Doctor Terror Module: श्रीनगर के एक पोस्टर से कैसे खुलती गईं डॉक्टर टेरर मॉड्यूल की परतें, जानें कब-क्या हुआ?

Delhi Blast- Doctor Terror Module: श्रीनगर में चिपकाए गए एक पोस्टर ने आतंकी मामलों में डॉक्टरों के जुड़े होने की लिंक दे दी। दिल्ली विस्फोट में भी 'डॉक्टर टेरर मॉड्यूल' का ही नाम आया है। जानिए इस पूरे घटनाक्रम की टाइमलाइन...

Updated On 2025-11-13 13:01:00 IST

डॉक्टर टेरर मॉड्यूल के भंडाफोड़ की पूरी टाइमलाइन।

Doctor Terror Module Busted Timeline: दिल्ली में सोमवार, 10 नवंबर को लाल किला के पास हुए कार धमाके ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस ब्लास्ट के पीछे जैश से जुड़े आतंकी मॉड्यूल का हाथ बताया जा रहा है। पकड़े गए लगभग सभी आतंकी पेशे से डॉक्टर हैं, इसीलिए इन्हें 'डॉक्टर टेरर गैंग' कहा जा रहा है। टेरर गैंग के इस खुलासे में श्रीनगर में चिपकाए गए पोस्टर की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। इस बीच दिल्ली, फरीदाबाद से जम्मू-कश्मीर तक छापेमारी जारी है।

इस आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में एक इलाके में दीवार पर लगे पोस्टर के जरिए हुआ। इस पोस्टर से मिले संकेतों के माध्यम से जांच एजेंसियां कदम बढ़ाती गईं और टेरर मॉड्यूल की परतें खुलती गईं। आइए जानते हैं कि श्रीनगर में लगे पोस्टर से लेकर दिल्ली धमाके के बीच क्या-क्या हुआ...

श्रीनगर में मिले जैश के पोस्टर

अक्टूबर के मध्य में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने श्रीनगर के नौगाम इलाके में जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के पोस्टर चिपके देखे। इनमें पुलिस और सुरक्षाबलों को धमकी दी गई थी। पहले तो पुलिस ने इसे सिर्फ सामान्य प्रोपेगेंडा माना, लेकिन जब जांच शुरू हुई, तो टेरर मॉड्यूल की परतें खुलनी शुरू हो गईं। पुलिस ने एक ऐसे आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया, जिसमें कई पढ़े-लिखे डॉक्टर और अन्य लोग शामिल हैं। इनकी जड़ें श्रीनगर से लेकर दिल्ली और फरीदाबाद तक फैली हुई थीं। जानें पूरी टाइमलाइन...

19 अक्टूबर: जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जैश के पोस्टर चिपकाने के मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की। इस दौरान पुलिस ने शोपियां से सक्रिय एक मौलवी इरफान अहमद और जीएमसी श्रीनगर के एक पैरामेडिकल स्टाफ को गिरफ्तार किया। इन दोनों से पूछताछ की गई, तो पता चला कि इरफान डॉक्टरों को कट्टरपंथी बनाने का काम कर रहा था। जांच में सामने आया कि इरफान और उसका यह समूह सुरक्षा एजेंसियों की नजरों से बचने के लिए उन्नत एन्क्रिप्टेड संचार प्रणालियों का इस्तेमाल करके पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के संपर्क में थे।

जानकारी के मुताबिक, इरफान साल 2019 से पहले पत्थरबाजों का सरगना था। वो युवाओं के मन में भारत-विरोधी जहर भरता और PoK भेजकर हथियारों की ट्रेनिंग दिलवाता था। आर्टिकल 370 हटने के बाद वो नमाज पढ़ाने का ढोंग करने लगा। हालांकि गिरफ्तारी के बाद उसने सारा राज उगल दिया।

