Anti-Ageing New Research: शेफाली जरीवाला की मौत की वजह एंटी-एजिंग मेडिसिन? नई रिसर्च चौंकाने वाली
Shefali Jariwala Anti-Ageing Treatment: मॉडल शेफाली जरीवाला का निधन हो गया है। बताया जा रहा है कि वे एंटी-एजिंग मेडिसिन इस्तेमाल कर रही थी। इत्तेफाक है कि एंटी एजिंग को लेकर एक नई रिसर्च रिपोर्ट भी सामने आ चुकी है।
क्या एंटी एजिंग मेडिसन से गई शेफाली जरीवाला की जान
म्यूजिक वीडियो 'कांटा लगा' फेम शेफाली जरीवाला का निधन हो गया है। मौत की वजह हार्ट अटैक बताई जा रही है। 42 वर्षीय मॉडल के निधन से मनोरंजन जंगत में शोक की लहर है। खबरों की मानें तो शेफाली जरीवाला एंटी एजिंग मेडिसिन ले रही थी। हालांकि डॉक्टरों ने दावा किया है कि एंटी एजिंग मेडिसिन और हार्ट अटैक से सीधा संबंध नहीं है। ऐसे में मौत की वजह पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा। बहरहाल, एंट्री एजिंग मेडिसिन का जिक्र आते ही सोशल मीडिया पर इसके साइड इफेक्ट तलाशे जा रहे हैं। इत्तेफाकन एक नई रिसर्च रिपोर्ट सामने आई है, जो कि एंटी एजिंग से जुड़ी है। आइये बताते हैं एंटी एजिंग से जुड़ी इस नई रिसर्च के बारे में...
एंटी एजिंग पर लंदन के शोधकर्ताओं ने की नई रिसर्च
एंटी एजिंग पर सालों से शोध हो रहा है। हर कोई जवां दिखना चाहता है। उम्मीद है कि एक दिन ऐसा आएगा, जब किसी की मौत नहीं होगी। वहीं, मरे हुए लोगों को भी जिंदा किया जा सकेगा। यही वजह है कि पैसे वाले लोगों ने तो अभी से अपने शरीर को प्रिजर्व करना शुरू कर दिया। इसे क्रायोनिक्स कहते हैं। बताया जाता है कि दुनिया में अलग-अलग जगहों पर करीब 600 लोगों की डेड बॉडी फ्रीज की गई है ताकि अमरता का फॉर्मूला मिल जाए तो इन्हें जीवित किया जा सके। वैज्ञानिकों ने इसके लिए 2045 तक का लक्ष्य रखा है। जब तक अमरता का फॉर्मूला न मिल जाए, तब तक लोग एंटी एजिंग मेडिसिन पर भरोसा कर रहे हैं।
लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह जानने का प्रयास किया कि क्या कॉफी कोशिकाओं को लंबे समय तक कैसे जीवित रख सकती है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने विखंडन खमीर का इस्तेमाल किया। ये एककोशिकीय जीव हैं, जिसकी समानताएं मानव कोशिकाओं जैसी हैं। इन्हें जब कैफिन के संपर्क में लाया गया तो नतीजे चौंकाने वाले मिले। निष्कर्षों से पता चला कि कैफीन ने सच में खमीर कोशिकाओं के जीवनकाल को बढ़ा दिया। शोधकर्ताओं ने जब खमीर को विभिन्न परिस्थितियां जैसे कि पोषक तत्वों की कमी इत्यादी में भी समान परिणाम पाए गए। हालांकि इस शोध में एक नाकारात्मक पक्ष भी सामने आया, जिसे कि एंटी एजिंग का भी साइड इफेक्ट कहा जा सकता है।
एंटी एजिंग का साइड इफेक्ट क्या?
शोधकर्ताओं का कहना है कि कोशिकाओं को जवां बनाने के लिए Ssp1 और Ssp2, दो प्रोटीन की जरूरत होती है। इसके बिना कैफिन का कोशिकाओं पर लाभ नहीं दिखता है। इसके अलावा, अगर कोशिका की डीएनए क्षतिग्रस्त है, तो कैफिन कोशिकाओं की प्राकृतिक मरम्मत प्रक्रिया में अड़चन डालता है, जिससे कोशिका स्वयं अपनी मरम्मत नहीं कर पाती है। ऐसे में शोधकर्ताओं का निष्कर्ष है कि भले ही कॉफी एंटी एजिंग के लिए फायदेमंद है, लेकिन तभी जब कोशिकाओं की आंतरिक स्थिति भी बेहतर हो।
दवा या ड्रिंक्स का अंधाधुंध इस्तेमाल से बचें
शोधकर्ताओं का कहना है कि एंटी एजिंग या फिर एनर्जी बुस्ट करना हो, किसी भी मेडिसिन या ड्रिंक्स का अंधाधुंध इस्तेमाल करना सही नहीं है। जिस तरह से पाया है कि कॉफी एंटी एजिंग के लिए बेहतरीन ड्रिंक्स पाई है, उसी तरह कोशिका क्षतिग्रस्त हो तो यह यही कॉफी नेगेटिव असर डाल सकती है। डॉक्टरों का भी कहना है कि किसी भी चीज की अति सेहत के लिए खतरनाक हो सकती है। ऐसे में अपने शरीर की सरंचना के हिसाब से डाइट प्लान तैयार कर उसका अनुसरण करना ही बेहतर रहेगा।
Disclaimer: हरिभूमि डिजिटल इस लेख में दी गई जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्य के लिए लिखा गया है। इस लेख में दी गई जानकारियों पर अमल करने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।