हरिभूमि ने किया नदी-तालाबों का पानी टेस्ट: खारुन का पानी छूना मुश्किल, अरपा का टीडीएस 700 पार
हरिभूमि की टीम ने शनिवार को खारून नदी रायपुर के घाट का जायजा लिया तो पाया कि घाट किनारे अब भी कीचड़ और गंदगी जमी हुई है।
खारुन का पानी छूना मुश्किल
रायपुर। छठ महापर्व की शुरुआत शनिवार से हो चुकी है और चार दिन तक चलने वाले इस व्रत में महिलाएं डूबते और उगते सूरज को अर्घ्य देती हैं, जिसके लिए हर साल महिलाएं आसपास घाट पर जाती हैं। रायपुर में खारुन नदी, बिलासपुर में अरपा नदी के घाट में भारी संख्या में व्रती महिलाएं परिवार के साथ पहुंचती हैं। हरिभूमि ने अर्ध्य से पहले पानी की जांच की।
बिलासपुर की अरपा नदी में 70 नालों का गंदा पानी गिरने से हाल-बेहाल है। नदी का जल अब स्नान और पूजा के योग्य नहीं रह गया है, फिर भी श्रद्धालु इसी में खड़े होकर भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगे। हरिभूमि ने जब नदी के पानी का सैंपल लेकर टीडीएस जांच की तो यह 718 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) पाया गया जो कि मानक क्षमता से करीब ढाई गुना है। पानी में सीवरेज, कचरा और कई तरह के टॉक्सिन्स मौजूद हैं, जो सेहत के लिए बेहद हानिकारक हैं।
आज छोड़ा जाएगा पानी
हरिभूमि की टीम ने शनिवार को खारून नदी रायपुर के घाट का जायजा लिया तो पाया कि घाट किनारे अब भी कीचड़ और गंदगी जमी हुई है। सफाई के बाद भी हालात नहीं सुधरे हैं। गदंगी अब भी घाट किनारे जमी हुई है, जो पानी के संपर्क में आने के बाद और भी गंदा हो जाएगा। खारुन में इस वक्त पानी बेहद कम है। इतना की नहाया भी नहीं जा सकता। बॉयोटेक वैज्ञानिक डॉ. प्रशांत शर्मा के अनुसार, घाट में जमा कीचड़ और गंदा पानी पूजा करने वालों के लिए हानिकारक हो सकता है। इस वक्त पानी का टीडीएस 600 से अधिक जाएगा, जो सुरक्षित स्तर से ज्यादा है। पानी का बहाव बढ़ने के बाद भी इसे साफ होने में 2-3 दिन लग सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे पानी में नहाने से खुजली, एलर्जी और त्वचा रोग जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
घाट के चारों ओर फैली गंदगी महादेव घाट जहां हर साल
श्रद्धालु छठ पूजा के लिए जुटते हैं, इस बार चारों तरफ गंदगी से जूझ रहा है। शनिवार को भी घाट की सफाई का काम जारी रहा, लेकिन चारों ओर कीचड़, पूजा की पुरानी सामग्री और कचरे का ढेर देखने को मिला। नदी में पानी की कमी के कारण बदबू भी फैली हुई है। घाट के किनारे जहां महिलाएं पूजा करती हैं, वहां तक साफ-सफाई चल रही है।
तालाबों पानी पीने योग्य नहीं
जब इस बारे में एक बड़े वाटर फिल्टर प्लांट के ऑपरेशन हेड मुश्ताक अली से बात की गई तो उन्होंने बताया कि तालाब का पानी काफी बड़े क्षेत्रफल में भरा होता है। इसलिए यदि उसके अलग-अलग प्वाइंट का टीडीएस चेक करेंगे तो वो अलग अलग आएगा। उन्होंने कहा कि तालाब का पानी कहीं से भी पीने के योग्य नहीं है। यदि पानी में एक प्रतिशत भी क्लोरीन की मात्रा नहीं होती तो वो पीने योग्य नहीं होता है। इस पानी का उपयोग केवल निस्तारी के उपयोग में लाया जा सकता है।
