आंगनबाड़ी महिला कार्यकर्ता का सम्मान: संघर्ष का दूसरा नाम ही नारी शक्ति है - दीपिका शोरी
जगदलपुर में आदिवासी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता महादेवी कश्यप के कार्यों से प्रभावित होकर अधिवक्ता दीपिका शोरी ने सम्मानित किया है।
सम्मानित करते हुए
लीलाधर राठी - सुकमा। छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में पोटानार की रहने वाली आदिवासी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता महादेवी कश्यप को सम्मानित किया गया। महादेवी के कार्य से प्रभावित होकर छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की सदस्य अधिवक्ता दीपिका शोरी ने शाल एवं श्रीफल देकर सम्मानित किया
जानकारी के अनुसार, जगदलपुर के पोटानार की निवासी महादेवी कश्यप का बाल विवाह हुआ था। पुत्र प्राप्ति के बाद महादेवी को उसके पति ने घर ने निकाल दिया था। उसके पश्चात महादेवी नारिनिकेतन में रहीं। उसके पश्चात किसी अधिकारी ने उसे 1999 में तत्कालीन दंतेवाड़ा वर्तमान में सुकमा जिले के बोड़को पंचायत के पलिया ग्राम में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पद पर नियुक्ति दिलवा दी। उसके बाद महादेवी अपने एक अबोध पुत्र के साथ उस गांव को अपना कर्मक्षेत्र समझ लिया व आज पर्यंत तक अपनी सेवा दे रही है।
अपने पुत्र को पढ़ा कर बनाया शिक्षक
महादेवी स्वयं कई प्रकार के संघर्षों से जीवन भर जूझती रही। पर यह सोच की अगर उसने उच्च शिक्षा प्राप्त की होती तो किसी अच्छे पद पर नियुक्ति मिलती। इस सोच के साथ अपने पुत्र शिवचरण कश्यप को हर मुसीबतों से दूर रखकर उसे उचित शिक्षा प्रदान की जिसके बदौलत उनका पुत्र शिवचरण जिला बस्तर के विकासखण्ड लोहंडीगुड़ा के उसरिबेडा में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं व समन्वयक के दायित्व पर हैं।
बारिश में होती है बहुत परेशानी
महादेवी कहती हैं कि, जीवन में हर किसी व्यक्ति को संघर्षो से सामना करना पड़ता है पर जरूरत है कि, आप अपनी ईमानदारी और जिम्मेदारी से कार्य करते रहें, सबके अच्छे दिन अवश्य आते हैं। महादेवी ने बताया कि, मेरे आंगनबाड़ी केंद्र एवं पंचायत मुख्यालय के बीच एक नदी है। जिसे पार कर हम लोगों को खाद्यान्न लेने व मीटिंग हेतु जाना पड़ता है। सीने तक पानी होने के बावजूद भगवान का नाम लेकर नदी पार करते हैं। भारी बारिश में प्रत्येक माह तीन से चार दफा हमें मौत का सामना करते हुए खाद्यान्न एवं मीटिंग में जाने हेतु नदी पार करना पड़ता है ।
संघर्ष का दूसरा नाम ही नारी शक्ति है - अधिवक्ता दीपिका
आंगनबाड़ी केंद्र पलिया की स्तिथि बहुत ही खराब है। बारिश के दिनों में इतना ज्यादा पानी का रिसाव होता है कि, महादेवी स्वयं बाल्टी में भरकर पानी भवन से बाहर फेंकती हैं और भवन के मरम्मत की मांग कर रही हैं। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की सदस्य अधिवक्ता दीपिका शोरी ने कहा कि, संघर्ष का दूसरा नाम ही नारी शक्ति है। मैं बहुत दिनों से महादेवी के कार्यों को देख रही थी कि, उन्होंने कितने संघर्ष से अपना जीवन व्यतीत किया व विभिन्न परिस्थितियों और कम आमदनी में रहने के बाद भी अपने पथ से हटी नहीं और एक मिशाल खड़ी की मैं ऐसी समस्त नारी शक्तियों को प्रणाम करती हूं।