Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने पलटा ट्रायल कोर्ट का आदेश, दुष्कर्म मामले में 3 पुलिसकर्मियों को भेजा जेल
Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए तीन पुलिसकर्मियों को आइपीसी और पाक्सो अधिनियम के तहत दोषी ठहराया। तीनों आरोपियों को जेल भेज दिया गया है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने दुर्व्यवहार और पॉक्सो मामले में तीन पुलिसकर्मियों को भेजा जेल।
Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने साल 2013 में एक महिला और उसकी नाबालिग भतीजी से यौन उत्पीड़न करने और उनके साथ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने वाले मामले में तीन पुलिसकर्मियों को जेल भेज दिया है। कोर्ट ने जयदेव, उसके भाई जगमाल और बेटे सूरजभान को जेल की सजा सुनाई है। इस मामले में जयदेव को दो साल, जगमाल और सूरजभान को एक-एक साल की सजा सुनाई है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने तीनों पुलिसकर्मियों को पाया दोषी
बता दें कि इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने तीनों को बरी कर दिया था लेकिन हाईकोर्ट ने तीनों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की बेंच ने कहा कि दोषी पुलिसकर्मी जयदेव का आचरण खराब था। वो अकसर पीड़ित महिला और उसकी भतीजी को देखकर सड़क पर कपड़े उतार देता था। दिल्ली पुलिस में कार्यरत दोषी के इस आचरण को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। न ही उसे इस कृत्य के लिए माफ किया जा सकता।
'कानून के रखवाले ही इस मामले में दोषी'
कोर्ट ने कहा कि तीनों दोषी एक ही परिवार के हैं और घटना वाले दिन तीनों ने मिलकर पीड़िता और उसकी नाबालिग भतीजी के साथ दुर्व्यवहार किया। बेंच ने कहा कि जिन पुलिसकर्मियों की जिम्मेदारी है कि वे समाज में कानून व्यवस्था बनाए रखने में मदद करें, वही लोग इस मामले में दोषी हैं।
'कोई मुआवजा नुकसान की भरपाई नहीं कर सकता'
जानकारी के अनुसार, जब ये वारदात हुई, उस समय दोषी और पीड़िता पड़ोसी हुआ करते थे। दोषी और शिकायतकर्ता के भाई यानी नाबालिग बच्ची के पिता दिल्ली पुलिस में थे। शिकायतकर्ता की तरफ से पेश हुए उनके पति ने कहा कि साल 2016 में वो पदोन्नति के हकदार थे लेकिन आरोपियों ने उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करा दिया था, जिसके कारण पदोन्नति पर रोक लगा दी गई। इसके कारण उनके और उनके परिवार के सदस्यों का जीवन बर्बाद हो गया। कोई मुआवजा उनके इस नुकसान की भरपाई नहीं कर सकता।