Supreme Court on Stray Dogs: आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, जारी किए ये 5 आदेश

Supreme Court on Stray Dogs: सुप्रीम कोर्ट ने कुत्तों को पकड़ने और उन्हें शेल्टर में रखने समेत तमाम निर्देश जारी किए हैं। साथ ही ये भी कहा है कि अगर कोई ऐसा करने से रोकता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

Updated On 2025-08-11 15:07:00 IST

आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिए सख्त आदेश।

Supreme Court on Stray Dogs: दिल्ली-एनसीआर में कुत्तों के काटने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। बीते दिनों एक रिपोर्ट जारी हुई, जिसमें बताया गया कि पिछले सात महीनों में कुत्तों के काटने के 1 लाख 8 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं। वहीं हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कुत्ते के काटने से एक बच्चे की मौत पर स्वत: संज्ञान लेते हुए निर्देश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार, MCD और NDMC को आदेश दिया है कि इन कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में रखा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये फैसला जनता की सुरक्षा को देखते हुए लिया गया है। इस मामले में किसी तरह की भावनाओं को जगह नहीं दी जाएगी।

जानकारी के अनुसार, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन ने सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार, एनडीएमसी और एमसीडी को आदेश दिया कि दिल्ली-एनसीआर के इलाकों से आवारा कुत्तों को डॉग शेल्टर पहुंचाया जाए। साथ ही कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर कोई व्यक्ति या संगठन आवारा कुत्तों को पकड़ने से रोकता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अगर जरूरत पड़े, तो अधिकारी बल प्रयोग भी कर सकते हैं। कोर्ट ने कुत्तों के काटने से होने वाली रेबीज को लेकर चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि आवारा कुत्तों को सार्वजनिक जगहों पर नहीं छोड़ना चाहिए केवल शेल्टर में ही रखा जाना चाहिए।

कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए कहा कि किसी भी कीमत पर बच्चों को रेबीज का शिकार नहीं होना चाहिए। उनमें विश्वास होना चाहिए कि वो आवारा कुत्तों के डर के बिना आजादी से घूम सकते हैं।

साथ ही कोर्ट ने आवारा कुत्तों की नसबंदी करने के बाद उन्हें उसी इलाके में छोड़ने पर सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि चाहे कुत्तों की नसबंदी हुई हो या नहीं। समाज आवारा कुत्तों से मुक्त होना चाहिए। हमने आपका अनुचित और बेतुका नियम देखा है कि आप कुत्तों को जिस इलाके से उठाते हैं, नसबंदी के बाद वहीं छोड़ देते हैं। ये बेतुकी बात है, इसका कोई मतलब नहीं है कि आवारा कुत्ता फिर से उसी इलाके में चला जाए, ऐसा क्यों?

बेंच ने स्थिति को गंभीर बताते हुए कहा कि रेबीज होने की समस्या से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए। इस पर दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने कहा कि नसबंदी से कुत्तों की संख्या में वृद्धि रुकती है, रेबीज फैलने का खतरा कम नहीं होता। उन्होंने कहा कि हमने यूट्यूब पर देखा है कि कुत्तों के काटने से होने वाली रेबीज के कारण बच्चे मर रहे हैं। डॉक्टर कहते हैं हमारे पास रेबीज का कोई इलाज नहीं है। माता-पिता बेबस होकर रो रहे हैं और वो कुछ नहीं कर पा रहे।

बेंच ने वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल और एसजी तुषार मेहता की दलीलें सुनने के बाद निम्नलिखित आदेश पारित किए-

  • बेंच ने दिल्ली-एनसीआर, एमसीडी और एनडीएमसी को निर्देश दिया कि कुत्तों के लिए आश्रय स्थल बनाए जाएं। 8 सप्ताह के अंदर बुनियादी ढांचा तैयार करें और रिपोर्ट दें। कुत्तों के लिए बनाए जाने वाले आश्रय केंद्रों में कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के लिए पर्याप्त कर्मचारी रखें। कुत्तों की निगरानी के लिए सीसीटीवी फुटेज लगाई जाएगी।
  • समय के साथ कुत्ता आश्रय स्थलों को बढ़ाया जाए। 5 से 8 सप्ताह में 5000 कुत्तों के लिए आश्रय की शुरुआत की जानी चाहिए। जल्द सभी जगहों से कुत्तों को उठाने की प्रक्रिया शुरू की जाए। कोई भी संस्था अगर कुत्तों को पकड़ने में परेशानी पैदा करे, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बच्चे किसी भी कीमत पर रेबीज के शिकार नहीं होने चाहिए। बच्चों के अंदर विश्वास होना चाहिए कि वे आवारा कुत्तों के डर के बिना सड़कों पर घूम सकते हैं।
  • एमसीडी, एनडीएमसी, नोएडा और गुरुग्राम से संबंधित सभी प्राधिकारियों को निर्देश दिया जाता है कि वे रोजाना पकड़े गए कुत्तों का रिकॉर्ड रखें। एक भी आवारा कुत्तों को नहीं छोड़ा जाना है। अगर हमें पता चला कि कुत्तों को छोड़ा गया है, तो हम कड़ी कार्रवाई करेंगे।
  • कुत्तों के काटने और रेबीज के मामलों की सूचना देने के लिए एक सप्ताह के अंदर हेल्पलाइन बनाएं। शिकायत मिलने के 4 घंटे के अंदर कुत्ते को उठा लेना है। उस कुत्ते की नसबंदी की जाए और उसे छोड़ा नहीं जाए।
  • साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने टीके की उपलब्धता पर चिंता व्यक्त करते हुए निर्देश दिया कि उपलब्ध टीकों, टीकों के स्टॉक और टीके मांगने वाले व्यक्तियों की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराएं।

वहीं सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा पीपल फॉर एनिमल्स के ट्रस्टी की तरफ से बोलने की कोशिश की, तो बेंच ने उसे अस्वीकार कर दिया। बेंच ने कहा कि इस तरह के मुकदमों में किसी तरह की भावनाओं को शामिल नहीं किया जाना चाहिए।

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