दिल्ली ब्लास्ट: खाड़ी देशों से जुड़े तार, पाकिस्तानी हैंडलर से मिलने की फिराक में थी 'मैडम सर्जन'
शाहीन कथित तौर पर खाड़ी देशों की यात्राओं के दौरान NGO की आड़ में आतंकी फंडिंग जुटा रही थी। उसके अल फलाह यूनिवर्सिटी स्थित लॉकर से 18.50 लाख रुपये नकद और सोने के गहने मिले हैं, जिसकी जांच NIA कर रही है।
डॉ. शाहीन दिल्ली ब्लास्ट के बाद विदेश भागने की फिराक में थी।
दिल्ली में हुए हालिया ब्लास्ट की जांच में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को चौंकाने वाले तथ्य मिले हैं। जांच में सामने आया है कि आतंकी मॉड्यूल की प्रमुख आरोपी डॉ. शाहीन सईद, जिसे नेटवर्क के भीतर ‘मैडम सर्जन’ कोडनेम से जाना जाता था, ब्लास्ट के तुरंत बाद देश छोड़कर खाड़ी देशों में अपने पाकिस्तानी हैंडलर से मिलने की तैयारी कर रही थी।
लेकिन उसका नया पासपोर्ट समय पर तैयार नहीं हुआ, जिसके कारण वह फरार नहीं हो सकी और एनआईए के शिकंजे में आ गई। यह पूरा घटनाक्रम साफ करता है कि इस साजिश की जड़ें भारत से बाहर तक फैली थीं और इसका अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क बेहद सक्रिय था।
पासपोर्ट वेरिफिकेशन में देरी बनी रुकावट
जांच एजेंसियों के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डॉ. शाहीन ने दिल्ली ब्लास्ट से ठीक सात दिन पहले अपने नए पासपोर्ट के लिए वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी करवाई थी। उसकी योजना थी कि नया पासपोर्ट मिलते ही वह तत्काल खाड़ी देशों में चली जाएगी।
लेकिन, पुलिस द्वारा पासपोर्ट संबंधी रिपोर्ट समय पर जमा न करा पाने के कारण यह प्रक्रिया लंबित रह गई। इस तकनीकी देरी ने ही उसे देश से बाहर निकलने का मौका नहीं दिया और वह भारत में ही रही, जिसके चलते NIA उसे पकड़ पाई।
डॉ. शाहीन के पास पहले से दो पासपोर्ट थे, जिनका उपयोग करके उसने सालों तक खाड़ी देशों की यात्राएं की थीं। इन देशों में बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और दुबई शामिल हैं।
NGO की आड़ में जुटाया जाता था 'टेरर फंड'
डॉ. शाहीन सईद की संदिग्ध गतिविधियों का एक बड़ा केंद्र खाड़ी देश थे, जहां वह आतंकी नेटवर्क के लिए गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) की आड़ में फंड इकट्ठा कर रही थी। हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि दिल्ली ब्लास्ट के बाद वह पाकिस्तानी हैंडलर से किस खाड़ी देश में और किस विशिष्ट उद्देश्य से मिलने वाली थी।
जांच एजेंसी को डॉ. शाहीन और मॉड्यूल से जुड़े तीन संदिग्ध NGO के बैंक खातों में कई आपत्तिजनक लेन-देन मिले हैं। यह फंड इकट्ठा करने का तरीका दर्शाता है कि कैसे आतंकी संगठन अपनी गतिविधियों को छिपाने के लिए परोपकारी संस्थाओं का मुखौटा इस्तेमाल करते हैं।
लॉकर से मिले लाखों कैश और सोने की जांच
जांच के दौरान NIA ने फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी में डॉ. शाहीन के लॉकर से 18.50 लाख रुपये नकद के अलावा सोने के बिस्किट और अन्य गहने भी बरामद किए हैं। अब जांच एजेंसी इस बात की पड़ताल कर रही है कि इतनी बड़ी मात्रा में यह फंड कहाँ से आया और इसे किस तरह से इकट्ठा किया गया था।
सूत्रों के अनुसार इस राशि का इस्तेमाल स्थानीय समर्थन (लोकल सपोर्ट) जुटाने के लिए किया जा रहा था। अल फलाह अस्पताल में आने वाले गरीब और जरूरतमंद लोगों की आर्थिक मदद करके उन्हें आतंकी नेटवर्क में शामिल करने का प्रयास किया जा रहा था। इस तरह गरीबी और मदद की आड़ में स्थानीय लोगों को फंसाने की साजिश रची जा रही थी।
लखनऊ और कानपुर तक फैले नेटवर्क की निशानदेही
NIA अब लेडी आतंकी शाहीन को लेकर उसके गृहनगर कानपुर और उसके परिवार के ठिकानों लखनऊ का दौरा करेगी। शाहीन 2006 से 2013 तक कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में फार्माकोलॉजी की प्रवक्ता और विभागाध्यक्ष रही थी। यहीं रहते हुए वह संदिग्ध NGO के संपर्क में आई और खाड़ी देशों से फंड जुटाने लगी।
लखनऊ में उसके पिता और भाई रहते हैं जिनके घरों पर पहले भी छापेमारी की गई थी और वित्तीय लेन-देन की जांच की गई थी। शाहीन के छोटे भाई, डॉ. परवेज अंसारी को उत्तर प्रदेश एटीएस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। इन स्थानों पर शाहीन को ले जाकर उसकी निशानदेही और संपर्कों की गहन जांच की जाएगी।
जैश-ए-मोहम्मद की भारत इंचार्ज थी 'मैडम सर्जन'
सूत्रों के मुताबिक डॉ. शाहीन को आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) की महिला विंग 'जमात-उल-मोमिनात' का भारत में इंचार्ज बनाया गया था। उसके सभी साथी और JeM से जुड़े आतंकी उसे 'मैडम सर्जन' कोडनेम से ही जानते थे। उसकी डायरी से JeM नेटवर्क का विस्तृत ब्यौरा मिला है। इस मॉड्यूल का उद्देश्य कथित तौर पर युवा और दुबली-पतली लड़कियों को भर्ती करके उन्हें हमलों के लिए तैयार करना था।
NIA रिमांड में बढ़ी संदिग्धों की अवधि
शनिवार को दिल्ली की पटियाला कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए ब्लास्ट में गिरफ्तार आरोपी मुजम्मिल, मुफ्ती इरफान, डॉ. शाहीन सईद और आदिल की रिमांड अवधि को 10 दिनों के लिए बढ़ा दिया है। ये सभी संदिग्ध अब NIA की रिमांड में रहेंगे, जहां उनकी फंडिंग, पूरी प्लानिंग और विदेशी लिंक की जांच को और गति दी जाएगी। यह जांच जल्द ही इस अंतरराष्ट्रीय आतंकी मॉड्यूल से जुड़े सभी रहस्यों से पर्दा उठा सकती है।
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