Delhi High Court: चरित्र में दाग नहीं देता रेप करने का अधिकार; हाईकोर्ट की टिप्पणी

दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि पीड़िता के पूर्व चरित्र को हथियार बनाकर अपने ऊपर लगे रेप के आरोपों से बचने के लिए ढाल नहीं बनाया जा सकता।

Updated On 2025-11-08 18:28:00 IST

दिल्ली हाईकोर्ट की दो टूक। 

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर महिला के चरित्र में दाग है, तो भी बलात्कार करने का अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि पीड़िता के पूर्व चरित्र को हथियार बनाकर अपने ऊपर लगे रेप के आरोपों से बचने के लिए ढाल नहीं बनाया जा सकता। जस्टिस अमित महाजन की पीठ ने जोर देते हुए कहा कि अगर कोई महिला या युवती कुछ पैसे के बदले जाती है, तो वह भी दुष्कर्म की शिकार हो सकती है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जस्टिस अमित महाजन की पीठ आरोपी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। आरोपी ने उसके खिलाफ बलात्कार के मामले को रद्द करने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की। बताया गया कि आरोपी शादीशुदा है, जिस पर शादी का झूठा वादा करके बलात्कार और अप्राकृतिक संबंध बनाने का आरोप है।

उधर, महिला का आरोप है कि उसकी ड्रिंक में नशीला पदार्थ मिलाकर उसका यौन उत्पीड़न किया गया। इसके बाद शादी का झांसा दिया। इसके बाद कई बार शारीरिक संबंध बनाता। इस दौरान उसने आठ लाख रुपये लिए। इसके बाद फिर से दस लाख रुपये मांगे, जिस पर उसने पैसे देने से मना कर दिया। पीड़िता का आरोप है कि पैसे न देने पर वो उसकी आपत्तिजनक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी दी।

वहीं, आरोपी ने दलील दी कि महिला अनैतिक देहव्यापार (रोकथाम) अधिनियम 1956 के तहत मामले में फंस चुकी है। आरोपी का दावा है कि महिला खुद ही शारीरिक संबंध बनाने के लिए पैसों की मांग करती है। इस पर पीठ ने कहा कि महिला के चरित्र को ढाल बनाकर उसके साथ बलात्कार जैसे अपराध को अंजाम नहीं दिया जा सकता। फिर चाहे उसका चरित्र पूर्व में कितना ही दागदार क्यों न हो।

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