नक्सलवाद की धुंध छटते ही दिखी खूबसूरती: 'कुरूष वाटरफाॅल' का दिखा अद्भुत नजारा, दुधिया जलधारा देख मोहित हुए पर्यटक
बीजापुर जिले के जंगलों से नक्सलवाद की धुंध छटते ही कुरूष वाटरफाॅल' का अद्भुत नजारा दिखा। जिसे निहारने के लिए अब दूर- दूर से पर्यटक पहुंच रहे हैं।
'कुरूष वाटरफाॅल' का दिखा अद्भुत नजारा
गणेश मिश्रा- बीजापुर। पहाड़ियों और वनों से परिपूर्ण छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के जंगल से वाटरफाॅल की खूबसूरत तस्वीर सामने आई है। यह 'कुरूष वाटरफाॅल' सोशल मीडिया पर इन दिनों चर्चा में है। पहाड़ी और चट्टान से लगभग 50 फीट की उंचाई से टकराकर कई धाराओं में विभक्त होकर यहां जलधारा बहती है। जो आकर्षक वाटरफाॅल का रूप लेता है। जिसे निहारने पहुंच लोग दूर- दूर से पहुंच रहे हैं।
यह वाटरफाॅल बीजापुर जिले के गंगालूर तहसील के कांवड़गांव गांव के नजदीक स्थित है। स्थानीय लोग इसे बोल्लेम कहते है। वाटरफाॅल तक पहुंचने गांव से पहाड़ी जंगल के कच्चे रास्ते से सफर तय करना पड़ता है। गंगालूर के रहने वाले जयराम बताते हैं कि यह वाटरफाॅल तीन गांवों के बीच स्थित है। कुरूष एक गांव का ही नाम है। इसी साल यह वाटरफाॅल चर्चा में आया है और इसे निहारने बड़ी संख्या में प्रकृति प्रेमी पहुंच रहे हैं।
वाटरफाॅल से जुड़ी कई कहानियां है मशहूर
स्थानीय लोगों ने प्रकृति प्रेमियों की सहूलियत के लिए जलप्रपात तक पहुंच आसान बनाने पहाड़ी ढलान पर जंगली झाड़ियों की सफाई की है, इससे वाटरफाॅल तक पहुंचना काफी सुगम हो गया है। गांव के लोगों के बीच इस वाटरफाॅल से जुड़ी कुछ किस्से कहानियां भी है। जिसका जिक्र भी वे करते हैं। तो वहीं वाटरफाॅल के ठीक उपर चट्टानो के बीच एक कंदरा भी है। झांकने पर अंदर काफी जगह दिखती है, स्थानीय लोग इसे शेर की गुफा कहते हैं। उनकी मानें तो यहां शेर रहता था। इस डर से लोग यहां नहीं आते थे। उनके कई मवेशियों को शेर ने अपना शिकार बनाया था।
जरूरी सुविधाओं की है कमी
बात करें जलप्रपात की तो यह काफी खूबसूरत है, हालांकि पहुंचमार्ग की दुविधा को देखते हुए ग्रामीण वाटरफाॅल तक जरूरी सुविधाएं देने की मांग कर रहे हैं।बता दें कि, बीजापुर में मकरभंजा के समतुल्य प्रदेश का उंचा नंबी जलप्रपात है, इसके अलावा नीलम सरई, बोड़कम सरई, लंकापल्ली कई जलप्रपात मौजूद है। जैसे जैसे माओवाद की धूंध इलाके से छट रही है बेजोड़ प्राकृतिक सुंदरता के करीब लोग पहुंच रहे हैं।