'सुप्रीम जांच' को चुनौती: 'कैश बता नहीं पाए...', सुप्रीम कोर्ट पहुंचे जस्टिस यशवंत वर्मा ने दिए 5 बड़े तर्क
केंद्र सरकार की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी कर रही है, वहीं दूसरी तरफ वे सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं।
जस्टिस यशवंत वर्मा पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ केंद्र सरकार की ओर से महाभियोग की तैयारी चल रही है। इस बीच जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। उन्होंने उस रिपोर्ट को चुनौती दी है, जिसके आधार पर उनके खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी है। उन्होंने इसके लिए कई दलीले रखी हैं। नीचे पढ़िये 5 बड़े क्या तर्क दिए...
पहला तर्क- मीडिया ट्रायल हुआ
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जस्टिस यशवंत वर्मा ने पहला आरोप लगाया है कि उनके लगे आरोपों को सार्वजनिक किया गया, जिसकी वजह से उनका मीडिया ट्रायल हुआ। इससे न केवल छवि खराब हुई, बल्कि करिअर पर भी असर पड़ा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच की ओर से तय नियमों का भी इसी तरह जानकारी सार्वजनिक करके उल्लंघन किया।
दूसरा तर्क- एक्शन की पावर नहीं
जस्टिस वर्मा ने दूसरी दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1999 में जस्टिस के खिलाफ शिकायतों के निपटने के लिए अपनाने वाली इन हाउस प्रक्रिया अनुचित रूप आत्म नियमन के तय दायरे से बाहर चली जाती है। यही नहीं जस्टिस वर्मा ने चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट की पावर तक पर भी सवाल खड़े कर दिए। कहा कि सुप्रीम कोर्ट या चीफ जस्टिस के पास अपने जजों या हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के खिलाफ एक्शन लेने की पावर नहीं दी गई है।
तीसरा तर्क- गवाहों के बयानों की रिकॉर्डिंग नहीं
जस्टिस वर्मा ने पांचवां तर्क दिया कि मेरे खिलाफ किसी प्रकार की औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं हुई। जांच समिति ने गवाहों के बयानों को भी अपने हिसाब से दर्ज किया। तय नियमों के मुताबिक गवाहों के बयानों की वीडियो रिकॉर्डिंग होनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि जांच समिति ने सीसीटीवी फुटेज भी नहीं ली।
चौथा तर्क- बताया नहीं कितना कैश मिला
जस्टिस वर्मा ने तर्क दिया कि अगर उनके खिलाफ आधार यह बताया कि उनके घर कैश पाया गया, लेकिन यह नहीं बताया कि कितना कैश बरामद हुआ। उन्होंने कहा कि जांच समिति यह भी बताने में विफल साबित हुई कि यह कैश कहां से और कितना आया था।
पांचवां तर्क- पक्ष रखने का वक्त तक नहीं दिया
उन्होंने दलील दी कि फाइनल रिपोर्ट की समीक्षा के लिए वक्त तक नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि मुझे चीफ जस्टिस या वरिष्ठ जज के समक्ष पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए। उसके बाद ही महाभियोग जैसी सिफारिश होनी चाहिए।
बता दें कि जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आवास पर बड़े पैमाने में कैश मिला था। घटना 14 मार्च की थी, जब जस्टिस के घर आग लगी थी। आग बुझाने गई टीमों को स्टोर रूम से भारी संख्या में नोटों के बंडल बरामद हुए थे। कई बंडल पूरी तरह से जल गए थे। केंद्र सरकार जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए सभी दलों से सहमति बनाई जा रही है।