RSS Centenary Celebration: दिल्ली में आरएसएस का शताब्दी समारोह, PM मोदी ने जारी किया स्पेशल डाक टिकट और सिक्का
RSS Centenary Celebration: दिल्ली के डॉ. आम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आरएसएस का शताब्दी समारोह आयोजित हुआ। इस दौरान पीएम मोदी ने एक विशेष रूप से डिजाइन किया गया स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया।
RSS के शताब्दी समारोह में पीएम मोदी ने स्पेशल डाक टिकट और सिक्का जारी किया।
RSS Centenary Celebration: राजधानी दिल्ली में बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी समारोह आयोजित हुआ। डॉ. आम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। इस अवसर पर पीएम मोदी ने विशेष रूप से डिजाइन किया हुआ स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया, जो राष्ट्र के प्रति आरएसएस के योगदान को रेखांकित करता है।
शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पूज्य डॉ. हेडगेवार और अनेक संघ कार्यकर्ताओं ने आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। डॉ. हेडगेवार स्वयं नागपुर जेल में बंद थे। पीएम ने कहा कि संघ ने अनेक स्वतंत्रता सेनानियों का समर्थन जारी रखा और उनके संघर्ष में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा।
पीएम ने जारी किया 100 का सिक्का
पीएम मोदी ने आरएसएस के शताब्दी समारोह में विशेष रूप से डिजाइन किया गया स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया। उन्होंने कहा कि इस 100 रुपये के सिक्के के एक ओर राष्ट्रीय प्रतीक है, वहीं सिक्के के दूसरी तरफ भारत माता की छवि है, जो सिंह पर वरद मुद्रा में विराजमान हैं और स्वयंसेवक समर्पण के साथ उनके सामने नतमस्तक हैं।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह पहली बार है कि हमारी मुद्रा पर भारत माता की छवि दिखाई गई है। विशेष डाक टिकट का भी अपना महत्व है। उन्होंने कहा कि 1963 में आरएसएस स्वयंसेवकों ने भी गणतंत्र दिवस परेड में गर्व से भाग लिया था। इस डाक टिकट पर उस ऐतिहासिक क्षण की छवि है।
पंजाब-हिमाचल त्रासदी में स्वयंसेवकों ने की मदद
आरएसएस के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 1984 में सिख नरसंहार के दौरान कई सिख परिवारों ने आरएसएस स्वयंसेवकों के घरों में शरण ली थी। उन्होंने कहा कि यह स्वयंसेवकों का स्वभाव है। पीएम ने आगे कहा कि जब पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी नागपुर आए थे, तो वे आरएसएस की सादगी और समर्पण से बहुत प्रभावित हुए थे।
उन्होंने कहा कि पंजाब में बाढ़ और हिमाचल, उत्तराखंड और वायनाड में आई त्रासदियों के दौरान स्वयंसेवक सबसे पहले पहुंचे और लोगों की मदद की। इसके अलावा दुनिया ने कोविड महामारी के दौरान आरएसएस के साहस और सेवा को भी देखा।
आरएसएस के खिलाफ रचा गया षड्यंत्र
पीएम मोदी ने आरएसएस के शताब्दी समारोह में कहा कि आरएसएस को निशाना बनाकर उसके खिलाफ षड्यंत्र रचे गए। स्वतंत्रता के बाद भी आरएसएस को कुचलने के प्रयास किए गए। उन्होंने कहा कि आरएसएस को मुख्यधारा में आने से रोकने के लिए अनगिनत षड्यंत्र किए गए। पीएम मोदी ने आगे कहा कि परमपूज्य गुरुजी डॉ. हेडगेवार को झूठे केस में फंसाया गया, उन्हें जेल तक भेज दिया गया। जब पूज्य गुरुजी जेल से बाहर आए, तो उन्होंने सहज रूप से कहा और शायद इतिहास में सहज भाव एक बहुत बड़ी प्रेरणा है। उन्होंने सहजता से कहा था कि कभी-कभी जीभ दांतों के नीचे आकर दब जाती है, कुचल भी जाती है, लेकिन हम दांत नहीं तोड़ देते हैं, क्योंकि दांत भी हमारे हैं और जीभ भी हमारी है।
पीएम ने कहा कि संगठन के विरुद्ध तमाम प्रतिबंधों और षड्यंत्रों के बावजूद, आरएसएस में कभी किसी के प्रति कटुता की कोई जगह नहीं रही, क्योंकि हम जानते हैं कि हम समाज से अलग नहीं हैं, बल्कि उसका एक हिस्सा हैं। आरएसएस स्वयंसेवकों का देश की संवैधानिक संस्थाओं में अटूट विश्वास है।
युद्ध के दौरान संघ का योगदान
आरएसएस के शताब्दी समारोह के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि दूसरों का बोझ उठाना और उनके दुखों को कम करना हमेशा से ही प्रत्येक स्वयंसेवक की पहचान रही है। 1962 के युद्ध के दौरान संघ के स्वयंसेवक सेना की सहायता करने और उनका मनोबल बढ़ाने के लिए दिन-रात खड़े रहे और सीमावर्ती गांवों तक मदद पहुंचाई। इसके अलावा 1971 में जब पूर्वी पाकिस्तान से शरणार्थी आए, तो स्वयंसेवकों ने सीमित संसाधनों के बावजूद उन्हें भोजन, आश्रय और चिकित्सा सहायता प्रदान की।
देश की एकता को तोड़ने की साजिश
पीएम ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, 'आज के समय की चुनौतियां और संघर्ष अलग हैं। दूसरे देशों पर आर्थिक निर्भरता, हमारी एकता को तोड़ने की साजिशें, जनसांख्यिकी बदलने की साजिश है। पीएम ने कहा, 'मुझे संतुष्टि है कि हमारी सरकार इन सभी मुद्दों से प्रभावी ढंग से निपट रही है।'