कम पानी, ज्यादा मुनाफा: जल संकट से निपटने के लिए रबी फसलें बनेंगी किसनो की ताकत
राजनांदगांव जिले में गिरते भूजल स्तर से निपटने के लिए कृषि विभाग ने कम पानी वाली रबी फसलों को बढ़ावा देने की रणनीति बनाई है।
जल संकट से निपटने के लिए रबी फसलें बनेंगी किसनो की ताकत
राजनांदगांव। जिले में लगातार गिरते भूजल स्तर ने जल संकट की गंभीरता को उजागर कर दिया है। इस चुनौती को अवसर में बदलते हुए कृषि विभाग ने कम पानी वाली रबी फसलों को बढ़ावा देने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। किसानों को प्रेरित करने के लिए गांव-गांव में संगोष्ठियों और जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। वहीं, पद्मश्री फूलबासन यादव के नेतृत्व में "नीर और नारी जल यात्रा" अभियान से महिला समूह ग्रामीण स्तर पर जल संरक्षण का संदेश फैला रहे हैं।
जल संकट की गंभीरता और आंकड़े
सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के ताज़ा मूल्यांकन के अनुसार, राजनांदगांव, डोंगरगांव और डोंगरगढ़ विकासखंड सेमी-क्रिटिकल ज़ोन में आ गए हैं, यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो ये क्षेत्र क्रिटिकल जोन में बदल सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि 1 किलो धान उत्पादन में 2000 लीटर पानी लगता है- यानी 2 हेक्टेयर ग्रीष्मकालीन धान की खेती में एक पूरे गांव की सालभर की पानी की खपत बराबर हो जाती है।
कम पानी, अधिक मुनाफा: रबी फसलों की बढ़ती ताकत
इस साल 88 हजार हेक्टेयर में रबी फसलों की खेती का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें 9 हजार हेक्टेयर में मक्का को बढ़ावा दिया जा रहा है। मक्का धान की तुलना में तीन गुना कम पानी में तैयार होती है और किसानों को दोगुना मुनाफा देती है। इसके अलावा चना, गेहूं, मसूर, मूंग, उड़द और सरसों जैसी फसलें जिले की जलवायु के अनुकूल हैं और बाज़ार में अच्छा मूल्य भी दिला रही हैं।
निजी कंपनियों की भूमिका
कई निजी कंपनियां जैसे गॉरमेड पॉप कॉर्निका, एबीस उद्योग, और राजाराम मेज फैक्ट्री किसानों के साथ साझेदारी में काम कर रही हैं। वे किसानों की उपज को सीधे खरीदकर बाजार जोखिम कम कर रही हैं और बेहतर मूल्य सुनिश्चित कर रही हैं। इससे किसानों को स्थिर आय और आत्मविश्वास मिल रहा है।
सरकारी समर्थन और योजनाएं
कृषि उपसंचालक टीकम सिंह ठाकुर ने बताया कि सरकार ने प्राइस सपोर्ट स्कीम के तहत चना, मसूर और सरसों की खरीदी का प्रावधान किया है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे अधिक पानी वाली फसलों को छोड़कर दलहन, तिलहन और मक्का जैसी फसलों को अपनाएं। सरकार की सब्सिडी और तकनीकी सहायता योजनाएं किसानों को नई दिशा में आगे बढ़ने का अवसर दे रही हैं।
जल संरक्षण में सामुदायिक भूमिका
महिला समूहों और सामाजिक संगठनों द्वारा चलाए जा रहे "नीर और नारी" अभियान से ग्रामीण समाज में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ी है। इन अभियानों के तहत वर्षा जल संचय, ड्रिप इरिगेशन और फसल विविधीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है।
जल बचाओ, भविष्य बचाओ
कम पानी वाली रबी फसलें न केवल जल संकट से निपटने का साधन हैं, बल्कि यह किसानों की आर्थिक स्थिरता और पर्यावरण संरक्षण का मार्ग भी हैं। राजनांदगांव का यह प्रयोग अब पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है, कृषि विभाग, निजी कंपनियों और समाज के संयुक्त प्रयास से जल संरक्षण की यह पहल एक नई उम्मीद जगा रही है।