Delhi Blast: 'अभी तो केस शुरू भी नहीं हुआ...,' दिल्ली ब्लास्ट मामले में हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

Delhi Lal Quila Blast: दिल्ली धमाके मामले में दायर की गई PIL को सुप्रीम कोर्ट ने 'समय से पहले' करार देते हुए खारिज कर दिया है।

Updated On 2025-12-03 16:02:00 IST

दिल्ली धमाका मामले में हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की है। 

Delhi Lal Quila Blast: दिल्ली हाईकोर्ट ने आज 3 दिसंबर बुधवार को एक पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL) पिटीशन पर सुनवाई करने से मना कर दिया है। याचिका में लाल किला बम ब्लास्ट ट्रायल की मॉनिटरिंग के लिए एक कमेटी बनाने और उसे 6 महीने में उसे पूरा करने की मांग की गई थी। जिसे लेकर कोर्ट ने कहा कि अभी केस शुरू भी नहीं हुआ और याचिकाकर्ता चाहता है कि उच्च न्यायालय उसपर निगरानी करे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, याचिका पूर्व विधायक पंकज पुष्कर द्वारा दायर की गई थी। याचिका में अनुरोध किया गया था कि ट्रायल को छह महीने में पूरा करने के लिए, इसे दैनिक आधार पर चलाया जाए, जिसकी मासिक रिपोर्ट न्यायिक निकाय को सौंपी जानी चाहिए। याचिका में तर्क दिया गया था कि लाल किला विस्फोट राष्ट्रीय संप्रभुता के प्रतीक पर हमला था। हमले में घायल के परिवारों को 'सत्य का अधिकार' जो कि अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा के अधिकार का हिस्सा है) से वंचित रखा जा रहा है। ऐसे में त्वरित सुनवाई और निगरानी जरूरत है।

कोर्ट ने क्या कहा ?

चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने याचिका को 'समय से पहले' करार देते हुए इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। बेंच ने कहा है कि जब तक ट्रायल शुरू नहीं हो जाता, तब तक कोर्ट ऐसी निगरानी का आदेश नहीं दे सकता। कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि, ट्रायल अभी शुरू भी नहीं हुआ है, और आप चाहते हैं कि हम इसके संचालन की निगरानी करें?

निगरानी तब प्रासंगिक होती है, जब मामले सालों से लंबित हों, ट्रायल शुरू होने से पहले नहीं।' कोर्ट का यह भी कहना है कि याचिकाकर्ता यह दिखाने में असफल रहा है कि किसी मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है, जिसके कारण PIL के माध्यम से कोर्ट के हस्तक्षेप की आवश्यकता हो।

याचिकाकर्ता के वकील ने क्या तर्क दिया ? 

याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क देते हुए कहा कि कोर्ट का दखल देना पीड़ित परिवारों को आश्वासन देगा। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि पहले भी आतंकी मामलों में दशकों लग गए हैं, और पिछले लाल किला आतंकी ट्रायल को भी पूरा होने में कई साल लग गए थे। वहीं केंद्र सरकार की ओर से पेश ASG चेतन शर्मा ने PIL को 'भ्रामक' कहा है।

उन्होंने कोर्ट को कहा कि मामले की जांच दिल्ली पुलिस के हाथ में नहीं है, इस मामले की जांच की जिम्मेदारी NIA को सौंपी दी गई है और ट्रायल UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के तहत चलाया जाएगा। बेंच ने कहा है कि इस मामले में कोई निर्देश जारी नहीं किया जाएगा। जिसके बाद याचिकाकर्ता ने अपनी PIL को वापस लेने का फैसला लिया।

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