Delhi High Court: 'पति को कमीना कहना भी वैवाहिक क्रूरता', तलाक का फैसला बरकरार

दिल्ली हाईकोर्ट में अपीलकर्ता पत्नी ने याचिका दायर कर दावा किया था कि फैमिली कोर्ट ने उसके साथ हुई क्रूरता पर विचार किए बिना तलाक करा दिया है।

Updated On 2025-10-24 14:27:00 IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने पति की वैधता पर सवाल उठाने को मानसिक क्रूरता माना। 

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पति को कमीना कहकर उसकी वैधता पर सवाल उठाना और उसकी मां के खिलाफ निंदनीय आक्षेप लगाना वैवाहिक क्रूरता है। न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यवान शंकर की खंडपीठ ने फैमिली कोर्ट द्वारा दी गई तलाक की डिक्री को बरकरार रखा।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अपीलकर्ता पत्नी ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया था कि फैमिली कोर्ट ने उसके साथ हुई क्रूरता पर विचार किए बिना ही तलाक करा दिया है। उसने दावा किया कि प्रतिवादी ने उसे जाति आधारित टिप्पणी करके अपमानित किया। पेशेवर जिम्मेदारियों के बावजूद घरेलू काम करने के लिए मजबूर किया गया। उसे झूठे मुकदमों में भी डाल दिया गया।

कोर्ट ने अपीलकर्ता का पक्ष सुनने के बाद कहा कि प्रतिवादी द्वारा की गई क्रूरता से उसके द्वारा की गई क्रूरता स्वत: निरस्त नहीं हो जाएंगे। दो गलतियां मिलकर सही नहीं हो सकती है। कोर्ट ने माना कि अपीलकर्ता के सिद्ध क्रूरतापूर्ण कृत्य, जिनमें अपमानजनक भाषा का प्रयाग, शारीरिक हिंसा और सामाजिक अलगाव शामिल हैं।

न्यायालय ने आगे कहा कि अपीलकर्ता ने प्रतिवादी को अपमानजनक और निंदनीय संदेश भेजे, जिसमें उसकी वैधता पर सवाल उठाए। उसकी मां के खिलाफ भी निंदनीय आरोप लगाए गए। इस मामले में सिद्ध किए गए शब्द और संवाद हानिरहित नहीं है, लेकिन जानबूझकर किए गए मौखिक दुर्व्यवहार और आचरण से मानसिक क्रूरता उत्पन्न हो सकती है।

कोर्ट ने आगे कहा कि पति की वैधता पर सवाल उठाना और उसकी मां के खिलाफ निंदनीय आरोप लगाना वैवाहिक क्रूरता है, जो तलाक का आधार है। ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट द्वारा दी गई तलाक की डिक्री को बरकरार रखा।

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