महाराष्ट्र: श्रम कानून बदलने की तैयारी, मुश्किल हो सकती है प्राइवेट जॉब; जानें प्रस्तावित नियम

महाराष्ट्र सरकार प्राइवेट कर्मचारियों के लिए बने श्रम कानूनों में बड़ा बदलाव करने जा रही है। इससे न सिर्फ ड्यूटी टाइमिंग, बल्कि कंपिनयों की मनमानी भी बढ़ सकती है। पढ़ें पूरी खबर।

Updated On 2025-08-27 09:25:00 IST

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Private Job Rules in Maharashtra: महाराष्ट्र में प्राइवेट कर्मचारियों के लिए जरूरी खबर है। फणडवीस सरकार उनके ड्यूटी टाइमिंग बढ़ाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए महाराष्ट्र दुकान एवं प्रतिष्ठान (रोज़गार एवं सेवा शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 2017 में जरूरी बदलाव किए जाएंगे। इस बदलाव के बाद निजी प्रतिष्ठानों में कर्मचारियों को 9 घंटे की बजाय रोजाना 10 घंटे काम करना पड़ेगा।

महाराष्ट्र श्रम विभाग 2017 के कानून में लगभग पाँच बड़े बदलाव करने पर विचार कर रहा है। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण कार्य समय वृद्धि का है। मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इसका प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। मंत्रिमंडल ने इस पर और स्पष्टता मांगी है। यह अधिनियम राज्य भर में दुकानों, होटलों और मनोरंजन स्थलों जैसे स्थानों पर कर्मचारियों के कार्य समय को नियंत्रित करता है।

लेबर कानून में ये होगा बदलाव 

महाराष्ट्र दुकान एवं प्रतिष्ठान अधिनियम-2017 की धारा 12 में प्रस्तावित संशोधन में कहा गया है कि वयस्क कर्मचारी को किसी भी प्रतिष्ठान में 10 घंटे से ज़्यादा काम करने की अनुमति नहीं है। इसके अलावा यह भी प्रस्तावित किया गया है कि किसी वयस्क को एक बार में छह घंटे से ज़्यादा काम करने की अनुमति तभी दी जाएगी, जब उसमें आधे घंटे का ब्रेक शामिल हो। वर्तमान में एक कर्मचारी अधिकतम 5 घंटे ही काम कर सकता है।

ओवरटाइम अवधि बढ़ाने की तैयारी 

श्रम विभाग ने कर्मचारियों के लिए ओवरटाइम की अवधि भी बढ़ाने का फैसला किया है। प्रस्तावित संशोधन के अनुसार, तीन माह में वह 125 घंटे की बजाय 144 घंटे ओवरटाइम कर सकेंगे। अभी कोई भी कर्मचारी एक दिन में अधिकतम 10.5 घंटे (ओवरटाइम सहित) ड्यूटी कर सकता है। इसके बढ़ाकर 12 घंटे करने का प्रस्ताव है। अत्यावश्यक कार्य की स्थिति में अधिकतम कार्य सीमा भी हटाने की तैयारी है।

20 से कम कर्मचारियों वाली संस्था को छूट 

महाराष्ट्र श्रम अधिनियम के ये प्रावधान 20 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले सभी प्रतिष्ठानों पर लागू होंगे। वर्तमान में यह कानून 10 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों पर लागू होता है।

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