Delhi High Court: क्या कॉमन नामों को भी मिल सकता है ट्रे़डमार्क प्रोटेक्शन, हाईकोर्ट ने दिया ये जवाब
Trademark court case: कोर्ट ने कहा है कि आम भारतीय नागरिकों के नामों को ट्रेडमार्क के रूप में रजिस्टर तभी किया जा सकता है जब ये...
भारतीय आम नामों का ट्रेडमार्क में कोर्ट का फैसला
Trademark Court Case: दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में एक केस का फैसला किया है जिसमें कहा गया कि आम भारतीय नामों को ट्रेडमार्क के रूप में रजिस्टर और संरक्षित किया जा सकता है, लेकिन उसके लिए शर्त है। कोर्ट ने कहा है कि सामान्य व्यक्ति के नाम का ट्रेडमार्क पर अधिकार तभी माना जाएगा। जब उसकी उपयोग उपभोक्ताओं के बीच विशिष्ट पहचान होगी। प्रोडक्ट की अलग पहचान होगी।
क्या है पूरा विवाद?
याचिका दायर करने नेहा हर्बल की ओर से दावा किया गया कि वह 1992 से मेहंदी और हर्बल प्रोडक्ट के लिए 'नेहा' के ट्रेडमार्क को अपनाया था। इसे पहले नेहा इंटरप्राइजेज के नाम से जाना जाता था। 2012 में इस ट्रेडमार्क को नेहा हर्बल को सौंप दिया गया था। उन्होंने इस मार्क को हेयर कलर, डाई संबंधित उत्पादनों के लिए नेहा और नेहा हर्बल ट्रेडमार्क का पंजीकरण प्राप्त किया था।
“साहनी कॉस्मेटिक्स” के मालिक प्रतिवादी इंदर राज साहनी हैं, जिन्होंने यह दावा किया है कि वह 1990 से फेस क्रीम का उत्पादन 'नेहा' नाम के ट्रेडमार्क से कर रहे हैं। इसी मामले को लेकर दोनों ने कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसको लेकर काफी समय से विवाद चल रहा था। इस मामले में दिल्ली कोर्ट ने फैसला दिया है।
अदालत ने वादियों की अधिकार को मान्यता दी है और यह भी कहा कि नागरिकों के नामों पर दावे करने वालों को ठोस सबूतों देने की जरूरत होती है। अदालत ने साहनी कॉस्मेटिक्स की ट्रेडमार्क को बेबुनियाद मानते हुए याचिकाएं खारिज कर दीं। कोर्ट ने अपना फैसला नेहा हर्बल्स के पक्ष में सुनाते हुए प्रतिवादी को 'नेहा' नाम के और उससे संबंधित उत्पादों पर स्थाई रूप से रोक लगा दिया।
क्या है ट्रेडमार्क प्रोटेक्शन?
ट्रेडमार्क प्रोटेक्शन एक कानूनी तरीका है जिससे आपके ब्रांड को पहचान मिलती है। इस मार्क से प्रोडेक्ट को एक अलग पहचान मिलती है जिस वजह से वह दुसरे प्रोडेक्टों से अलग दिखता है। इससे कोई भी उत्पाद एक-दूसरे में मिक्स नहीं होता है।