कुरुद नकटा तालाब का टीडीएस 206
कुरुद नकटा तालाब का पानी सीवरेज के पानी मिलने और दुर्गा व गणेश प्रतिमा विसर्जन के चलते इतना गंदा है कि उसमें से काफी बदबू आ रही थी। जब इस पानी का टीडीएस चेक किया गया तो यह 206 आया, जो मानक से कम है।
अरपा की हालत गटर जैसी
न्यायधानी की पहचान कराने वाली अरपा की हालत गटर सी हो गई है। क्षेत्रीय पर्यावरण विभाग भी मानता है कि अरपा का पानी पीना तो छोड़िए अब नहाने लायक भी नहीं बचा है। सालों से नगर निगम जवाली नाले सहित 70 नाले, नालियों का पानी बिना ट्रीटमेंट के अरपा में बहा रहा है। कुदुदंड, कोनी, गोंड़पारा, जूना बिलासपुर, तोरवा आदि स्थानों पर नदी में कचरा, मलबे की डंपिंग की जा रही है। वाहनों के जाने के लिए नदी में रास्ता बनाया गया है। इसके साथ ही नगर निगम का नल जल विभाग प्रतिदिन 40 एमएलडी पानी शहरवासियों को सप्लाई करता है, इसका 90 फीसदी हिस्सा टायलेट से होकर अरपा में लौट जाता है। कचरे की डंपिंग भी लगातार हो रही है। महामाया चौक के पास इंदिरा सेतु, अरपा के पुराने पुल, शनिचरी रपटा, गुरुनानक चौक और तोरवा पुल से देखें, तो हर कहीं अरपा में गंदगी, कचरा, मटमैला बदबूदार पानी और जलकुंभियों का मैदान नजर आता है।
इस तरह के पानी से हो रहे बीमारियां
महिला रोग विशेषज्ञ पूजा दुबे ने बताया कि, इस तरह के पानी के संपर्क में आने से त्वचा संबंधी समस्याएं जैसे कि स्किन इंफेक्शन, एलजी, खुजली, दाने और फोड़े हो सकते हैं। इसके अलावा, बुखार, पेट दर्द, उल्टी, डायरिया, टाइफाइड और हेपेटाइटिस-ए, ई जैसी गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं।
पर्यावरण विभाग का दावा
छठ घाट से तोरवा और देवरीखुर्द तक नदी के पानी में डिजॉल्व्ड ऑक्सीजन (डीओ) की मात्रा 5 मिलीग्राम प्रतिलीटर पाई गई। मछली और दूसरे जल जीव इसमें देखे गए हैं। स्टाप डेम के कारण आगे नदी का पानी पीने के लायक नहीं है, पर नहाने और निस्तारी के लिए कुछ हद तक ही उपयुक्त है। गत वर्ष तोरवा क्षेत्र के कई हैंडपंप को पीएचई ने इस कारण बंद कर दिया क्योंकि यहां प्रदूषित पानी आ रहा था।
इस तरह के उपाय बताए डाक्टरों ने
नदी में डुबकी लगाने के बाद ज्यादा देर तक पानी में न रहें। पूजा होने के बाद हो सके तो बाहर आ जाएं।- डुबकी लगाने से पहले शरीर पर नारियल या सरसों का तेल, या वैसलीन लगाएं। इससे त्वचा को सुरक्षा मिलेगी।
- कोशिश करें कि शरीर को ज्यादा से ज्यादा ढककर रखें ताकि पानी का संपर्क कम हो, वहीं, पानी को आंखों, नाक और मुंह में जाने से रोकें, ताकि गंभीर बीमारियों का खतरा कम हो।
- प्रसाद ग्रहण करने से पहले हाथों को अच्छी तरह सैनिटाइज करें, ताकि प्रदूषित पानी पेट में न जाए और पेट से संबंधित कोई बीमारी न हो
