यूकेलिप्टस पेड़ों की कटाई पर विवाद: स्थानीय और यूपी गैंग के बीच विवाद, झगड़ा बढ़ने की आशंका
सूरजपुर जिले में किसानों को झांसे में लेकर पेड़ कटाई के काम मे स्थानीय समेत यूपी का गैंग सक्रिय है। इस अवैध धंधे को लेकर हमेशा गैंगवार की स्थिति बनी रहती है।
कटे हुए पेड़
अनिल उपाध्याय- सीतापुर। छत्तीसगढ़ के सीतापुर जिले में पूर्ववर्ती सरकार द्वारा यूकेलिप्टस प्रजाति के पेड़ कटाई की दी गई अनुमति से क्षेत्र में तस्करों की बाढ़ सी आ गई है। किसानों को झांसे में लेकर पेड़ कटाई के काम मे स्थानीय समेत यूपी का गैंग सक्रिय है। जिनके बीच लकड़ी के इस अवैध धंधे में वर्चस्व को लेकर हमेशा गैंगवार की स्थिति बनी रहती है। इस संबंध में जानकारी के बावजूद तस्करों के विरुद्ध ठोस कार्यवाही के बजाए पुलिस और प्रशासन की चुप्पी से लकड़ी तस्करों के हौसले बढ़ते जा रहे हैं। समय रहते इनके विरुद्ध कार्यवाही नहीं कि गई तो एक दिन ये शांति व्यवस्था के लिए चुनौती बन जायेंगे।
ऐसा ही एक मामला कल ग्राम पंचायत आमाटोली के सुंदरनगर में देखने को मिला। जहाँ भूतपूर्व सैनिक दुर्जन राम भगत के निजी भूमि पर लगे यूकेलिप्टस की कटाई की अनुमति के लिए एसडीएम कार्यालय में आवेदन लगाया गया था। भूतपूर्व सैनिक के नाम से उक्त आवेदन ग्राम धरमपुर निवासी लकड़ी तस्कर के दलाल सुरेश ने लगाया था। एसडीएम कार्यालय द्वारा इस मामले में निरीक्षण कराने के बाद मात्र 10 पेड़ काटने की अनुमति दी गई। इस बात की भनक जब स्थानीय गैंग को लगी तो उन्होंने भूतपूर्व सैनिक को पैसों का प्रलोभन देते हुए उसे झांसे में लेकर पेड़ो की कटाई शुरू कर दी। जबकि इस कटाई की अनुमति के लिए दौड़धूप करने वाला लकड़ी दलाल स्थानीय लकड़ी तस्करों के सामने हाथ मलता रह गया। कुछ देर बाद इसकी भनक यूपी गैंग के लोगो को लगी तो वो भी दलबल समेत वहाँ आकर अपना दावा ठोकने लगे। इस दौरान घँटों मौके पर निर्मित तनाव की वजह से गैंगवार की स्थिति निर्मित हो गई थी। काफी देर बाद जब हालात सामान्य हुए तब स्थानीय लकड़ी तस्कर गैंग ने लकड़ी कटाई शुरू कराई। इस दौरान लकड़ी तस्करों ने एसडीएम द्वारा दी गई 10 पेड़ो की कटाई की अनुमति को ताक पर रखते हुए बेहिसाब पेड़ कटवा डाले।
लकड़ी तस्कर ने भौतिक सत्यापन करने गए राजस्व अमला से की हुज्जत
लकड़ी तस्करों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही के अभाव में इनके हौसले इतने बढ़ गए है कि ये अपने आगे किसी को नही समझते। लकड़ी कटाई के दौरान उच्चाधिकारियों के निर्देश पर जब राजस्व अमला वहाँ लकड़ी कटाई का पंचनामा करने पहुँचा। तब लकड़ी तस्कर एवं उसके गुर्गों ने राजस्व अमले के साथ जमकर हुज्जतबाजी की और मौके पर धमकाया। इस बात की जानकारी जब एसडीएम को लगी तब उन्होंने मौके पर पुलिस बल भेजकर भौतिक सत्यापन एवं पंचनामा करवाया। राजस्व अमला के साथ हुज्जतबाजी करने वाले पुलिस को देखते ही वहाँ से रफूचक्कर हो गए थे। अपने उच्चाधिकारी का निर्देश पर मौके पर सत्यापन करने गए राजस्व अमला के साथ लकड़ी तस्करों का ते दुस्साहस देख यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि कार्यवाही के अभाव में इनके हौसले कितने बुलंद हैं।
वन विभाग ने खड़े किए हाथ
इस मामले में जब वनपरिक्षेत्राधिकारी विजय कुमार तिवारी से बात की गई तो उन्होंने इसे राजस्व विभाग का मामला बताते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया। उनका कहना था कि निजी भूमि पर लकड़ी कटाई की अनुमति एसडीएम देते है। एसडीएम की अनुमति के साथ ही लकड़ी कटाई एवं परिवहन का भी अधिकारी कटाई करने वाले को मिल जाता है। इस मामले में वन विभाग किसी तरह का दखलंदाजी नही दे सकता है, न हम लकड़ी पकड़ सकते है और न ही कोई कार्यवाही कर सकते है। अगर बिना अनुमति के लकड़ी कटाई और ढुलाई हो रही हो तब वन विभाग कार्यवाही कर सकती है।
एसडीएम ने की कार्यवाही
