क्राफ्ट टूरिज्म विलेज: जितवारपुर बिहार का पहला शिल्प ग्राम, मधुबनी पेटिंग को मिलेगा नया आयाम
मधुबनी का जितवारपुर बिहार का पहला क्राफ्ट टूरिज्म विलेज बनेगा। 9 करोड़ की परियोजना से 3,500 कारीगरों को मिलेगा रोजगार, मिथिला कला को बढ़ावा।
Jitwarpur Craft Village Bihar
Handicraft Villages in Bihar: बिहार के प्रसिद्ध जितवारपुर गांव को अब क्राफ्ट टूरिज्म विलेज के रूप में विकसित किया जाएगा। भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय ने इसके लिए 9 करोड़ का बजट स्वीकृत किया है। पहली किस्त के तौर पर 3.6 करोड़ रुपए जारी भी कर दिए गए हैं।
केंद्र सरका ने इस महत्वपूर्ण परियोजना की जिम्मेदारी बिहार संग्रहालय सोसायटी को सौंपी है। बताया कि मिथिला पेंटिंग को इससे वैश्विक स्तर पर और मजबूती मिलेगी। साथ ही 3,500 से अधिक स्थानीय कारीगरों को रोज़गार और पहचान का अवसर भी मिलेगा।
क्राफ्ट टूरिज्म विलेज क्या है?
जितवारपुर क्राफ्ट टूरिज्म विलेज परियोजना की कुल स्वीकृत लागत ₹9,00,02,470 है। इसमें भारत सरकार 80% योगदान यानी ₹7,20,01,976 देगी। जबकि, 20% हिस्सा यानी ₹1,80,00,494 रुपए बिहार संग्रहालय सोसायटी वहन करेगी। यह परियोजना राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम (NHDP) के तहत चलाई जा रही है।
मिथिला पेंटिंग को मिलेगा नया आयाम
जितवारपुर, जो मधुबनी जिला मुख्यालय से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, मधुबनी पेंटिंग का अंतरराष्ट्रीय केंद्र माना जाता है। यह कला GI टैग प्राप्त कर चुकी है। इस गांव को अब न केवल एक पर्यटन स्थल के रूप में, बल्कि कारीगरों के लिए आधुनिक सुविधाओं से युक्त शिल्प केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।
क्राफ्ट टूरिज्म विलेज परियोजना के 2 चरण
जितवारपुर क्राफ्ट टूरिज्म विलेज परियोजना को दो चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में मुख्य राज्य राजमार्ग पर सेरेमोनियल गेट से लेकर कॉमन फैसिलिटी सेंटर तक सिविल कार्य और गांव के घरों के बाहरी हिस्से का सौंदर्यीकरण कराया जाएगा। इसके बाद दूसरे चरण में प्रशिक्षण केंद्र, हैंडीक्राफ्ट शॉप्स, पर्यटन सुविधाएं और अन्य संरचनाओं का निर्माण।
बिहार का पहला क्राफ्ट विलेज
इस परियोजना के साथ जितवारपुर गांव बिहार का पहला क्राफ्ट विलेज बन जाएगा। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सहित देश के अन्य राज्यों में भी ऐसे क्राफ्ट विलेज बनाए गए हैं। इनमें मुरादाबाद (UP), रघुराजपुर (ओडिशा), तिरुपति (आंध्र प्रदेश), महाबलीपुरम (तमिलनाडु), आमेर (राजस्थान), बज्ज (गुजरात), नैनी व ताजगंज (उत्तर प्रदेश) शामिल हैं।
क्या बोले अधिकारी?
अशोक कुमार सिन्हा ने बताया कि जितवारपुर को देश के अन्य प्रसिद्ध क्राफ्ट विलेज की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। इससे बिहार की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक मंच मिलेगा और स्थानीय युवाओं को भी स्वरोजगार के अवसर मिलेंगे। बिहार सरकार इसमें 20% फंडिंग कर रही है।
जितवारपुर क्यों है मशहूर
- मधुबनी जिले के जितवारपुर गांव को 'स्कूल ऑफ मिथिला पेंटिंग' कहते हैं। यहां का हर घर एक तरह से कला कक्ष और हर ग्रामीण कलाकार हैं। मिथिला पेंटिंग में पहला पद्मश्री सम्मान-1975 पानी वाली जगदम्बा देवी इसी गांव की हैं। इसके बाद 1980 में सीता देवी और 2017 में बौआ देवी को भी पद्मश्री सम्मान मिला।
- जितवारपुर से सटे लहेरियागंज में भी शिवन पासवान और शांति देवी दो पद्मश्री कलाकार हैं। जितवारपुर के 40 कलाकारों को राज्य तथा 18 को राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। जितवारपुर में मिथिला पेंटिंग की सभी चार प्रमुख शैलियां-कचनी, भरनी, तांत्रिक और गोदना के सिद्धहस्त कलाकार मौजूद हैं।