पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक पहल: महानदी किनारे 14 किमी. दूर तक लगाए जाएंगे नारियल के 4 हज़ार पौधे
धमतरी जिले के नगरी में महानदी किनारे गणेशघाट तक 14 किमी लंबी पट्टी में लगभग 4000 नारियल के पौधों का वृहद पौधारोपण किया जाएगा।
पौधा रोपते हुए
अंगेश हिरवानी - नगरी। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले से पर्यावरण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल सामने आई है। वनांचल क्षेत्र सिहावा में स्थित महेंद्रगिरी पर्वत से निकली जीवनदायिनी महानदी अब केवल एक नदी ही नहीं रही, बल्कि जनभागीदारी, पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की एक सशक्त प्रतीक बनकर उभर रही है। इसी क्रम में महानदी जागरूकता माँ अभियान के अंतर्गत 18 जुलाई को फरसियां से गणेशघाट तक 14 किलोमीटर लंबी पट्टी में लगभग 4000 नारियल के पौधों का वृहद वृक्षारोपण अभियान चलाया गया।
नारियल के पौधे रोपने में इनकी रही भागीदारी
इस ऐतिहासिक अभियान का शुभारंभ कलेक्टर अबिनाश मिश्रा द्वारा नारियल पौधा रोपण कर किया गया। इस अवसर पर वन मंडलाधिकारी जाधव श्रीकृष्णा, जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी रोमा श्रीवास्तव, प्रकाश बैस, क्षेत्र के सरपंचगण, जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित रहे। सभी ने सामूहिक रूप से नारियल के पौधे रोपकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सहभागिता दर्ज कराई।
व्यापार और रोजगार में बढ़ोतरी का प्रयास
कलेक्टर मिश्रा ने बताया कि, नगरी क्षेत्र का भौगोलिक व जलवायु परिस्थितियां नारियल वृक्ष के लिए उपयुक्त पाई गई हैं। कृषि विज्ञान केंद्र और अन्य विशेषज्ञ संस्थानों के माध्यम से परीक्षण कर इसकी पुष्टि की गई है। उन्होंने कहा कि, नारियल की खेती से किसानों को दीर्घकालिक आमदनी का एक नया विकल्प मिलेगा। किसान अपने खेतों, मेड़ों और घर के आसपास नारियल के पौधे लगाकर आर्थिक रूप से सशक्त हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि, ग्राम सेमरा में नारियल की नर्सरी की स्थापना की जा रही है, जिससे भविष्य में गुणवत्तापूर्ण पौधों की सतत आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी। वहीं, नगरी से गरियाबंद को जोड़ने वाले मार्ग नाला निर्माण के लिए भी टेंडर जारी हो गया। जल्द ही कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा। इससे नगरी और गरियाबंद जिले की दूरी कम होगी तथा व्यापार और रोजगार में बढ़ोतरी होगी। इस अवसर पर उन्होंने मछुआ समिति को मछली जाल वितरित किए। साथ ही नारियल के पौधों का भी वितरण किया।
इन कार्यों के विकास की योजना बनाई गई
गणेशघाट क्षेत्र, श्रृंगीऋषि पहाड़ और आश्रम क्षेत्र में पेंटिंग जैसे सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों के पास यह वृक्षारोपण पर्यटन को भी नया आयाम देगा। इसके अतिरिक्त, आजीविका संवर्धन हेतु महिला समूहों के माध्यम से बांस उत्पादन, कोशा निर्माण और अन्य लघु उद्यमों के प्रोजेक्ट्स को जल्द ही जमीन पर उतारने की योजना बनाई गई है। यह अभियान न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर है, बल्कि महानदी के तटीय क्षेत्र में हरित पट्टी के विकास से पारिस्थिति की तंत्र सुदृढ़ होगा और स्थानीय समुदायों की आजीविका के नए द्वार खुलेंगे।