रणबोर मेला : छत्तीसगढ़ आस्था और विश्वास के साथ भाई-बहन के प्यार एवं त्याग का प्रतीक

यूं तो छत्तीसगढ़ में अनेक बड़े मेले लगते हैं, लेकिन बलौदाबाजार जिले के गातापार में आयोजित होने वाला रणबोर मेला अनूठा ही है।

By :  Ck Shukla
Updated On 2025-01-09 12:22:00 IST
रणबोर मेला

कुश अग्रवाल- बलौदाबाजार। छत्तीसगढ़ में मड़ई मेलों का खास महत्व है। ऐसा ही एक प्रसिद्ध मेला बलौदाबाजार जिले के पलारी विकासखंड के ग्राम गातापार में आयोजित किया जाता है, जिसे रणबोर मेला कहा जाता है। यह मेला भाई-बहन के प्रेम, त्याग और बलिदान की अनोखी कहानी से जुड़ा हुआ है। हर साल पूस महीने के शुक्ल पक्ष में तीन दिनों तक चलने वाले इस मेले में प्रदेशभर से लाखों श्रद्धालु जुटते हैं और माता के मंदिर के दर्शन करते हैं। यह मेला इस साल 9 जनवरी से लेकर 11 जनवरी तक चलेगा। 

रणबोर मेले की पौराणिक कहानी

इस मेले की कहानी एक भाई और बहन के रिश्ते की पवित्रता को दर्शाती है। बताया जाता है कि पलारी विकासखंड के सकरी दतान गांव का एक युवक अपनी बहन को तीजा-पोला पर्व के लिए अपने गांव लेकर जा रहा था। रास्ते में दोनों ने गातापार के एक छोटे सरोवर में पानी पीने के लिए विश्राम किया। इसी दौरान झाड़ियों में छिपे एक शेर ने बहन पर हमला कर दिया। भाई ने अपनी बहन को बचाने के लिए शेर से संघर्ष किया। इस संघर्ष में दोनों घायल हो गए। बहन की मृत्यु सरोवर के पास हो गई और कुछ दूरी पर भाई ने भी दम तोड़ दिया। जिस स्थान पर बहन की मृत्यु हुई, वहां एक कुंड बन गया। वहीं, भाई का शरीर पत्थर में तब्दील हो गया, जिसे आज भी देखा जा सकता है। 

अनोखा कुंड: चमत्कार का प्रतीक

रणबोर मेले का मुख्य आकर्षण अनोखा कुंड है। इस कुंड की खासियत यह है कि इसमें कितना भी पानी डालो, यह कभी नहीं भरता। लेकिन ग्राम सकरी से लाए गए दूध को कुंड में डालते ही यह तुरंत भर जाता है और दूध छलकने लगता है। यह चमत्कार श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विश्वास का प्रतीक बन गया है।

रणबोर दाई मंदिर

जहां यह कुंड स्थित है, वहां शक्ति स्वरूपा माता दुर्गा का मंदिर बनाया गया है। देवी को यहां रणबोर दाई के रूप में पूजा जाता है। हर साल पुस महीने के शुक्ल पक्ष के अंतिम गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को यह तीन दिवसीय मेला आयोजित होता है।

मेले का सांस्कृतिक महत्व

यह मेला छत्तीसगढ़ की लोक परंपरा और आस्था का जीवंत उदाहरण है। मेले में दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु पहुंचकर रणबोर दाई का आशीर्वाद लेते हैं। इसके साथ ही इस अनोखे कुंड को देखने और चमत्कार को महसूस करने के लिए भारी संख्या में लोग जुटते हैं। रणबोर मेला भाई-बहन के प्रेम, बलिदान और विश्वास की अनोखी परंपरा को दर्शाता है। यह मेला न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत को भी आगे बढ़ाता है।

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