Tata Trusts में गुटबाजी: केंद्र सरकार की चेतावनी, नोएल टाटा से कहा- “विवाद सुलझाएं, समूह में स्थिरता जरूरी”

टाटा ट्रस्ट्स में बढ़े मतभेद पर सरकार ने जताई चिंता। नोएल टाटा और चार ट्रस्टियों के बीच विवाद से टाटा समूह की स्थिरता पर उठे सवाल।

Updated On 2025-10-08 13:24:00 IST

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टाटा समूह को भारत की औद्योगिक और नैतिक पहचान का प्रतीक माना जाता है, लेकिन वर्तमान में अपने ही ट्रस्ट के भीतर उभरे मतभेदों से जूझ रहा है। द इकोनॉमिक टाइम्स की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार ने टाटा समूह को स्पष्ट संदेश दिया है कि टाटा ट्रस्ट में स्थिरता हर हाल में बहाल की जाए, क्योंकि इसका सीधा असर टाटा संस- समूह की होल्डिंग कंपनी पर पड़ सकता है।

दरअसल, टाटा ट्रस्ट के चार ट्रस्टी हैं- डेरियस खंबाटा, जहांगीर एच.सी. जहांगीर, प्रमित झावेरी और मेहली मिस्त्री। इन पर “सुपर बोर्ड” की तरह काम करने का आरोप लगा है। कहा जा रहा है कि उन्होंने टाटा संस के गवर्नेंस पर असर डालने की कोशिश की, जिससे चेयरमैन नोएल टाटा की भूमिका कमजोर होती दिख रही है।

रतन टाटा के निधन के बाद से ट्रस्ट दो गुटों में बंट गया है। एक तरफ चार ट्रस्टी और दूसरी तरफ नोएल टाटा का गुट है। यही विभाजन अब सरकार की चिंता का कारण बना है। गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही नोएल टाटा, वेणु श्रीनिवासन, एन. चंद्रशेखरन और डेरियस खंबाटा के साथ बैठक कर कहा कि, “टाटा ट्रस्ट्स को किसी भी जरूरी तरीके से स्थिरता बहाल करनी होगी, ताकि टाटा संस के संचालन पर कोई असर न पड़े।” इतना ही नहीं, सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि जरूरत पड़ने पर अस्थिरता फैलाने वाले ट्रस्टियों को हटाने में संकोच नहीं होना चाहिए।

सरकार ने साफ किया कि टाटा समूह की 66% हिस्सेदारी रखने वाला ट्रस्ट सिर्फ एक निजी संस्था नहीं बल्कि “सार्वजनिक जिम्मेदारी” भी निभाता है, इसलिए उसमें पारदर्शिता और एकजुटता बेहद जरूरी है।

शेयर बाजार पर असर

बैठक के बाद टाटा समूह की कई कंपनियों के शेयरों में सकारात्मक रुझान दिखा:

टाइटन कंपनी: +4% (₹3,552.80)

टीसीएस: +2% (₹3,025)

टाटा स्टील: +0.4% (₹172.14)

ट्रेंट: +0.5% (₹4,709)

टाटा टेक्नोलॉजीज: +0.5% (₹716.50)

टाटा मोटर्स: −0.34% (₹695.65)

बहरहाल, यह विवाद केवल टाटा ट्रस्ट्स के भीतर की लड़ाई नहीं, बल्कि भारत के सबसे भरोसेमंद कॉर्पोरेट समूह की साख से जुड़ा मुद्दा है। सरकार चाहती है कि यह मामला अंदर ही सुलझाया जाए, ताकि टाटा समूह की स्थिरता, विश्वसनीयता और निवेशकों का भरोसा कायम रहे।

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