शराब कारोबार से बिचौलिए बाहर : साय ने सरकार की साख को दी प्राथमिकता

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली सरकार ने शराब के कारोबार से बिचौलियों को बाहर करने का निर्णय लेने के साथ ही ब्रेवरेज कार्पोरेशन की व्यवस्था को बहाल कर दिया है।

Updated On 2024-06-22 11:44:00 IST
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

रायपुर। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली सरकार ने शराब के कारोबार से बिचौलियों को बाहर करने का निर्णय लेने के साथ ही ब्रेवरेज कॉर्पोरेशन की व्यवस्था को एक बार फिर बहाल कर दिया है। इस संबंध में पिछले दिनों की मुख्यमंत्री अध्यक्षता में हुई कैबिनेट में निर्णय लिया गया था। खास बात ये है कि, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में कार्यकाल में ब्रेवरेज कॉर्पोरेशन की भूमिका को समाप्त कर एफएल 10 ए और बी लाइसेंस जारी करने की शुरुआत की गई थी। अब सरकार ने इसे पूरी तरह खत्म कर दिया है।

जानकार सूत्रों के अनुसार, छत्तीसगढ़ राज्य गठन के समय तत्कालीन जोगी सरकार ने ब्रेवरेज कॉर्पोरेशन का गठन कर राज्य में शराब की खरीदी इस कॉर्पोरेशन के माध्यम से शुरू करवाई थी, लेकिन 2018 में बनी कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में एफएल 10 ए और एफएल 10 बी. लाइसेंस देने की शुरुआत की गई थी। एफएल 10 ए लाइसेंस करीब 10 लोगों को आवंटित किए गए थे। ये लाइसेंसधारी शराब निर्माताओं से शराब खरीदकर राज्य सरकार की स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन को शराब सप्लाई का काम करते थे। मार्केटिंग कॉर्पोरेशन शराब को सरकारी दुकानों से बिकवाने का काम करता था।

सीएम चाहते हैं स्वच्छ छवि

जानकार सूत्रों का कहना है कि,  शराब खरीदी संबंधी नीति बदलने के पीछे सरकार की मंशा ये है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की छवि स्वच्छ और साफ सुथरी रहे। दरअसल मुख्यमंत्री के पास आबकारी विभाग भी है। ऐसे में मुख्यमंत्री चाहते हैं कि शराब के मामले को लेकर किसी प्रकार का आक्षेप सामने न आए। लेकिन यह तभी संभव था जब शराब के कारोबार से बिचौलिए बाहर हो जाएं।

पारदर्शिता स्वागत योग्य- देवजी

पूर्व विधायक एवं बेवरेज कॉर्पोरेशन के पूर्व अध्यक्ष देवजी पटेल का कहना है कि साय सरकार के इस कदम से शराब के कारोबार में पारदर्शिता आएगी और सरकार को मिलने वाला राजस्व भी बढ़ेगा। एफएल 10 ए और बी लाइसेंस सिस्टम खत्म करना सरकार का स्वागत योग्य कदम है।

लाइसेंसधारियों की मनमानी अब खत्म

राज्य में एफएल 10 ए लायसेंसधारी अपने हिसाब से शराब कंपनियों से शराब खरीदकर मार्केटिंग कॉर्पोरेशन को सप्लाई करते थे। लेकिन इस पूरे सिस्टम में कहीं भी पारदर्शिता नहीं थी। ये लायसेंसधारी शराब निर्माता कंपनियों से कमीशन के आधार पर खरीदी करते थे। यही वजह थी कि जिन कंपनियों से शराब खरीदने में अधिक लाभ होता था, वही ब्रांड अधिक मात्रा में लिए जाते थे। इसके कारण शराबी के शौकीनों के कई पंसदीदा ब्रांड नहीं मिल पाते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। बेवरेज कार्पोरेशन के माध्यम से साल भर के लिए रेट कांट्रेक्ट के आधार पर खरीदी होने से शराब की कीमतें स्थिर हो सकती है। ऐसा होने से सरकार को राजस्व भी अधिक मिलेगा। इसके साथ ही सभी तरह के ब्रांड भी शौकीनों के लिए उपलब्ध होंगे।

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