मार्केट में महंगी खाद: किसानों ने उठाया 100 करोड़ ज्यादा कर्ज
छत्तीसगढ़ में इस साल खरीफ सीजन में राज्य के किसानों ने पिछले साल के मुकाबले अब तक सहकारी सोसाइटियों से 100 करोड़ रुपयों से अधिक का कर्ज उठा लिया है।
खाद
रायपुर। छत्तीसगढ़ में इस साल खरीफ सीजन में राज्य के किसानों ने पिछले साल के मुकाबले अब तक सहकारी सोसाइटियों से 100 करोड़ रुपयों से अधिक का कर्ज उठा लिया है। ऐसा कहा जा रहा है स कि डीएपी खाद के संकट ने कर्ज का आंकडे में इजाफा किया है। जानकारों का कहना है कि सोसाइटी से डीएपी नहीं मिलने पर किसानों को खुले बाजार से महंगी दरों पर यह खाद खरीदने की मजबूरी है। इसी वजह से सोसाइटियों से किसान ज्यादा कर्ज ले रहे हैं।
राज्य में किसानों को अब तक सोसाइटियों से 4105 करोड़ रुपयों का कर्ज व आदान सामग्री बांटी जा चुकी है। पिछले साल के मुकाबले बात की जाए तो इस साल किसानों ने अब तक पिछले साल से 100 करोड़ रुपए अधिक कर्ज लिया है। सहकारी क्षेत्र के माध्यम से किसानों को इस साल 7 800 करोड़ रुपयों का ऋण देने का लक्ष्य रखा गया है। इस हिसाब से लक्ष्य का आधा ऋण बांटा जा चुका है।
विकल्प भी गायब
डीएपी के विकल्प के रूप में एनपीके का आवंटन किया जा रहा था, लेकिन सोसाइटियों से अभी एनपीके भी गायब है। मानसून आ चुका है और बोआई का समय है, इसलिए किसानों को मजबूरी में खुले बाजार से ज्यादा कीमत पर खाद खरीदनी पड़ रही है।
डीएपी खाद के संकट में डूबे किसान
इधर राजधानी रायपुर के आसपास के गांवों से लेकर राज्य के दूरदराज के इलाकों तक से किसानों को डीएपी खाद नहीं मिलने का संकट गहरा गया है। किसानों की मानें तो हालत ये है कि सोसाइटी से डीएपी न मिलने की स्थिति में सोसाइटी से कर्ज लेकर खुले बाजार से डीएपी खरीद रहे हैं। बताया गया है कि खुले बाजार में डीएपी का रेट 1750-1800 रुपए तक हो गया है। जबकि सोसाइटी में इसका रेट 1350 रुपए है।
4 लाख 5 हजार टन खाद का वितरण
अपेक्स बैंक के सूत्रों के अनुसार, राज्य में अब तक 5 लाख 65 हजार मीट्रिक टन खाद का भंडारण किया गया है। इसमें से 4 लाख 5 हजार मीट्रिक टन खाद का वितरण हो चुका है। जबकि सोसाइटियों के पास 1 लाख 60 हजार मीट्रिक टन खाद शेष है। सोसाइटियों में डीएपी को छोड़कर अन्य प्रकार की खाद जैसे एनपीके, सुपर फास्फेट, व अन्य खाद मौजूद है। राज्य में डीएपी खाद भंडारण 78 हजार मीट्रिक टन का लक्ष्य रखा गया है। इसमें से 58 मीट्रिक टन का वितरण किया जा चुका है। 14 हजार मीट्रिक टन का उठाव बाकी है। दूसरी ओर एक अपुष्ट जानकारी ये भी सामने आई है कि सरकार ने पूर्व में डीएपी के भंडारण का जो लक्ष्य रखा गया था, उसे कम कर दिया गया है। कम लक्ष्य के हिसाब से देखा जाए तो लक्ष्य के मुकाबले 92 प्रतिशत डीएपी का वितरण हो चुका है। लेकिन अभी भी किसानों की ओर से डीएपी की सप्लाई की मांग में तेजी बनी हुई है, पर सप्लाई नहीं हो पा रही है।