ऑपरेशन सिंदूर पर पूर्व सेना प्रमुखों से चर्चा: सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी ने 'चीफ्स चिंतन' में साझा की ऑपरेशनल जानकारी

भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने ऑपरेशन सिंदूर की विस्तृत जानकारी पूर्व सेना प्रमुखों के साथ साझा की। 'चीफ्स चिंतन' संवाद के दौरान सेना के आधुनिकीकरण, तकनीकी समावेशन और 'विकसित भारत 2047' में सेना की भूमिका पर चर्चा हुई।

Updated On 2025-06-17 22:27:00 IST

ऑपरेशन सिंदूर पर पूर्व सेना प्रमुखों से चर्चा

Operation Sindoor: भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी की अगुवाई में 'चीफ्स चिंतन' नामक दो दिवसीय संवाद कार्यक्रम की शुरुआत हुई, जिसमें पूर्व सेना प्रमुखों के साथ रणनीतिक और संस्थागत विषयों पर चर्चा की गई।

इस संवाद का मुख्य केंद्रबिंदु ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रहा। जनरल द्विवेदी ने इस सैन्य अभियान की विस्तृत जानकारी साझा करते हुए बताया कि किस तरह थल सेना, वायुसेना और नौसेना ने मिलकर संयुक्त ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन के जरिए भारतीय सशस्त्र बलों की रणनीतिक क्षमता और अंतर-सेना समन्वय को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया गया है।

सेना प्रमुख ने बताया कि यह संवाद सिर्फ एक समीक्षा नहीं, बल्कि एक रणनीतिक साझेदारी है, जहां पूर्व प्रमुखों के अनुभवों को वर्तमान चुनौतियों के साथ जोड़ते हुए भविष्य की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि तकनीकी समावेशन और आधुनिकीकरण भारतीय सेना की प्राथमिकता में शामिल हैं, जिससे सेना को ‘फ्यूचर-रेडी फोर्स’ के रूप में ढालने का कार्य हो रहा है।

विकसित भारत के विजन पर भी हुई चर्चा

कार्यक्रम में 'विकसित भारत 2047' के विजन में सेना की भूमिका पर भी चर्चा हुई। इसमें बताया गया कि आने वाले वर्षों में सेना को कैसे देश की तकनीकी, सामाजिक और रणनीतिक जरूरतों के अनुरूप तैयार किया जाएगा। मानव संसाधन सुधारों, युद्ध तैयारी, और पूर्व सैनिक कल्याण से जुड़े मुद्दों को भी गंभीरता से उठाया गया।

पूर्व सेना प्रमुखों ने भी इस मौके पर अपने बहुमूल्य सुझाव साझा किए। उन्होंने संगठनात्मक सुधार, सैन्य नेतृत्व में निरंतरता और बदलते वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत की सैन्य तैयारियों को लेकर कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान आकर्षित किया।

भारतीय सेना का मानना है कि ‘चीफ्स चिंतन’ जैसा कार्यक्रम सैन्य नेतृत्व में सामूहिक दृष्टिकोण और रणनीतिक निरंतरता को मजबूती देता है। यह संवाद भविष्य के युद्धों के लिए भारतीय सेना को तकनीकी रूप से सक्षम, संगठित और प्रेरित बल के रूप में तैयार करने की दिशा में एक ठोस कदम है।

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