उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: BJD और BRS ने वोटिंग से बनाई दूरी, जानें इसका क्या होगा प्रभाव
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 से पहले BJD और BRS ने मतदान से दूरी का फैसला लिया। जानें इसका असर एनडीए और इंडिया गठबंधन पर।
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: सी. पी. राधाकृष्णन बनाम बी. सुधर्शन रेड्डी
नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति चुनाव से ठीक एक दिन पहले, बीजू जनता दल (BJD) और भारत राष्ट्र समिति (BRS) ने मतदान से दूर रहने का बड़ा ऐलान किया है। दोनों दलों ने स्पष्ट किया कि वे राष्ट्रीय स्तर पर न तो एनडीए और न ही इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं और दोनों से समान दूरी बनाए रखेंगे।
BJD के सांसद सस्मित पात्रा ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष नवीन पटनायक ने वरिष्ठ नेताओं और सांसदों के साथ विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया। उन्होंने कहा, "हमारा ध्यान ओडिशा और उसके 4.5 करोड़ लोगों के विकास पर है।" BJD ने अतीत में अलग-अलग रुख अपनाया है, जैसे 2012 में वोटिंग से दूरी, 2017 में विपक्ष और 2022 में एनडीए का समर्थन।
BRS के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामा राव ने तेलंगाना में यूरिया की कमी को कारण बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों इस मुद्दे को सुलझाने में विफल रहे हैं, जिससे किसानों को परेशानी हो रही है। राव ने कहा, "अगर नोटा का विकल्प होता, तो हम उसे चुनते।" BRS के पास राज्यसभा में चार सांसद हैं।
उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन और इंडिया गठबंधन के बी. सुदर्शन रेड्डी के बीच मुकाबला है। मतदान 9 सितंबर को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक होगा, और परिणाम उसी दिन घोषित होने की उम्मीद है। दोनों दलों के इस फैसले से एनडीए की स्थिति मजबूत हो सकती है।
मतदान से दूरी का असर
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 में बीजेडी और बीआरएस के मतदान से दूर रहने के फैसले से क्या कोई असर पड़ेगा? जानिए दलों की स्थिति के बारे में।
एनडीए की स्थिति मजबूत
संसद में कुल 781 सांसद हैं, जिनमें बहुमत के लिए लगभग 391 वोट चाहिए। एनडीए के पास लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 130 सांसद यानी करीब 423 वोट हैं। बीजेडी और बीआरएस के 11 सांसदों के मतदान में हिस्सा न लेने से एनडीए उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है। विपक्ष के पास 324 वोट हैं, जो बहुमत से कम हैं।
विपक्ष की कमजोरी
इंडिया गठबंधन को उम्मीद थी कि बीजेडी और बीआरएस जैसे दल उनका समर्थन करेंगे, लेकिन इनके बाहर रहने से विपक्षी उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी की स्थिति और कमजोर हो गई है। यह विपक्षी एकजुटता की कमी को भी उजागर करता है।
क्षेत्रीय राजनीति पर असर
बीजेडी ने ओडिशा में भाजपा से हार के बाद अपनी स्वतंत्र विपक्षी भूमिका को मजबूत करने का संकेत दिया है। वहीं बीआरएस ने तेलंगाना में कांग्रेस के खिलाफ अपनी सख्त राजनीतिक लाइन को साफ कर दिया है।
अन्य दलों की भूमिका
अकाली दल, जेडपीएम, वीओटीटीपी और निर्दलीय सांसदों का रुख स्पष्ट नहीं है। लेकिन बीजेडी और बीआरएस के फैसले से एनडीए के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की संभावना भी बढ़ सकती है।