बिहार विधानसभा चुनाव 2025: चुनाव में झूठे वादे क्या गैरकानूनी हैं? जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
बिहार चुनाव 2025 में वादों की बाढ़ के बीच सवाल उठ रहा है कि यदि कोई पार्टी झूठा चुनावी वादा करे, तो क्या यह अपराध है? जानिए सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले और चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश।
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में घोषणापत्रों की बाढ़ सी आ गई है। हर पार्टी नौकरियों, मुफ्त बिजली, और तरह-तरह की योजनाओं के वादे कर रही है। लेकिन क्या अगर ये वादे झूठे साबित हों, तो ये कानूनी अपराध (Illegal) माने जाएंगे? इस सवाल का जवाब सुप्रीम कोर्ट के कई ऐतिहासिक फैसलों में छिपा है।
सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट मत है कि चुनावी वादा झूठा हो तो भी यह प्रत्यक्ष रूप से गैर-कानूनी नहीं है। ये एक राजनीतिक प्रतिबद्धता (Political Promise) है, कानूनी अनुबंध (Legal Contract) नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में एक फैसला सुनाते हुए कहा-“वादों को पूरा न करना कानूनन अपराध नहीं, लेकिन यह वोटरों को प्रभावित जरूर करता है।” लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of the People Act) 1951 की धारा 123 के तहत वोटर को रिश्वत देना अपराध है, लेकिन मेनिफेस्टो में किए गए वादों (जैसे “हर घर नौकरी”) को रिश्वत नहीं माना गया है।
प्रमुख केस और कोर्ट के फैसले
केस का नाम मुख्य मुद्दा सुप्रीम कोर्ट का फैसला
S. Subramaniam Balaji vs. Govt. of Tamil Nadu (2013) चुनावी फ्रीबीज जैसे टीवी, लैपटॉप फ्रीबीज असमानता बढ़ाते हैं, लेकिन इन्हें ‘भ्रष्टाचार’ नहीं कहा जा सकता। ECI को दिशा-निर्देश बनाने के आदेश।
Mithilesh Kumar Pandey vs. Union of India अवैध वादों को रोकने की मांग अदालत ने कहा- वादे कानूनी रूप से लागू नहीं किए जा सकते, ECI सख्ती करे।
Ashwini Kumar Upadhyay vs. Union of India (2022) अविवेकपूर्ण फ्रीबीज पर रोक कोर्ट ने माना फ्रीबीज “वोट खरीदने” का तरीका हैं, पर अभी तक कोई ठोस कानून नहीं।
चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश (ECI Guidelines)
2013 के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त (ECI) ने साफ कहा-
मेनिफेस्टो जन-हित आधारित हो, न कि वोट लुभाने वाला। पार्टियां अवास्तविक या असंभव वादे न करें। लेकिन, कोई दंडात्मक प्रावधान (Punishment) अब तक नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के हालिया संकेत (2024–2025)
Electoral Bonds को कोर्ट ने असंवैधानिक ठहराया, ताकि चुनावी फंडिंग पारदर्शी रहे। वोट के लिए रिश्वत लेने वाले विधायकों की इम्यूनिटी खत्म की गई, लेकिन ये व्यक्तिगत रिश्वत पर लागू है, न कि सामूहिक घोषणाओं पर।
इस मुद्दे की 3 खास बातें
1. चुनावी वादा झूठा या अधूरा हो सकता है, लेकिन अभी तक कानून में इसकी सजा तय नहीं है।
2 . सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि फ्रीबीज वोटरों को गुमराह कर सकते हैं, इसलिए ECI को सख्त गाइडलाइन बनाने की जरूरत है।
3. एक जिम्मेदार मतदाता के तौर पर, वादों से ज्यादा पार्टी के पिछले रिकॉर्ड पर भरोसा करें।
तथ्य स्रोत
सुप्रीम कोर्ट निर्णय: S. Subramaniam Balaji vs. Govt. of Tamil Nadu, 2013
Representation of the People Act, 1951
Election Commission of India Guidelines (2014–2025 Updates)
ADR (Association for Democratic Reforms) रिपोर्ट