Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला... ज्यूडिशियल सर्विस के लिए 3 साल की वकालत को जरूरी बताया

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई, जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने यह फैसला दिया है। लॉ क्लर्क के रूप में प्रैक्टिस को भी 3 वर्ष के अनुभव की शर्त में गिना जा सकता है। पढ़ें रिपोर्ट...

Updated On 2025-05-20 12:32:00 IST

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: तेज रफ्तार और लापरवाही से हुए एक्सीडेंट में नहीं मिलेगा बीमा मुआवजा

सुप्रीम कोर्ट ने ज्यूडिशयल सर्विस को लेकर अहम फैसला दिया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई, जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने ज्यूडिशियल सर्विस में शामिल होने के लिए तीन साल की वकालत को अनिवार्य कर दिया है। पीठ ने कहा है कि पिछले 20 सालों का अनुभव बताता है कि बार में एक दिन की प्रैक्टिस किए बिना न्यायिक अधिकारियों के रूप में लॉ ग्रेजुएट की नियुक्ति की गई, जो कि सफल अनुभव नहीं रहा है। ऐसे में नए लॉ ग्रेजुएट ने कई समस्याओं को उत्पन्न कर दिया है। ऐसे में कोर्ट ने माना कि ज्यूडिशियल सर्विस में शामिल होने के लिए 3 साल तक वकालत का अनुभव होना चाहिए। खास बात है कि लॉ क्लर्क के रूप में प्रैक्टिस को भी 3 वर्ष के अनुभव की शर्त में गिना जा सकता है।

यह आदेश भविष्य की भर्तियों पर लागू होगा

कई नए लॉ ग्रेजुएट ज्यूडिशियल सर्विस में प्रवेश करने के इच्छुक रहते हैं। लेकिन, वकालत का अनुभव न होने के कारण कानूनी फैसलों में पेचिदगियां आती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें परेशानियों का जिक्र करते हुए ज्यूडिशियल सर्विस में प्रवेश के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण निर्णय, लेकिन शर्त भी बहाल कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ज्यूडिशियल सर्विस में शामिल होने के लिए बतौर तीन साल की वकालत का अनुभव होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि प्रैक्टिस की अवधि अनंतिम नामांकन की तिथि से मानी जा सकती है। इसके अलावा, यह शर्त भविष्य की भर्तियों पर ही लागू होगी।

उम्मीदवारों को जज की बारीकियां को समझना जरूरी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जज का कार्यभार संभालने के साथ ही वादियों के जीवन, स्वतंत्रता, संपत्ति और प्रतिष्ठा जैसे मुद्दों को निपटाते हैं। यह न तो कानून की किताबों पर आधारित ज्ञान, न प्री सर्विस ट्रेनिंग न्यायालय प्रणाली और न ही न्याय प्रशासन के कामकाज के प्रत्यक्ष अनुभव का पर्याप्त विकल्प हो सकता है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि यह तभी संभव होता है, जब उम्मीदवारों के पास अनुभव हो कि वकील और जज किस तरह से कार्य करते हैं। उम्मीदवारों को जज के कार्यों को बारीकियों से सुसज्जित होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि हम सभी हाईकोर्ट से सहमत हैं कि उम्मीदवारों को कुछ निश्चित वर्षों के अभ्यास की आवश्यकता है। ऐसे में ज्यूडिशयल सर्विस में शामिल होने के लिए तीन साल के वकालत का अनुभव अवश्य होना चाहिए। 

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