क्या कहता है मानक
पीने के पानी का आदर्श टीडीएस स्तर 150-300 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) के बीच होना चाहिए। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) 500 पीपीएम तक की अनुमति देता है, लेकिन 150-300 पीपीएम का स्तर खनिजों और स्वाद के बीच एक अच्छा संतुलन प्रदान करता है, जबकि इससे कम टीडीएस वाला पानी फीका हो सकता है।
150-300 पीपीएम
इसे सबसे अच्छा टीडीएस स्तर माना जाता है। इसमें आवश्यक खनिजों का अच्छा संतुलन होता है और स्वाद भी अच्छा होता है।
50 पीपीएम से कम
इसमें आवश्यक खनिजों (जैसे कैल्शियम और मैग्नीशियम) की कमी हो सकती है, जिससे इसका स्वाद फीका हो सकता है।
300-900 पीपीएम
यह एक स्वीकार्य सीमा है, लेकिन इससे अधिक होने पर पानी स्वास्थ्य के लिए असुरक्षित हो सकता है।
500 पीपीएम से अधिक
500 पीपीएम से अधिक टीडीएस वाले पानी से जठरांत्र संबंधी जलन हो सकती है। इससे अधिक टीडीएस वाले पानी का स्वाद खारा या धात्विक हो सकता है।
भिलाई में टीडीएस बेहतर लेकिन पानी में बदबू
भिलाई। हरिभूमि की टीम ने भिलाई के तीन तालाबों के पानी का सैंपल टेस्ट किया और जानना चाहा कि वहां का जल लोगों के स्वास्थ्य के लिए कितना सही या हानिकारक है। जब तालाब के पानी का टीडीएस चेक किया गया, तो 300 से कम आया।
शीतला तालाब का टीडीएस
271 मिला जब भिलाई के सुपेला क्षेत्र स्थित शीतला तालाब के पानी का सैंपल टेस्ट किया गया तो वहां का टीडीएस 271 माइक्रोन आया। जबकि पीने के पानी का मानक 350 से कम होना चाहिए। इस तालाब के पानी से हल्की बदबू आ रही थी। बैकुंठधाम तालाब में टीडीएस 198 बैकुंठ धाम तालाब के पानी का टीडीएस 198 मिला जो एक अच्छे पेयजल का टीडीएस होता है।
ओआरपी टेस्ट में भी पानी पास
जब इन तीनों तालाबों के पानी का ओआरपी टेस्ट किया गया तो वह भी मानक के मुताबिक आया। पानी में ओआरपी की बूंदें डालने पर उसका रंग रहा हो गया। इससे यह पता चलता है कि पानी की खनिज गुणवत्ता ठीक है और वह हानिकारक नहीं है।
तालाबों पानी पीने योग्य नहीं
जब इस बारे में एक बड़े वाटर फिल्टर प्लांट के ऑपरेशन हेड मुश्ताक अली से बात की गई तो उन्होंने बताया कि तालाब का पानी काफी बड़े क्षेत्रफल में भरा होता है। इसलिए यदि उसके अलग-अलग प्वाइंट का टीडीएस चेक करेंगे तो वो अलग अलग आएगा। उन्होंने कहा कि तालाब का पानी कहीं से भी पीने के योग्य नहीं है। यदि पानी में एक प्रतिशत भी क्लोरीन की मात्रा नहीं होती तो वो पीने योग्य नहीं होता है। इस पानी का उपयोग केवल निस्तारी के उपयोग में लाया जा सकता है।
कुरुद नकटा तालाब का टीडीएस 206
कुरुद नकटा तालाब का पानी सीवरेज के पानी मिलने और दुर्गा व गणेश प्रतिमा विसर्जन के चलते इतना गंदा है कि उसमें से काफी बदबू आ रही थी। जब इस पानी का टीडीएस चेक किया गया तो यह 206 आया, जो मानक से कम है।