साबरमती की तरह बनेगा यमुना रिवर फ्रंट: दिल्ली सरकार ने बनाई रणनीती, यमुना की सुरक्षा करेगी सेना

Yamuna River: दिल्ली में साबरमती रिवर फ्रंट की तरह अब यमुना रिवर फ्रंट तैयार किया जाएगा। इसके लिए दिल्ली सरकार ने रणनीति तैयार कर ली है। अब यमुना की सफाई के लिए ईटीएफ सेना तैनात की जाएगी। 

Updated On 2025-03-10 15:32:00 IST
साबरमती नदी की तरह बनेगा यमुना रिवर फ्रंट।

Yamuna River: दिल्ली में यमुना की सफाई का मुद्दा न केवल पर्यावरण की दृष्टि से बल्कि राजनीति की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इसे लेकर आम आदमी पार्टी की सरकार को दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा और दिल्ली की सत्ता से हाथ धोना पड़ा तो वहीं भाजपा को जीत मिली। चुनाव जीतने के बाद से ही भाजपा ने युमना की सफाई को गंभीरता से लिया है और इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। वहीं अब दिल्ली सरकार ने यमुना की सुरक्षा को लेकर ठोस कदम उठाने का निर्णय लिया है, जिसमें सेना की मदद शामिल है।

साबरमती रिवर फ्रंट की तरह बनेगा यमुना रिवर फ्रंट

दरअसल, दिल्ली में साबरमती रिवर फ्रंट की तरह यमुना को विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। इससे नदी की सुंदरता बढ़ेगी और साथ ही स्थानीय लोगों के लिए ये आकर्षण का केंद्र बनेगा। तीन सालों के अंदर यमुना को साफ करने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य में नदी की सफाई और संरक्षण कराना शामिल है। इसके अलावा दिल्ली सरकार ने यमुना की सुरक्षा के लिए सेना से मदद लेना का प्रस्ताव तैयार किया है। 

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यमुना नदी की सुरक्षा करेगी सेना 

दिल्ली सरकार यमुना की सुरक्षा के लिए इको टास्क फोर्स (ईटीएफ) का गठन करेगी जो नदी की सफाई और सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस पर दिल्ली के जल, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण मंत्री प्रवेश वर्मा ने कहा है कि भाजपा सरकार यमुना को निर्मल और अविरल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह केवल नदी की सफाई का मामला नहीं है बल्कि इसके डूब क्षेत्र में अतिक्रमण और खनन माफिया को रोकना भी आवश्यक है। इससे न केवल नदी की स्थिति सुधरेगी बल्कि स्थानीय निवासियों के जीवन स्तर में भी सुधार होगा। उन्होंने आगे कहा कि यमुना नदी में औद्योगिक कचरा, कूड़ा और मलबा डालने वाले लोगों को रोकना भी बेहद जरूरी है।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा यमुना की सफाई को दिया जाएगा बढ़ावा

बता दें कि 2023 की शुरुआत में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा यमुना की सफाई को बढ़ावा देने के लिए प्रादेशिक सेना (टीए) की तैनाती की गई थी। हालांकि कुछ महीनों बाद इसे वापस बुला लिया गया था। उस समय अधिकारियों ने यमुना और नजफगढ़ नाले की निगरानी के लिए प्रादेशिक सेना की बटालियन गठित करने का प्रस्ताव दिया था।

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