिस्से पर कार्रवाई
जांच एजेंसियों के दबाव और खुलासों के बीच आज यूनिवर्सिटी पर बड़ी कार्रवाई संभव है। रेवेन्यू विभाग ने उस पूरी जमीन का मुआयना किया है, जिस पर यूनिवर्सिटी बनी है। मुआयने में पाया गया है कि यूनिवर्सिटी का कुछ हिस्सा अवैध तरीके से बनाया गया है, जिसे आज तोड़ा जा सकता है। यह कार्रवाई यूनिवर्सिटी प्रशासन पर बढ़ते शिकंजे का एक और संकेत है।
यूनिवर्सिटी को अस्थाई कमांड कंट्रोल सेंटर बना लिया था
जांच में यह बात सामने आई है कि आतंकी मॉड्यूल ने यूनिवर्सिटी को एक तरह से अपना अस्थाई कमांड कंट्रोल सेंटर बना लिया था। यूनिवर्सिटी के डॉ. मुजम्मिल शकील और डॉ. शाहीन सईद ने पूछताछ में खुलासा किया कि आतंकी मॉड्यूल ने यहां युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और हथियार, विस्फोटक छिपाने तथा हमले की योजना बनाने के लिए इस परिसर का इस्तेमाल किया।
मुख्य आरोपी डॉ. उमर नबी (पुलवामा), डॉ. मुजम्मिल शकील (पुलवामा) और डॉ. शाहीन सईद (लखनऊ) ने कश्मीरी छात्रों को हिजाब और जिहाद के बारे में बताकर उकसाया। पकड़े गए एक मेडिकल छात्र ने बताया कि शाहीन ने उसे और दूसरे छात्रों को धर्म के बारे में गलत जानकारी दी।
लॉजिस्टिक्स और विस्फोटक कनेक्शन
आतंकी मॉड्यूल के लॉजिस्टिक हेड की भूमिका डॉ. मुजम्मिल शकील निभा रहा था। मुजम्मिल के किराए के दो कमरों से भारी मात्रा में 2900 किलोग्राम विस्फोटक बरामद हुआ है। उसने नूंह के खाद बेचने वालों से अमोनियम नाइट्रेट खरीदा था, जिसका इस्तेमाल धमाके में हुआ। दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के अनुसार, हवाला के जरिए जो रुपए आतंकियों को मिले थे, वे इसी रेडिकलाइजेशन कैंप और लॉजिस्टिक नेटवर्क के लिए इस्तेमाल किए गए थे।
मुजम्मिल, मुख्य आरोपी उमर का खास दोस्त था और वह एन्क्रिप्टेड ऐप्स के माध्यम से जैश-ए-मोहम्मद Jaish-e-Mohammed (JeM) के पाकिस्तानी हैंडलर्स से भी संपर्क में था।
FIR में शामिल डॉक्टर्स और अंडरग्राउंड आतंकी
जांच एजेंसियां अब डॉ. शाहीन और डॉ. मुजम्मिल को एक साथ बैठाकर पूछताछ करेंगी, ताकि उनके बयानों में सच्चाई का पता लगाया जा सके। एजेंसियों को कुल 22 डॉक्टरों और छात्रों पर इस मॉड्यूल में शामिल होने का शक है। चार गिरफ्तार डॉक्टरोंडॉ. आदिल, डॉ. शाहीन सईद, डॉ. मुजम्मिल और डॉ. उमर के मेडिकल रजिस्ट्रेशन रद्द किए जा चुके हैं। बताया गया है कि 15 डॉक्टर अभी भी अंडर ग्राउंड हैं।
दिल्ली में ब्लास्ट हुई i-20 कार आमिर अली के नाम पर रजिस्टर्ड थी, जिसे जांच एजेंसी 15 नवंबर को यूनिवर्सिटी परिसर में लेकर पहुंची थी। आमिर और उमर ने मिलकर ब्लास्ट की साजिश रची थी। जांच में यह भी पता चला कि आतंकी उमर नबी ने नूंह में अपने किराए के मकान के आसपास प्रतिबंधित पिस्टल छिपाई थी, लेकिन अमोनियम नाइट्रेट और अन्य हथियार ठिकाने नहीं लगा पाया था, जिनकी तलाश जारी है।
नौगाम थाने की घटना से मिला सबक
फरीदाबाद पुलिस ने पहले ही जम्मू-कश्मीर पुलिस को विस्फोटक सामग्री के बारे में सतर्क किया था, लेकिन जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जब्त सामग्री को नौगाम थाने में ही रख दिया, जिससे विस्फोट हो गया। इस घटना से सीख लेते हुए फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर सत्येंद्र कुमार ने सभी थाना इंचार्ज को आदेश दिया है कि वे अपने थानों में आग पकड़ने वाली चीजों जैसे जब्त किए गए पटाखे और गैस सिलेंडरों को अलग रखें।
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