5 नवंबर: पुलिस ने इरफान से कड़ी पूछताछ और नौगाम इलाके में लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाले, जहां पर पोस्टर लगाए गए थे। इनसे मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने डॉक्टर आदिल राठर को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से ट्रेस किया। इसके बाद उसे पूछताछ के लिए श्रीनगर लाया गया। पुलिस की कड़ी पूछताछ में आदिल ने बम विस्फोट की साजिश, फरीदाबाद में विस्फोटकों के भंडारण की जगह की जानकारी दी। इसके अलावा उसने डॉ. मुजम्मिल शकील और डॉ. शाहीन सईद समेत अपने साथियों के नाम उगल दिए।

8 नवंबर: डॉक्टर आदिल से मिली जानकारी के आधार पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हरियाणा पुलिस की मदद ली। इसके बाद डॉ. मुजम्मिल शकील को फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी से गिरफ्तार किया गया। जम्मू-कश्मीर पुलिस पूछताछ के लिए उसे श्रीनगर ले गई। इस बीच जीएमसी अनंतनाग में डॉ. आदिल के पुराने लॉकर से एक एके-47 राइफल बरामद हुई, जिससे मॉड्यूल की हिंसक कार्रवाई की तैयारी का संकेत मिला।

9 नवंबर: पुलिस ने डॉक्टर राठेर और डॉ. मुजम्मिल शकील से गहन पूछताछ की। इसके बाद फरीदाबाद स्थित डॉ. मुजम्मिल शकील के अस्पताल के पास स्थित किराए के कमरे से संदिग्ध अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया, जो लगभग 2,900 किलोग्राम था। बता दें कि अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल विस्फोटक बनाने में किया जाता है।

पुलिस ने डॉ. शकील से कड़ी पूछताछ शुरू की। उसने डॉक्टर उमर मोहम्मद नबी के बारे में जानकारी दी। बता दें कि डॉ. उमर नबी को पुलिस ने दिल्ली विस्फोट का मुख्य संदिग्ध आतंकी बताया है। वह भी इस आतंकी मॉड्यूल से जुड़ा था। पूछताछ में महिला डॉक्टर शाहीन सईद का नाम सामने आया, जो लखनऊ की रहने वाली है। वह फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी में काम करती थी।

पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया है। बताया जा रहा है कि डॉ. शाहीन इस आतंकी मॉड्यूल के साथ मिलकर काम करती थी। वह जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग की भारत में चीफ है, जो महिलाओं को इस आतंकी समूह में जोड़ने का काम करती थी।

10 नवंबर: सोमवार यानी 10 नवंबर की शाम को लाल किले के पास एक कार में जोरदार धमाका हुआ, जिससे राजधानी दहल गई। इस धमाके में 12 लोगों की मौत हो गई और 25 से अधिक लोग घायल हो गए। आसपास के सीसीटीवी फुटेज की जांच में पता चला कि विस्फोटकों से भरी हुंडई आई20 कार में धमाका हुआ, जिसे डॉ. उमर नबी चला रहा था। वह फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल का सदस्य था, जो फरार चल रहा था। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि अपने साथियों की गिरफ्तारी से डॉ. उमर घबरा गया था और उसने जल्दबाजी में लाल किले के पास धमाका कर दिया।

11 नवंबर: दिल्ली में धमाके के बाद पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां जांच में जुट गईं। दिल्ली पुलिस ने यूएपीए (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया। सुरक्षा एजेंसियों ने अंतर-राज्यीय आतंकी साजिश को लेकर जांच तेज कर दी। जांच के दौरान पुलवामा से 6 लोगों को हिरासत में लिया गया। इनमें तारिक (जिसने उमर को कार दी थी), आमिर (कथित सिम कार्ड प्रदाता), उमर राशिद (आमिर का भाई), गुलाम नबी (डॉ. उमर के पिता), डॉ. सज्जाद मल्ला (डॉ. उमर का दोस्त) और शमीमा बेगम (डॉ. उमर की मां, डीएनए जांच के लिए) शामिल हैं।

इन सभी घटनाक्रमों से पता चलता है कि कैसे एक पोस्टर चिपकाने के मामले से संगठित आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश हुआ। इस मामले में अभी लगातार संदिग्ध लोगों की धरपकड़ जारी है। दिल्ली ब्लास्ट मामले की जांच नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) को सौंपी गई है।

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