इस संबंध में जब एसडीएम नीरज कौशिक से बात की गई तब उन्होंने बताया कि इस मामले में जब्ती की कार्यवाही की गई है। जब्त लकड़ी पुलिस की अभिरक्षा में है। अब अनुमति से ज्यादा लकड़ी कटाई पर जब्ती के बाद जुर्माने की कार्यवाही की जायेगी।
पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार ने बनाये थे नियम
पूर्व में कांग्रेस की सरकार ने किसानों के निजी भूमि पर लगे यूकेलिप्टस प्रजाति के पेड़ों की कटाई के लिए नियम बनाये थे। इस नियम के तहत किसानों को अपने स्वामित्व की भूमि पर लगे पेड़ की कटाई के लिए एसडीएम कार्यालय में आवेदन देना होगा। जिसके बाद राजस्व विभाग एवं वन विभाग के मैदानी अमला द्वारा निरीक्षण के बाद सौंपी गई रिपोर्ट के आधार पर एसडीएम पेड़ काटने की अनुमति प्रदान करते है। इस अनुमति के तहत प्रति एकड़ में केवल 4 पेड़ और साल भर में केवल 10 पेड़ काटे जाने की अनुमति दी जाती है। पूर्ववर्ती सरकार द्वारा यह नियम लागू करते ही क्षेत्र में लकड़ी तस्कर सक्रिय हो गए और किसानों को झांसे में लेकर उनके नाम से एसडीएम कार्यालय में आवेदन लगाने लगे। वहाँ से अनुमति मिलते ही तस्कर 10 की आड़ में सैकड़ों पेड़ो की कटाई कर उत्तरप्रदेश में खपाने लगे। इस काम मे होने वाली मोटी कमाई देख उत्तरप्रदेश उत्तराखंड हरियाणा के तस्करों ने छत्तीसगढ़ का रुख किया क्षेत्र में फैलकर स्थानीय लोगों के साथ मिलकर लकड़ी की तस्करी करने लगे।
बाहरी राज्यों के लोगों ने जमाया कब्जा
इस दौरान राजस्व एवं वन विभाग द्वारा अवैध कटाई के विरुद्ध कार्यवाही भी की पर इन पर कोई असर नही हुआ। देखते भर में उत्तरप्रदेश समेत अन्य राज्यों से भारी संख्या में आये लकड़ी तस्करों ने स्थानीय तस्करों को किनारे करते हुए लकड़ी कटाई के काम में अपना कब्जा जमा लिया। जिसकी वजह से क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ गया और स्थानीय लोग एवं इनके बीच तनाव की स्थिति निर्मित होने लगी। लकड़ी तस्करी में बाहरी लोगों के बढ़ते वर्चस्व की वजह से कई बार क्षेत्र में गैंगवार की स्थिति तक निर्मित हो चुकी है। इतना सब कुछ होने के बाद भी बाहर से आये लकड़ी तस्करों के विरुद्ध पुलिस प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नही किया जाना कई सवालों को जन्म देता है। आखिरकार ये बाहरी तत्व किसके बलबूते बेखौफ होकर अपने मंसूबो को अंजाम दे रहे है जो पुलिस और प्रशासन भी इनके विरुद्ध कार्यवाही करने से कतरा रही है। अब तो इन तस्करों के हौसले इस कदर बढ़ गए है कि ये बिना प्रशासनिक अनुमति के अवैध रूप से पेड़ो की कटाई कर तस्करी करने लगे है। इनके खौफ से कोई इनके अवैध कटाई का विरोध नही कर पाता है। जिसका नाजायज फायदा उठाते हुए ये तस्कर यूकेलिप्टस की आड़ में बबुल सेमर समेत खम्हार एवं अन्य प्रजाति की इमरती लकड़ी की बेधड़क कटाई कर बाहर खपा रहे है।
पेड़विहीन हो रहे गांव के गांव
इनके द्वारा की जा रही पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की वजह से गांव के गांव पेड़ विहीन होते जा रहे हैं। अगर क्षेत्र में लकड़ी तस्करों का यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में पेड़ की छाया तो दूर लोग पेड़ देखने को तरस जायेंगे। अगर समय रहते इन अवैध तस्करी में संलिप्त तस्करों के विरुद्ध कार्यवाही नही की गई तो आने वाले दिनों में जंगल का जंगल साफ हो जायेगा। इसके अलावा इनके बीच बढ़ते प्रतिस्पर्धा से कभी भी क्षेत्र में गैंगवार की स्थिति निर्मित हो सकती है। क्षेत्र के लोगों ने वैध अनुमति की आड़ में अवैध रूप से की जा रही पेड़ो की कटाई पर प्रशासन एवं वन विभाग से रोक लगाने की मांग की है। ताकि गांव से पेड़ो का अस्तित्व समाप्त होने से पहले उसे बचाया जा सके। अब देखना ये लाजमी होगा कि इन लकड़ी तस्करों द्वारा की जा रही अवैध पेड़ों की कटाई के विरुद्ध पुलिस और प्रशासन क्या रुख अपनाते है।