अचूक युक्ति साबित हुआ युक्तियुक्तकरण: एक भी स्कूल नहीं रहा शिक्षकविहीन, बना पढ़ाई का बेहतर वातावरण
छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था में युक्तियुक्तकरण के बाद बेहतर परिणाम देखने को मिल रहा है। अब एक भी स्कूल शिक्षकविहीन नहीं है, इससे ड्रॉपआउट दर में कमी आने की संभावना बनी है।
छत्तीसगढ़ का एक भी स्कूल शिक्षकविहीन नहीं रहा
रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की युक्तियुक्तकरण की युक्ति ने कमाल कर दिया। प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में युक्तियुक्तकरण के बाद बेहतर परिणाम देखने को मिल रहे हैं। प्रदेश में युक्तियुक्तकरण के पूर्व कुल 453 विद्यालय शिक्षकविहीन थे। अब युक्तियुक्तकरण के बाद एक भी स्कूल शिक्षकविहीन नहीं है।
इसी प्रकार युक्तियुक्तकरण के पश्चात प्रदेश के 5936 एकल शिक्षकीय विद्यालयों में से 4728 विद्यालयों में शिक्षकों की पदस्थापना की गई है जो कि, शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक सार्थक कदम है। जिससे निःसंदेह उन विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था में सुधार होगा और अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लाभ मिलेगा।
रायगढ़ जिले के पाकरगांव स्कूल में अब दो शिक्षक
रायगढ़ जिले के लैलूंगा विकासखंड के पाकरगांव स्थित प्राथमिक शाला इसका जीवंत उदाहरण बन चुकी है। लंबे समय तक शिक्षकविहीन रह चुकी यह शाला अब शिक्षा की आवाज़ से गूंज रही है। पाकरगांव का यह स्कूल पहले चार वर्षों तक एकल शिक्षक के भरोसे संचालित होता रहा। बाद में शिक्षक के अन्यत्र तबादले के कारण स्कूल पूरी तरह शिक्षकविहीन हो गया। परिणामस्वरूप बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई और पालकों में भी अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ने लगी थी। कई बच्चों ने स्कूल आना तक बंद कर दिया था। सरकार द्वारा लागू युक्तियुक्तकरण के तहत अब पाकरगांव प्राथमिक शाला को दो शिक्षक उपलब्ध कराए गए हैं। इनकी नियमित उपस्थिति से विद्यालय की गतिविधियाँ फिर से सुचारू रूप से शुरू हो गई हैं। बच्चों को अब न केवल अक्षरज्ञान मिल रहा है, बल्कि हिंदी, अंग्रेजी और गणित जैसे विषयों की व्यवस्थित शिक्षा भी मिल रही है। अंग्रेजी शब्दों का उच्चारण, हिंदी के पाठ, पहाड़े और गणित के सवालों के साथ कक्षा में फिर से रौनक लौट आई है।
जशपुर जिले के हर स्कूल में अब शिक्षक
जशपुर जिले के स्कूलों में अब पढ़ाई की गूंज सुनाई देने लगी है। कभी शिक्षकविहीन और एकल शिक्षक के भरोसे चल रहे विद्यालयों में युक्तियुक्तकरण के बाद स्थायी शिक्षकों की तैनाती से शिक्षा व्यवस्था में बड़ा सुधार देखने को मिल रहा है। जिले के मनोरा विकासखंड स्थित प्राथमिक शाला गीधा में जब नए शिक्षकों की पदस्थापना हुई, तो विद्यालय की तस्वीर ही बदल गई। अब बच्चे पूरे उत्साह से स्कूल पहुँच रहे हैं, नियमित पढ़ाई कर रहे हैं और विभिन्न गतिविधियों में भी सक्रिय भागीदारी निभा रहे हैं। जिले में युक्तियुक्तकरण से पहले 15 शिक्षकविहीन स्कूल थे, जिनमें 14 प्राथमिक और एक हाईस्कूल शामिल था। अब इन सभी स्कूलों में शिक्षक पदस्थ कर दिए गए हैं। प्राथमिक शालाओं में 28 और हाईस्कूल में 6 शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। इसके अलावा जिले की 262 एकल शिक्षक वाले प्राथमिक विद्यालयों में भी अतिरिक्त शिक्षकों की तैनाती करते हुए इनकी संख्या शून्य कर दी गई है।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में असमानता हुई दूर
सीएम विष्णुदेव साय की दूरदृष्टि और संकल्प के अनुरूप यह पूरी प्रक्रिया राज्य के शिक्षा तंत्र को और अधिक सुदृढ़ करने की दिशा में मील का पत्थर बनकर उभरी है। उनका कहना है कि युक्तियुक्तकरण का मुख्य उद्देश्य शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता में समानता लाना है। जहां जरूरत अधिक है, वहां अधिक संसाधन और शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित की जा रही है। छात्र संख्या के अनुसार शिक्षकों का समायोजन कर ऐसे स्कूलों को नजदीकी सुविधायुक्त विद्यालयों से जोड़ा गया है, जहां संसाधनों की उपलब्धता अधिक है। इससे बच्चों को एक बेहतर शैक्षणिक माहौल और सभी विषयों में विशेषज्ञता प्राप्त शिक्षकों से सीखने का अवसर मिल रहा है। गौरतलब है कि यह पूरी कवायद राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुरूप की गई है, जिससे विशेषकर दूरस्थ, आदिवासी और ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता को नए स्तर पर ले जाया जा सके।
पर्याप्त शिक्षकों की तैनाती से शैक्षिक वातावरण में आया बदलाव
राज्य शासन द्वारा प्रारंभ की गई युक्तियुक्तकरण नीति का प्रभाव अब गांव-गांव में नजर आने लगा है। रायगढ़ जिले के तमनार विकासखंड अंतर्गत ग्राम पतरापारा महलोई स्थित शासकीय प्राथमिक शाला में शिक्षकों की नई पदस्थापना से शैक्षणिक वातावरण में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है। अपने बच्चे को स्कूल छोड़ने आई प्रमिला परजा ने कहा कि अब उनके बच्चे घर लौटकर स्कूल की पढ़ाई और गतिविधियों के बारे में खुशी से बताते हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व में उन्हें इस बात की चिंता रहती थी कि एक शिक्षक इतने सारे बच्चों को कैसे सम्हालेंगे, लेकिन अब दो शिक्षकों की नियुक्ति से बच्चों को ध्यानपूर्वक पढ़ाया जा रहा है और वे पढ़ाई में भी अधिक रुचि लेने लगे हैं।
ड्रॉपआउट दर में गिरावट आने की उम्मीद
राज्य शासन की इस पहल से न केवल बच्चों को बेहतर शैक्षणिक वातावरण मिला है, बल्कि ड्रॉपआउट दर में भी गिरावट की उम्मीद जताई जा रही है। शिक्षकों की पर्याप्त उपलब्धता से बच्चों की पढ़ाई अब नियमित और व्यवस्थित रूप से हो रही है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सीधा सुधार देखा जा रहा है।युक्तियुक्तकरण योजना के तहत की गई यह पहल ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हो रही है। इससे बच्चों को न केवल उनके गांव में ही बेहतर शिक्षा मिल रही है, बल्कि उनके उज्ज्वल भविष्य की नींव भी मजबूत हो रही है।