जासूस का खुलासा: रिश्तों का हो रहा कत्ल... डिटेक्टिव एजेंसियों का सहारा ले रहे दिल्ली के लोग
सोशल मीडिया का दखल बढ़ने से लोगों का रिश्तों से भरोसा कम होने लगा है। ऐसे में डिटेक्टिव एजेंसियों का काम बढ़ गया है। इन्हें हायर न करने वाले संगीन अपराध कर बैठते हैं।
दिल्ली के एक जासूस का खुलासा
दिल्ली के लोगों का भी रिश्तों से भरोसा कम होता जा रहा है। यही वजह है कि राजधानी में डिटेक्टिव एजेंसियों का दायरा बढ़ता जा रहा है। जासूसों की मानें तो पहले क्लाइंट द्वारा पूछी गई जानकारियों को हासिल करना आसान होता था, लेकिन अब लोगों में टेक्निक के प्रति जागरुकता आने से उनकी गोपनीय जानकारियां हासिल करना मुश्किल होता जा रहा है। बहरहाल, अभी भी कई ऐसे फॉर्मूला है, जो टारगेट तक पहुंचने में मदद करता है। इस पर बात करने से पहले बताते हैं कि दिल्ली के लोगों का रिश्तों पर भरोसा क्यों कम हो रहा है।
सोशल मीडिया की वजह से रिश्तों में दरार
मजनू का टीला इलाके में 8 मई को निखिल नामक शख्स ने अपनी प्रेमिका सोनल और उसकी फ्रेंड के नवजात की हत्या कर दी थी। पूछताछ में खुलासा किया कि निखिल का दुर्गेश से अवैध संबंध चल रहा था और उसके दबाव में आकर रिश्ता तोड़ा है। उसने यह भी आरोप लगाया कि दुर्गेश की वजह से सोनल ने गर्भपात करा दिया था, जिसके कारण उसने दुर्गेश के बच्चे को मार डाला। यह पहला मामला नहीं है, मार्च से अप्रैल के बीच भी ऐसे तीन मामले सामने आए थे, जिसमें एकतरफा प्यार या शक के चलते युवतियों को मौत के घाट उतार दिया।
दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी का कहना है कि दुर्गेश ने बताया कि उसकी पत्नी की सोनल से अच्छी दोस्ती थी। निखिल उसे परेशान करता था, तो परेशान होकर कुछ दिनों के लिए रहने आई थी। उसके शक की वजह से न केवल सोनल की हत्या हुई बल्कि उसके बच्चे को भी मार डाला।
दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह अकेला मामला नहीं है, जब शक के चलते अपराध हुआ है। इसकी सबसे प्रमुख वजह सोशल मीडिया माना जा रहा है। सोशल मीडिया पर आसानी से दोस्त तलाशना आसान हो गया है। ऐसे में रिश्ता टूटने की कगार पर होता है, तो प्रेमी को सबसे पहले यही शक होता है कि उसका किसी से अवैध संबंध शुरू हो गया है। इससे झगड़े बढ़ते हैं, जिस कारण ब्रेकअप हो जाता है। इससे गुस्से में शख्स नियंत्रण खो बैठता है और अपराध कर देता है।
दिल्ली में बढ़ रही डिटेक्टिव एजेंसियां
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली में कई डिटेक्टिव एजेंसियां हैं, लेकिन 2025 में अभी तक टॉप 20 डिटेक्टिव एजेंसियां हैं। जासूसों के हवाले से बताया गया कि ज्यादातर क्लाइंट रिश्तों का सच जानने के लिए आते हैं। शादी हो या फिर लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोग, अपने पार्टनर पर भरोसा नहीं कर रहे। इस कारण जासूसों का धंधा बढ़ रहा है।
इसके अलावा, शादी से पहले लड़के या लड़की का कैरेक्टर जानने के लिए भी मदद मांगी जाती है। 10 साल से एक डिटेक्टिव एजेंसी में बतौर एजेंट काम कर रहे जासूस ने कहा कि पहले आसानी से गोपनीय सूचनाएं हासिल कर लेते थे, लेकिन अब टेक्निक को लेकर लोग सजग हो गए हैं। साथ ही, जासूसी को लेकर नियम भी कड़े किए गए हैं। ऐसे में जासूसों को नियमों का पालन करते हुए टारगेट से जुड़ी गोपनीय सूचनाएं हासिल करनी होती हैं। उन्होंने कहा कि अभी भी कई पुराने फॉर्मूले हैं, जो कि आज भी जासूसों की मदद कर रहे हैं।
नौकर बनकर बिजनेसमैन का खोला था राज
इस जासूस ने बताया कि 4 साल पहले उसे एक शख्स के कैरेक्टर का पता लगाने का असाइनमेंट मिला था। यह असाइमेंट उसकी प्रेमिका ने दी थी। उसे शक था कि उसका कई अन्य युवतियों से अफेयर चल रहा है। जब वह टारगेट के पते पर पहुंचा तो पता चला कि वो बेहद अमीर शख्स है और घर में सुरक्षा कड़ी है, जिसे पार करना आसान नहीं है। कई दिनों पीछा करने के बाद यह तो पता चला कि उसके फार्म हाउस पर गाड़ियां आती जाती रहती हैं, जिसमें लड़कियां भी दिखती थी। लेकिन, यह पर्याप्त सबूत नहीं था कि वो उसके क्लाइंट से बेवफाई कर रहा था। इसलिए उसने गेटमैन से बात की और कहा कि मुझे नौकरी की सख्त जरूरत है। तब गेटमैन ने मना कर दिया, लेकिन मैंने जबरन उसे अपना नंबर दे दिया।
उन्होंने बताया, करीब एक महीने बाद उसका फोन आया और कहा कि अगर कहीं काम नहीं मिला तो आ जाओ। बस इसी पल का इंतजार था। 2 सप्ताह में ही मैंने सबूत इकट्ठा कर लिए। उन्होंने कहा कि टेक्निक जहां गोपनीय सूचनाएं इकट्ठा करने में मदद करती हैं, वहीं जासूसी के परंपरागत तरीके भी जासूसों के लिए अहम हथियार है।