Delhi Interesting Facts: दिल्ली के कनॉट प्लेस की रोचक कहानी, ब्रिटिश हुकूमत से जुड़ी है दास्तां
Delhi Interesting Facts: दिल्ली का कनॉट प्लेस एक बेहद फेमस जगह है। ये इलाका पूरी तरह से एक ही तरह की इमारत से घिरै हुआ है। क्या आप जानते हैं कि दिल्ली का दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस का नाता ब्रिटिश हुकूमत से है?
दिल्ली के कनॉट प्लेस का रहस्य
Delhi Interesting Facts: दिल्ली के कनॉट प्लेस को 'दिल्ली का दिल' कहा जाता है। यह दिल्ली की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। हर रोज यहां हजारों की संख्या में देशी-विदेशी सैलानी सुंदरता को निहारने और मौज-मस्ती करने आते हैं। शाम के समय तो यहां एक अलग नजारा देखने को मिलता है। जगह-जगह पर आम से लेकर खास दुकानें, सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स का एक हब, डांसर्स, सिंगर्स समेत तमाम लोग शाम को यहां देखने को मिलते हैं। कनॉट प्लेस की खूबसूरती तो खास है ही लेकिन साथ ही इसका इतिहास भी बेहद खास है।
कहा जाता है कि ब्रिटिश हुकूमत ने इसे लंदन की तर्ज पर बसाया था। अंग्रेज इसे मिनी लंदन बनाना चाहते थे। जिसके लिए ब्रिटिश के एक नामी आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट को सीपी को डिजाइन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इन दोनों ने ही कनॉट प्लेस को लंदन के पिकाडिली सर्कस की तरह गोलाकार दिया था। अंग्रेज अधिकारियों और बड़े रहीस लोगों के लिए यहां पर मनोरंजन से लेकर व्यापार तक के सभी साधन और सुविधा उपलब्ध कराई गई थीं।
दिल्ली को लंदन बनाने की कोशिश
चलिए जानते हैं आखिर दिल्ली को लंदन बनाने की कोशिश किस कारण की गई? साल 1911 में ब्रिटिश के राजा पंचम ने दिल्ली दरबार में भारत की राजधानी को कोलकाता से दिल्ली शिफ्ट करने का ऐलान कर दिया था। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि दिल्ली भारत के केंद्र बिंदु पर थी और यह मुगलों की पुरानी राजधानी भी रही थी। जैसे ही दिल्ली को भारत की राजधानी बनाने की घोषणा की गई, उसी समय अंग्रेजों के मन में दिल्ली को लंदन की तरह बनाने का ख्याल आया था।
दिल्ली को राजधानी बनाने की घोषणा करते ही इसको लंदन बनाने की तैयारी शुरु कर दी गई थी। दिल्ली के अंदर राजपथ(किंग्सवे), इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन(वायसराय हाउस), संसद भवन जैसी इमारतों को डिजाइन किया गया।
अंग्रेजों ने चली थी चाल
अंग्रेजों ने अपने लिए नई दिल्ली का निर्माण करवाया और पुरानी दिल्ली (शाहजहानाबाद) भारतीयों के लिए छोड़ दी थी। ऐसा करने के पीछे उनका उद्देश्य था कि वे भारतीय लोगों को अपने आप से दूर रखें। साथ ही देश के अमीर और गरीब वर्ग के लोगों के बीच खाई पैदा करके उनको अलग-थलग कर सकें। नई दिल्ली में चमचमाती सड़ंके, बंगलें और क्लब बनाए गए, ताकि अंग्रेज और बड़े लोग अच्छी सिविल लाइफ जी सकें।
कनॉट प्लेस का रहस्य
आज जिस जगह कनॉट प्लेस बसा है, यहां पर पहले जंगल हुआ करता था। जिसके अंदर जंगली जानवर घूमा करते थे। इस एरिया को पहले काका नांग गांव के नाम से जाना जाता था। इस जंगल को गोरों ने खूबसूरत रिहायशी इलाके में बदल दिया था। बाद में यहां पर गोरे और रहीस लोगों की महफिलें जमने लगीं। उनके मनोरंजन के लिए यहां पर हर साधन मौजूद हुआ करता था। हालांकि आज भी ये इलाका दिल्ली के रिहायशी और सभी सुविधाओं से लैस है।
सीपी बना भारत का पहला हाई स्ट्रीट मार्केट
कहा जाता है कि कनॉट प्लेस, भारत का पहला हाई स्ट्रीट मार्केट है। यहां पर अनेक अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही दुकानें और प्रतिष्ठान मौजूद हैं। यहां पर जैन बुक डिपो, बेंगस ब्रेकरी, रीगल सिनेमा और प्लाजा जैसे तमाम संस्थान हैं। सीपी के चारों ओर दो रिंग रोड, इनर सर्कल और आउटर सर्कल बनाए गए हैं। जो देखने में बिल्कुल गोलाकार के दिखाई देते हैं। पूरी सीपी शाही सफेद रंग से रंगी हुई है। पूरा सीपी लंबे और गोल-गोल खंभों पर टिका है। अब इसको ब्रिटिश भारत के वास्तुशिल्प, राजनीति और व्यापार का शानदार प्रतीक माना जाता है।