Anti Sikh Riots: 1984 के सिख विरोधी दंगे, मंत्री हरदीप सिंह पुरी बोले- कांग्रेस ठीक से माफी मांगे
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि 1984 में आज का दिन सबसे काले दिनों में से एक है। यह कोई दंगा नहीं था... यह अपने घरों में बैठे निर्दोष और कमजोर लोगों की निर्मम हत्या थी।
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कांग्रेस पर साधा निशाना।
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दिल्ली में 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस से जवाब सुनना चाहूंगा। मैं इंतजार कर रहा था कि कोई हरमंदिर साहिब, दरबार साहिब जाए और कम से कम ठीक से माफी मांगे। मैंने इतने सालों में ऐसा नहीं देखा। उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस पार्टी के लोगों को 1984 की उस दिन की घटनाओं पर गंभीरता से आत्मचिंतन करना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आज एक्स पर 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर पोस्ट शेयर की थी। मीडिया ने जब इस पोस्ट पर बात की तो जवाब दिया कि 1984 की बात करें तो यह दिन सबसे काले दिनों में से एक है। यह कोई दंगा नहीं था... यह अपने घरों में बैठे निर्दोष और कमजोर लोगों की निर्मम हत्या थी। जो लोग लोकतंत्र, मतदाता सूची तैयार करने और कानून-व्यवस्था के लिए जिम्मेदार थे, उन्होंने मतदाता सूची का इस्तेमाल करके मेरे समुदाय, सिख समुदाय के घरों में जाकर, बाहर कोयले के बोर्ड लगा दिए और फिर घरों को जला दिया गया और लोगों को बाहर निकाला गया।
उन्होंने कहा कि यह 1947 के बाद के हमारे इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक था। उस समय सत्ता में कौन था? एक राजनीतिक दल जिसने दावा किया था कि उसने देश के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया है। हो सकता है कि उन्होंने ऐसा किया हो, लेकिन अगर आप योगदान को भी देखें, तो यह एक ऐसा राजनीतिक दल है, जिसने स्वतंत्रता संग्राम, 1947 और 1947 के बाद के इतिहास को अपने परिवार के संदर्भ में लिखने की कोशिश की है... उन्होंने सरदार पटेल को इतिहास में जगह नहीं दी। उन्होंने अंबेडकर को इतिहास में जगह नहीं दी... वे सीधे श्रेय नहीं देते। जहां इसका स्थान है, मोहनदास करमचंद गांधी..."
उन्होंने कहा कि आज हर अल्पसंख्यक समुदाय फल-फूल रहा है। भाजपा तुष्टिकरण की राजनीति नहीं करती, कांग्रेस अल्पसंख्यक समुदायों तक पहुंचती है, उन्हें शह देती है और फिर उनके साथ ऐसा करती है। मुझे लगता है कि आज कांग्रेस पार्टी के लोगों को 1984 की उस दिन की घटनाओं पर गंभीरता से आत्मचिंतन करना चाहिए।
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