लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती: 'रन फॉर यूनिटी' का आयोजन, बड़ी संख्या में प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा
सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर बलौदाबाजार पुलिस ने ‘रन फॉर यूनिटी’ का आयोजन किया। सभी ने दो किलोमीटर दौड़ लगाकर राष्ट्रीय एकता और सौहार्द का संदेश दिया।
रन फॉर यूनिटी में भाग लिए लोगों की तस्वीर
कुश अग्रवाल- बलौदाबाजार। देश के प्रथम उप प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय एकता दिवस के उपलक्ष्य में जिला पुलिस बलौदाबाजार-भाटापारा ने 'रन फॉर यूनिटी' कार्यक्रम का आयोजन किया। इस आयोजन का उद्देश्य देश की एकता, अखंडता और सामाजिक सौहार्द के संदेश को जन-जन तक पहुंचाना था।
मौसम खराब होने के बावजूद जिले के अधिकारी, पुलिस जवान, जनप्रतिनिधि, छात्र-छात्राएँ, मीडिया कर्मी और खेल प्रेमियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। बरसते पानी में भी प्रतिभागियों ने दो किलोमीटर की दूरी तय कर एकता का संदेश दिया। दौड़ की शुरुआत अंबेडकर चौक से हुई और समापन पुलिस लाइन बलौदाबाजार जिले में हुआ।
बरसते पानी में भी सफलतापूर्वक संपन्न हुआ कार्यक्रम
कार्यक्रम में नगर पालिका अध्यक्ष अशोक जैन, एसडीएम, एसपी सहित अनेक अधिकारी एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। पुलिस विभाग ने इस अवसर पर नशा और अपराध मुक्त समाज के निर्माण के साथ राष्ट्रीय एकता को सशक्त बनाने का संकल्प लिया। बरसते पानी में भी सफलतापूर्वक सम्पन्न यह कार्यक्रम प्रतिभागियों की राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता और समर्पण का प्रतीक बना। पुलिस विभाग द्वारा आयोजित यह दौड़ जिले में प्रेरणा का स्रोत बनी।
रजत जयंती पर गूंजा जयगान 'जय छत्तीसगढ़'
वहीं 27 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर आरुग म्यूजिक ने 'जय छत्तीसगढ़' नामक एक भव्य महतारी वंदना प्रस्तुत की है। यह प्रस्तुति छत्तीसगढ़ की संस्कृति, लोकपरंपरा और स्वाभिमान की उस गौरवशाली यात्रा को नमन करती है, जिसने राज्य को विशिष्ट पहचान दिलाई।
27 अक्टूबर का ऐतिहासिक महत्व
यह दिन अपने आप में ऐतिहासिक है- ठीक 25 वर्ष पहले, 27 अक्टूबर 2000 को ही, छत्तीसगढ़ के महानायक अनुज शर्मा की प्रतिष्ठित फिल्म ‘मोर छइयां भुईयां’ रिलीज हुई थी। इस फिल्म ने छत्तीसगढ़ी सिनेमा को नई दिशा दी और छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान की भावना को जन-जन तक पहुँचाया। अब, उसी तिथि को “जय छत्तीसगढ़” का विमोचन, उस सांस्कृतिक विरासत का पुनः उत्सव बन गया है।
महतारी वंदना - संस्कृति, प्रकृति और प्रगति का संगम
'जय छत्तीसगढ़' महतारी वंदना में सरगुजा से बस्तर तक फैले राज्य के प्राकृतिक सौंदर्य, मंदिरों, लोककला और विकास यात्रा की झलक दिखाई देती है, गीत में ढोलकल गणेश जी, शतकीपीठों, देवालयों, और छत्तीसगढ़ की प्रकृति की मनमोहक झलकें शामिल हैं।
32 मूर्धन्य कलाकारों की एक स्वर साधना
इस वंदना में छत्तीसगढ़ की छह प्रमुख बोलियों में गाए गए लोकगीत को 32 नामचीन कलाकारों ने अपनी आवाज़ दी है। इनमें 4 पद्मश्री सम्मानित कलाकार, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कृत गायक, और देश–विदेश में ख्याति प्राप्त कलाकार शामिल हैं। उनकी सामूहिक प्रस्तुति ने इस जयगान को भावपूर्ण, ऊर्जावान और ऐतिहासिक बना दिया है।
रजत जयंती पर छत्तीसगढ़ का संगीतमय प्रणाम
'जय छत्तीसगढ़' केवल एक गीत नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ महतारी को समर्पित भावनाओं की अभिव्यक्ति है। यह गीत हर छत्तीसगढ़वासी की ओर से अपने राज्य की धरती, संस्कृति और लोगों को समर्पित एक संगीतमय प्रणाम है।