हरेली तिहार: छत्तीसगढ़ के संस्कार, हरियर छत्तीसगढ़ के पहचान, समरसता अउ खेती के पर्व

छत्तीसगढ़ म हरेली तिहार सब जाति-धर्म के मनखे संग-संग उमंग अउ उत्साह ले मिलजुल के मनाथें।

By :  Ck Shukla
Updated On 2025-07-24 11:15:00 IST

छत्तीसगढ़ में मनाया गया हरेली त्योहार 

कुश अग्रवाल-बलौदा बाजार। हरेली, चाहे आऊ कऊनो तिहार होवय, छत्तीसगढ़ म सब जाति-धर्म के मनखे संग संग उमंग अउ उत्साह ले मिलजुल के मनाथें। ए समरसता के संग अनेकता म एकता के झलक देखे ला मिलथे। हरेली तिहार छत्तीसगढ़ म नवा बछर के बाद मनाय जाय वाला पहिली तिहार आय, जऊन सावन महिना के अमावस म होथे। छत्तीसगढ़ के 'धान के कटोरा' कहे जाथे, एमा खेती किसानी के प्रधानता हे। ए तिहार म खेती किसानी म उपयोग होय वाले औजार, हल, गाड़ा, बैल, ट्रैक्टर जइसन चीज मन के साफ-सफाई करके ओमन ला धनवाद देवय जाथे। संग म गोधन ला घलो सम्मान देय जाथे।

हरेली त स्वास्थ्य, आस्था अउ परंपरा के घलो प्रतीक आय। ए समय बरसा रितु होथे, अउ बहुतेच बीमारी मन हमला करथें – जइसने पानी ले फइलय वाला बीमारी। ए समय घर-घर म नीम के पत्ता ल दरवाजा म गढ़ा जाथे। जानवर मन ला लोदी खवाय जाथे, जऊन जड़ी-बूटी, गेहूं के आटा अउ खम्हार के पत्ता म लपेट के बनाय जाथे। ए स्वास्थ्य बर फायदेमंद मान जाथे। 

गांव के सबो देवी-देवता मन के पूजा करय जाथे। रात म जगराता होथे। बैगा, ओझा मन दिशारी पूजा करथें। ए सब काम गांव के सुरक्षा अउ अनिष्ट ले बांचाव बर करे जाथे। हरेली म गोधन के सेवा, खेती के सम्मान अउ समाज के एकता के भाव दिखथे। ए तिहार म संस्कृति, स्वास्थ्य अउ समर्पण के अद्भुत संगम हे-जऊन ला आज घलो छत्तीसगढ़िया मन बड़े भक्ति भाव ले मनाथे।

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