Delhi Riots 2020: 'दंगे के वक्त दिल्ली में नहीं था खालिद...', SC में सिब्बल की दलील, अब 3 नवंबर को सुनवाई
Delhi Riots 2020 Case: दिल्ली दंगों की साजिश के आरोपी उमर खालिद समेत अन्य आरोपियों की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। उमर खालिद ने कोर्ट में बताया कि वह दंगे के समय दिल्ली में नहीं था।
सुप्रीम कोर्ट में उमर खालिद और शरजील इमाम समेत अन्य आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई।
Delhi Riots 2020 Case: दिल्ली दंगे से जुड़े मामले में उमर खालिद और शरजील इमाम समेत अन्य आरोपियों की जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत में उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा ने बताया कि उन्होंने हिंसा के लिए कोई आह्वान नहीं किया था। वे सिर्फ नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के अपने अधिकार का प्रयोग कर रहे थे।
उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि जब दंगे हुए, तब वह दिल्ली में भी नहीं था। वहीं, इमाम ने कहा कि उसने कभी हिंसा का आह्वान नहीं किया था, सिर्फ शांतिपूर्ण नाकेबंदी का आह्वान किया था। खालिद के वकील ने दलील दी, 'जब दंगे हुए तब याचिकाकर्ता दिल्ली में भी नहीं था। अगर मैं वहां नहीं हूं, तो दंगों को इससे कैसे जोड़ा जा सकता है।'
आरोपियों के वकीलों ने दी ये दलील
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश मामले की सुनवाई की। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, शरजील इमाम के वकील ने अदालत को बताया कि इमाम ने हिंसा का आह्वान नहीं किया था। वह सिर्फ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। वहीं, गुलफिशा फातिमा ने कहा कि वह जिस प्रदर्शन स्थल पर मौजूद थीं, वहां पर किसी भी प्रकार की हिंसा का कोई सबूत नहीं मिला।
फातिमा के वकील ने दलील देते हुए कहा कि उसके खिलाफ आरोप है कि उसने विरोध प्रदर्शन स्थल स्थापित किया था। इनमें से किसी भी स्थल पर कोई हिंसात्मक घटना नहीं हुई। वकील ने दावा किया कि जहां पर फातिमा मौजूद थी, वहां किसी के पास मिर्च पाउडर, एसिड आदि होने का कोई दस्तावेजी या मौखिक साक्ष्य नहीं है।
'5 साल से जेल में फातिमा'
दिल्ली दंगों की आरोपी गुलफिशा फातिमा की ओर से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी अदालत में पेश हुए। उन्होंने दलील दी कि वह पांच साल से जेल में हैं और अभी तक उन पर कोई आरोप तय नहीं हुआ है। उन्होंने मुकदमे में बेवजह देरी का हवाला देते हुए कहा कि वह अकेली महिला हैं जो अभी भी जेल में हैं। सिंघवी ने कहा कि उनके खिलाफ हिंसा या ताहिर हुसैन से जुड़े कोई सबूत नहीं हैं। सिंघवी ने समानता के आधार पर फातिमा के जमानत की मांग की।
दंगे के समय दिल्ली में नहीं था उमर खालिद
दिल्ली दंगों के मामले में उमर खालिद की ओर से वकील कपिल सिब्बल पेश हुए। उन्होंने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि खालिद के खिलाफ 751 में से केवल एक ही एफआईआर दर्ज है, जिसमें साजिश का आरोप लगाया गया है। उन्होंने कहा कि खालिद दंगों के दौरान दिल्ली में नहीं था, न ही कोई पैसा, न ही हथियार, न ही हिंसा के सबूत मिले। इसके अलावा किसी गवाह ने खालिद को किसी भी हिंसक घटना से सीधे तौर पर नहीं जोड़ा।
सिब्बल ने आगे कहा कि खालिद ने 17 फरवरी को अमरावती टीवी पर भाषण दिया था, जिसमें गांधीवादी सिद्धांतों की बात की थी। सिब्बल ने कहा कि इस भाषण को खालिद के खिलाफ गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने आगे बताया कि दो महिलाओं और आसिफ इकबाल तन्हा सहित तीन सह-आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है। ऐसे में समानता के आधार पर उमर खालिद भी जमानत का हकदार है।
अब 3 नवंबर को होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपियों के वकीलों ने अपनी-अपनी दलीलें दीं। सभी दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने 3 अक्टूबर को सुनवाई जारी रखने का फैसला लिया। अब इन आरोपियों की जमानत याचिका पर 3 नवंबर यानी सोमवार को सुनवाई होगी।
क्या है पूरा मामला?
सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े मामले पर शुक्रवार को सुनवाई की। राज्य के खिलाफ 'बड़ी साजिश' रचने के इस मामले में आरोपी उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और तीन अन्य ने जमानत याचिकाएं दायर की हैं। सर्वोच्च कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की खिंचाई की थी, क्योंकि उसने इन जमानत याचिकाओं पर जवाब दाखिल नहीं किया था।
पिछले दिनों दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में 389 पन्नों का एक हलफनामा दायर किया, जिसमें उसने दावा किया है कि आरोपियों को जमानत नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि ये 'सत्ता-परिवर्तन' के उद्देश्य से अभियान चला रहे थे। पुलिस ने दावा किया कि उसके पास इनके खिलाफ ऐसे अकाट्य दस्तावेजी और तकनीकी सबूत हैं, जो सत्ता के खिलाफ एक बड़ी साजिश और सांप्रदायिक आधार पर देशव्यापी दंगे भड़काने और गैर-मुसलमानों की हत्या करने की योजना की ओर इशारा करते हैं।
बता दें कि खालिद और अन्य ने दिल्ली हाईकोर्ट के 2 सितंबर के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर को पुलिस को नोटिस जारी किया था।
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