वन डिपो में दाह संस्कार तक के लिए लकड़ी नहीं: जमीन पर हुआ अतिक्रमण, विभाग मौन

कोतबा वनविभाग के कर्मियों के नही रहने से चारों ओर गंदगी से पटी हुई है। डीपो के चारों ओर छोटे-बड़े दुकानदार अतिक्रमण कर दुकानदारी कर रहें है।

By :  Ck Shukla
Updated On 2025-07-29 16:40:00 IST

जमीन पर हुआ अतिक्रमण

मयंक शर्मा-कोतबा। कारगिल चौक पर स्थित वन डीपो वन विभाग की उदासीनता से उपेक्षित पड़ा है। यहां वनकर्मियों के लिये बनाये गए भवन तो हैं, लेकिन देखरेख के अभाव में जर्जर पड़े हैं। वनविभाग के कर्मियों के नही रहने से चारों ओर गंदगी से पटी हुई है। डीपो के चारों ओर छोटे-बड़े दुकानदार अतिक्रमण कर दुकानदारी कर रहें है, लेकिन वन विभाग अभी तक कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। वनकर्मियों के नहीं रहने से आसपास के जंगलों से अवैध कटाई हो रही हैं। नगर में खुलेआम लकड़ियों का गोरखधंधा चल रहा है।

हजारों हेक्टेयर वन क्षेत्र अतिक्रमण की चपेट में
एक ओर पुरे देश में सरकार की ओर से लोगों को वन संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए सरकार की ओर से वन महोत्व व अन्य कई प्रकार के कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं और दूसरी ओर वन विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के कारण वन भूमि अतिक्रमण की भेंट चढ़ रही है। जशपुरांचल में हजारों हेक्टेयर वन क्षेत्र अतिक्रमण की चपेट में हैं।

अतिक्रमण हटाने के लिए चलाया अभियान
प्रदेश में वन भूमि अतिक्रमियों के निशाने पर बनी हुई हैं। ऐसे में हरित छत्तीसगढ़ का सपना अधूरा ही रह गया है। वन विभाग की ओर से कोरम पुरा करने के लिये समय-समय पर वन भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चलाया जाता है। लेकिन इसके बाद भी अब तक वन विभाग को अधिक सफलता नहीं मिल सकी हैं।

दाह संस्कार के लिये नहीं है डीपो में लकड़ी
बिडंबना है कि, वनविभाग अपने नैतिक कर्तव्यों के निर्वहन में भी लापरवाही बरत रहा हैं। यहां वनडीपो में एक भी लकड़ी नहीं है। ऐसे स्थिति में किसी व्यक्ति के मृत्यु के बाद हिन्दू रीतिरिवाज के अनुसार उन्हें दाह संस्कार की आवश्यकता के लिये लकड़ी की जरूरत होती हैं। बावजूद इसके लिये लोगों को भटकना पड़ता है।

चंदे की लकड़ी से होता हैं अंतिम संस्कार
अक्सर देखा गया है कि जब किसी की मौत होती है तो, ट्रेक्टर या बैलगाड़ी से नगर के मोहल्लों में जाकर लकड़ियों का चंदा किया जाता हैं। या तो किसी के घरों या बगीचे में सूखे पेड़ों को मांगकर दाह संस्कार करना पड़ता हैं। कुछ वर्ष पूर्व तो एक हिन्दू परिवार के व्यक्ति की मौत के बाद उन्हें लकड़ी नहीं मिलने के अभाव में हिन्दू रीतिरिवाज के विपरीत मिट्टी में दफनाना पड़ा था। इस दौरान वनविभाग की खूब किरकिरी हुई थी। बावजूद वनविभाग अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है।

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