बस्तर के नक्सल पीड़ित पहुंचे दिल्ली: सांसदों से की अपील, उप राष्ट्रपति पद के लिए बी. सुदर्शन रेड्डी को न दें वोट
बस्तर से दिल्ली पहुंचे नक्सल पीड़ितों ने मीडिया से कहा कि, बतौर सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुदर्शन रेड्डी के एक फैसले ने हमारी जिंदगी को अंधकार में धकेल दिया।
मीडिया से चर्चा करते हुए बस्तर के नक्सल पीड़ित
स्पर्श शर्मा- रायपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर नक्सल पीड़ित शुक्रवार को दिल्ली पहुँचे। जहां पर उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर अपनी व्यथा रख सांसदों के सामने अपनी गुहार लगाई है। नक्सल पीड़ितों ने उपराष्ट्रपति पद के प्रत्याशी बी. सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी का विरोध किया है। इस दौरान उन्होंने सभी सांसदों से उन्हें समर्थन नहीं करने की अपील की है।
बस्तर शांति समिति के बैनर पर हुए इस प्रेस वार्ता में नक्सल पीड़ितों ने कहा कि बी. सुदर्शन रेड्डी ही वो व्यक्ति थे जिन्होंने नक्सलवाद के विरुद्ध चल रहे आदिवासियों के जनांदोलन पर प्रतिबंध लगाया था। जिसके कारण बस्तर में माओवाद तेजी से बढ़ा और ऐसा नासूर बन गया जिसका कहर आज भी जारी है। पीड़ितों ने बताया कि, सलवा जुडूम के मजबूत होते ही नक्सल संगठन ना सिर्फ कमजोर हुआ बल्कि खत्म होने की कगार पर आ चुका था, लेकिन इसी बीच दिल्ली के ही कुछ नक्सल समर्थकों के कहने पर सलवा जुडूम पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
पत्र किया जारी
नक्सल पीड़ितों एक पत्र भी जारी किया है। जिसमें उनकी पीड़ा साफ- साफ दिखाई दे रही है। पत्र में लिखा- हम बस्तर के वे लोग हैं जिनकी जिंदगियाँ नक्सली हिंसा ने तोड़ दीं। कोई आईईडी धमाके में अपना पैर खो बैठा, किसी की आँखों की रोशनी चली गई, किसी की रीढ़ टूट गई और कोई हमेशा के लिए अपाहिज हो गया। हमारे घरों में हँसी की जगह सिसकियाँ हैं, हमारे बच्चों का बचपन गोलियों की गूंज में खो गया है। हम यही पीड़ा लेकर आज आप तक पहुँच रहे हैं।
बस्तरवासियों की सुरक्षा सलवा जुडूम को किया गया बंद
वर्ष 2011 में दिए गए न्यायिक आदेश से सलवा जुडूम बंद हुआ। नक्सल आतंकवाद के विरुद्ध सलवा जुडूम स्थानीय आदिवासियों का एक ऐसा हमारे लिए वह आदेश मोड़ नहीं, स्वतःस्फूर्त आंदोलन था। जिससे बस्तरवासियों को पहली बार सुरक्षा और साहस मिला था, वह अचानक खत्म कर दिया गया और फिर आतंक ने वापस हमारे गाँवों, खेतों और हाट-बाज़ारों पर कब्ज़ा कर लिया। उसी के बाद हत्याएँ बढ़ीं, विस्फोट बढ़े, और हमारे जैसे साधारण लोगों की जिंदगी स्थायी विकलांगता, विधवापन और अनाथपन में बदल गई।
नक्सलियों के सहयोगी को बनाया गया है उपराष्ट्रपति उम्मीदवार
बी. सुदर्शन रेड्डी को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है। यह खबर हमारे लिए पुराने घावों पर नमक डालने की तरह है। उनकी उम्मीदवारी से बस्तर और नक्सल पीड़ित गहराई से आहत है, क्योंकि हमारी बर्बादी की जड़ में उनका ही दिया हुआ फैसला है। हममें से कई लोग अपने हस्ताक्षरित पत्रों के साथ आपको पहले ही यह पीड़ा लिखकर भेज चुके हैं, हम कोई राजनीतिक बहस नहीं कर रहे, हम तो अपने टूटे जीवन का सच बता रहे हैं।
सभी सांसदों से की अपील
हम आपसे हाथ जोड़कर विनती करते हैं, कृपया ऐसे उम्मीदवार का समर्थन न करें जिसने हमारे जीवन को अंधकार में धकेला। हमारे आँसुओं की कीमत समझिए, हमारे बच्चों के भविष्य का पक्ष लीजिए, और बस्तर के नक्सल पीड़ितों की आवाज़ बनिए। हमें केवल दया नहीं, न्याय चाहिए, ऐसा न्याय जो पीड़ितों की स्मृति का सम्मान करे और हिंसा से उबरने की हमारी लड़ाई को ताकत दे।