Happy Brothers Day: दिल्ली के ये 2 भाई बने गरीबों का सहारा, कहानी जान करेंगे सलाम

आज के कलयुग में भाई भी वक्त पड़ने पर अपने भाई की पीठ में छुरा घोंप देता है। आज ब्रदर्स डे है। आपको ऐसे भाइयों की कहानी बता रहे हैं, जो गरीबों के लिए भी बड़ा सहारा बन गए हैं।

Updated On 2025-05-24 12:56:00 IST

बिग्रेडियर प्रेमजीत सिंह और उनके भाई कमलजीत सिंह

आज के इस कलयुग में जहां भाई अपने भाई की जान का दुश्मन बन रहा है, वहीं दिल्ली के दो भाई साथ मिलकर जनसेवा के लिए ऐसा कार्य कर रहे हैं, जिसे जानकर आप भी उन्हें सलाम किए बिना रह नहीं सकेंगे। हम बिग्रेडियर प्रेमजीत सिंह और उनके भाई कमलजीत सिंह की कहानी बताने जा रहे हैं। दोनों भाई पिछले 40 सालों से गरीब और बेघर लोगों को खाने से लेकर मुफ्त चिकित्सा तक, सब कुछ मुहैया करा रहे हैं। आज ब्रदर्स डे है, तो पढ़िये इन दोनों भाइयों की कहानी...

पिता से सीखा जनसेवा करने का पाठ

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिग्रेडियर प्रेमजीत सिंह और उनके भाई परमजीत पिछले 40 सालों से जनसेवा के कार्य कर रहे हैं। विशेषकर प्रवासी मजदूरों को खाना खिलाने से लेकर मुफ्त इलाज कराने तक की व्यवस्था कर रहे हैं। इसके अलावा बेसहारा जानवरों का भी पेट भर रहे हैं। बिग्रेडियर प्रेमजीत सिंह का कहना है कि उन्हें समाजसेवा करने की पाठ पिता त्रिलोचन सिंह से सीखा। उन्होंने 1989 में वीरजी का डेरा नाम से संगठन की स्थापना की थी। पिता की मृत्यु के बाद दोनों भाइयों ने इसकी जिम्मेदारी संभाली और तब से यह सिलसिला चलता रहा।

इस तरह से कर रहे गरीब लोगों की मदद

बिग्रेडियर प्रेमजीत सिंह का कहना है कि जब वीर जी का डेरा संगठन की स्थापना की तो सबसे पहले विचार आया कि प्रवासी लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जाए। दिन भर मेहनत करने के बाद भी खाने पर खर्च हो जाए तो जेब में कुछ नहीं बचता। यही सोचकर गरीब लोगों को खाना उपलब्ध कराने लगे। धीरे धीरे मुफ्त चिकित्सा और शिक्षा उपलब्ध कराने लगे। उन्होंने बताया कि दो डॉक्टर रोजाना करीब 400 लोगों को उपचार देते हैं। इसके अलावा हमारी टीम में कई ट्रेंड नर्स भी हैं, जो गरीब लोगों के उपचार में मदद करती हैं।

कई संगठन और समाजसेवी कर रहे मदद

वीरजी का डेरा के नामों से प्रभावित होकर कई समाजसेवी संगठन जुड़े हैं। साथ ही, 250 से ज्यादा परिवार वीरजी दा डेरा से जुड़े हैं, जो कि खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने में सहयोग देते हैं। बिग्रेडियर कमलजीत का कहना है कि उन्होंने न तो कभी किसी से पैसों की मदद ली और न ही ली जाएगी। यह निस्वार्थ कार्य है, जो आपसी सहयोग की मदद से निरंतर चल रहा है।

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