Team India sponsor: टीम इंडिया के लीड स्पॉन्सर के लिए टेंडर जारी, ये कंपनियां नहीं लगा सकेंगी बोली
Team India sponsor: ड्रीम-11 से जर्सी डील खत्म होने के बाद बीसीसीआई ने लीड स्पॉन्सर के लिए नया टेंडर जारी कर दिया है। इसमें कड़ी शर्तें जोड़ी गईं हैं। शराब, तंबाकू और बेटिंग से जुड़ी कंपनियां बोली नहीं लगा सकेंगी।
Team India sponsor: बीसीसीआई ने मंगलवार को टीम इंडिया के लीड स्पॉन्सर के लिए टेंडर जारी कर दिए। हाल ही में रियल मनी गेम्स से जुड़ी कंपनी ड्रीम-11 का बीसीसीआई के साथ करार बीच में ही खत्म हो गया था। इसके बाद भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने नए स्पॉन्सर की तलाश शुरू की है। मंगलवार को बीसीसीआई ने इस संबंध में एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट जारी कर दिया, जिसमें ये साफ लिखा है कि सिर्फ नामी कंपनियां ही बोली लगा पाएंगी। मनी गेमिंग, बेटिंग, क्रिप्टो, शराब और तंबाकू के बिजनेस से जुड़ी कंपनियां बोली नहीं लगा पाएंगी।
ड्रीम11 का करार खत्म होने के बाद एशिया कप में सूर्यकुमार यादव की कप्तानी वाली भारतीय टीम बिना लीड स्पॉन्सर के उतर सकती। अगर स्पॉन्सरशिप प्रोसेस समय पर पूरी नहीं हुई तो भारत की जर्सी पर किसी बड़े ब्रांड का नाम नहीं दिखेगा। यही हाल महिला टीम का भी हो सकता है, जो 30 सितंबर से गुवाहाटी में होने वाले वर्ल्ड कप में उतरेगी।
ड्रीम11 ने सरकार की ओर से ऑनलाइन मनी गेमिंग पर लगाए गए बैन के बाद 3 साल का करार बीच में ही खत्म कर दिया। इसके चलते अब बीसीसीआई को नए स्पॉन्सर की तलाश करनी पड़ रही।
बोली लगाने के लिए जरूरी शर्तें
बीसीसीआई ने बोली प्रक्रिया में कई कड़े नियम रखे हैं-
- कंपनी का सालाना टर्नओवर पिछले तीन सालों में औसतन 300 करोड़ रुपये से कम नहीं होना चाहिए।
- या फिर पिछले तीन सालों में कंपनी की औसत नेटवर्थ कम से कम 300 करोड़ रुपये होनी चाहिए।
- ऑनलाइन मनी गेमिंग, बेटिंग, जुआ, क्रिप्टोकरेंसी, शराब और तंबाकू कंपनियां इस दौड़ से बाहर रहेंगी।
- जो भी कंपनी बोली लगाएगी, उसे 5 लाख रुपये + जीएसटी नॉन-रिफंडेबल फीस जमा करनी होगी।
क्यों बदली बीसीसीआई की नीति?
बीसीसीआई सचिव ने पहले ही साफ कर दिया था कि सरकार के नए नियमों के बाद बोर्ड अब रियल-मनी गेमिंग कंपनियों से किसी तरह का समझौता नहीं करेगा। सरकार ने हाल ही में प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग एक्ट लागू किया है, जिसके तहत ऐसे प्लेटफॉर्म पूरी तरह प्रतिबंधित हो चुके हैं।
बड़ी कंपनियों की ओर उम्मीद
अब देखने वाली बात यह होगी कि कौन-सी बड़ी कंपनियां इस बोली प्रक्रिया में दिलचस्पी दिखाती हैं। अगर जल्दी फैसला नहीं हुआ तो भारत को एशिया कप और महिला वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट बिना लीड स्पॉन्सर के खेलना पड़ सकता है।