नोएडा में आवारा कुत्तों का आतंक: 7 महीनों में 18 लाख से ज्यादा लोगों को बनाया शिकार, डरा रहे आंकड़े
Dog Bite Cases in Noida: नोएडा में कुत्तों के काटने के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। बीते 7 महीनों में 1 लाख 8 हजार मामले सामने आ चुके हैं। केवल जुलाई के महीने में ही 18 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं।
नोएडा में कुत्तों के काटने के मामले।
Dog Bite Cases in Noida: दिल्ली-एनसीआर में कुत्तों के काटने के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। इनमें सबसे ज्यादा नोएडा में कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है। आए दिन सोसायटी, गांव और सड़कों पर कुत्तों के काटने की वीडियो वायरल होती हैं, जो बेहद डरावनी होती हैं। हालांकि कई इलाके तो ऐसे हैं, जहां कुत्तों के कारण लोगों ने अपने आने-जाने का रास्ता तक बदल दिया है।
वहीं हाल ही में नोएडा में कुत्तों के काटने के मामलों का आंकड़ा सामने आया, जो बेहद डराने वाला है। आंकड़ों के अनुसार, बीते 7 महीनों में पालतू और आवारा कुत्तों के काटने के 1 लाख 8 हजार मामले सामने आ चुके हैं। इस आंकड़े के सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग भी सतर्क हो गया है।
जानकारी के अनुसार, जिला अस्पताल और अन्य सरकारी संस्थानों में एंटी रैबिज वैक्सीन लगवाने वालों की संख्या में भारी इजाफा देखा गया है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, जनवरी से मई के बीच 69,188 केस दर्ज किए गए। जून और जुलाई के महीने में कुत्तों के काटने के मामलों में जबरदस्त उछाल देखा गया। इनमें सिर्फ जुलाई की महीने में 18,000 से ज्यादा केस सामने आए हैं।
नोएडा के कई सेक्टरों और ग्रामीण इलाकों में आवारा कुत्तों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गई। कुत्तों की संख्या बढ़ने के साथ ही उनके काटने के मामले भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कई बार इस समस्या को लेकर डॉग लवर्स और आम नागरिकों के बीच टकराव की स्थिति भी देखने को मिल चुकी है। बता दें कि बीते दो महीनों में कुत्तों के साथ-साथ बंदरों और बिल्लियों के काटने के 32,000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं।
डिप्टी सीएमओ डॉ. टीकम सिंह ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अब तक जिले में 1.08 लाख डॉग बाइट केस दर्ज किए गए हैं। जिले के लगभग सभी सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबिज इंजेक्शन की मांग बढ़ी है। इंजेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। लोगों को समय पर उपचार दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि डॉग बाइट की घटनाओं की लगातार रिपोर्टिंग और जनजागरुकता अभियान के तहत इंजेक्शन लगवाने के लिए जागरुक करने के कारण भी मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है।