Delhi Flood History: बाढ़ से कब-कब डूबी दिल्ली? 1978 का भयावह मंजर, 2023 की खौफनाक रात, जानें इतिहास
Delhi Floods History: दिल्ली ने कई बार भीषण बाढ़ का सामना किया है। इस साल भी बाढ़ के गंभीर हालात बनते दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में हर किसी को साल 1978 की भयावह बाढ़ का मंजर याद आ रहा है। जानें दिल्ली में बाढ़ का इतिहास...
दिल्ली में बाढ़ का इतिहास।
Delhi Floods History: दिल्ली इस समय बाढ़ का सामना कर रही है। यमुना किनारे कई इलाकों में घरों में पानी घुस गया है। हालात ऐसे हैं कि बाढ़ का पानी दिल्ली सचिवालय तक भी पहुंच गया है। दिल्ली पुलिस और एनडीआरएफ की टीमें लगातार बचाव अभियान चला रही हैं। अभी तक करीब 10,000 हजार से ज्यादा लोगों को बाढ़ से प्रभावित इलाकों से बाहर निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है। बता दें कि दिल्ली में यमुना का जलस्तर 207.48 मीटर तक पहुंच गया है, जिससे हालात बिगड़ते जा रहे हैं। हालांकि यह पहली बार नहीं है, जब यमुना में बाढ़ आने से दिल्ली के हजारों लोग बेघर हो गए हों। इससे पहले भी कई बार दिल्ली में बाढ़ आई है। तो आइए जानते हैं दिल्ली में बाढ़ का इतिहास...
साल 1978 में दिल्लीवासियों ने सबसे भयावह बाढ़ का सामना किया था। इस साल आई बाढ़ को दिल्ली के इतिहास की सबसे भयावह बाढ़ माना जाता है। साल 1978 में 5-6 सितंबर को दिल्ली के पुराने रेलवे पुल पर यमुना का जलस्तर 207.49 मीटर दर्ज किया गया था। इस दौरान पल्ला गांव और बवाना एस्केप आउट-फॉल के बीच दायां सीमांत बांध टूट गया था, जिससे अलीपुर ब्लॉक का एक बहुत बड़ा क्षेत्र जलमग्न हो गया था।
इसके अलावा आदर्श नगर, मॉडल टाउन, मुखर्जी नगर जैसी शहरी कॉलोनियां भी गहरे पानी में डूब गई थीं। यमुना नदी की इस जल प्रलय में 18 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। इसके साथ ही लगभग 10 करोड़ रुपये का नुकसान भी हुआ था। बाढ़ के स्थिति ज्यादा खतरनाक होने की वजह से हजारों लोगों बेघर हो गए थे।
कब-कब आई भयानक बाढ़?
दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार, यमुना में आजादी के बाद से अब तक 4 बार सबसे खतरनाक बाढ़ आई है। दिल्ली में 1977, 1978, 1988 और 1995 में भीषण बाढ़ का सामना किया था। इस दौरान भारी मात्रा में जान-माल का नुकसान हुआ था।
1. साल 1977 में साहिबी नदी से पानी छोड़े जाने के कारण नजफगढ़ नाले में भारी बाढ़ आई थी। इस दौरान ढांसा और ककरोला के बीच छह जगहों पर नाला टूट गया। इस बाढ़ के कारण नजफगढ़ ब्लॉक के कई गांवों में लबालब पानी भर गया था। इस आपदा में मकान ढहने से 6 लोगों की जान चली गई थी। इसके अलावा एक नाव दुर्घटना में 14 लोगों की मौत हो गई थी। इस साल फसल के नुकसान का अनुमान 1 करोड़ रुपये था।
2. साल 1978 में यमुना नदी में सबसे भयावह बाढ़ आई थी। बाढ़ के पानी में 43 वर्ग किमी किसानों की जमीन डूब गई थी। बाढ़ की वजह से किसानों की खरीफ की फसलें पूरी तरह से खराब हो गई थीं। आंकड़ों के मुताबिक, इस साल बाढ़ से कुल 17.61 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।
3. साल 1988 में सितंबर महीने में यमुना नदी में खतरनाक बाढ़ आई थी। इससे मुखर्जी नगर, गीता कॉलोनी, शास्त्री पार्क, यमुना बाजार और लाल किला जैसे इलाकों में भी पानी भर गया था। इस साल बाढ़ से करीब 8,000 परिवार प्रभावित हुए थे।
4. साल 1995 में पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण ताजेवाला बैराज से भारी मात्रा में पानी छोड़ा गया था, जिसके कारण यमुना नदी में बाढ़ आई थी। गनीमत रही थी कि उस साल भारी बारिश के साथ बाढ़ नहीं आई थी, जिससे पानी को बांधों के जरिए रोक लिया गया था। हालांकि इसके बावजूद भी नदी के डूब क्षेत्र में बसे गांवों और बस्तियों में रहने वाले लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी थी। लगभग 15,000 परिवार बेघर हो गए थे। इन सभी लोगों को करीब 2 महीने तक सड़कों के किनारे बने अस्थायी कैंप में ठहराया गया था।
साल 1900 के बाद से दिल्ली ने 1924, 1947, 1976, 1978, 1988 और 1995 को मिलाकर कुल 6 बार बाढ़ का सामना किया है।
2023 में सबसे ज्यादा था यमुना का जलस्तर
यमुना नदी का जलस्तर साल 2023 में 208.66 मीटर रिकॉर्ड तक पहुंच गया था, जो अभी तक का सबसे ज्यादा है। जलस्तर बढ़ने से यमुना नदी में भीषण बाढ़ आई थी, जिसके कारण तटबंध टूट गए थे। यमुना किनारे बसे इलाकों में बाढ़ का पानी भर गया था, जिसके कारण हजारों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा था। दिल्ली के मयूर विहार, आईटीओ और सिविल लाइंस जैसे इलाके भी बाढ़ प्रभावित हुए थे। इस दौरान करीब 23,000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था।
कब-कितना रहा जलस्तर?
दिल्ली में इस साल बुधवार यानी 3 सितंबर को यमुना नदी का जलस्तर 207 मीटर के पार चला गया है। इससे पहले साल 2023 में यमुना का जलस्तर सबसे ज्यादा 208.66 मीटर तक पहुंचा था। इसके अलावा साल 1978 में 207.49 मीटर, 2013 में 207.32 मीटर, 2010 में 207.11 मीटर दर्ज किया गया था। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 63 सालों में यमुना का जलस्तर 43 बार 205 मीटर के पार जा चुका है। इसके अलावा 14 बार 206 मीटर को पार किया है, जबकि सिर्फ 4 सालों में 207 मीटर के पार किया है।
हर साल होती है बाढ़ की स्थिति
बता दें कि यमुना नदी में हर साल बाढ़ की स्थिति होती है। हालांकि यह कम, मध्यम या तेज हो सकती है। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक, अगर यमुना नदी का जलस्तर 202.00 मीटर पहुंचता है, तो उसे कम तीव्रता वाली बाढ़ मानी जाती है। इस तरह की बाढ़ के दौरान किसी तरह के जान-माल का नुकसान नहीं होता है।
इसी तरह जलस्तर 204.22 से 205.44 मीटर के बीच में होता है, तो उसे मध्यम बाढ़ कहा जाता है। इस लेवल पर यमुना में गिरने वाले ज्यादातर नाले ओवरफ्लो होने लगते हैं। ऐसी स्थिति में कड़ी निगरानी रखी जाती है। वहीं, यमुना का जलस्तर 205.44 मीटर से ऊपर जाने पर बाढ़ का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। इस तरह की बाढ़ की स्थिति में हर पल निगरानी रखी जाती है।
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