मौत 'ममता' पर पड़ी भारी: 21 साल की बेटी को बचाने के लिए मां ने लगा दिया सब कुछ दांव पर, लेकिन मदर्स डे के दिन हो गई मौत
बलौदाबाजार में एक मां ने अपनी बेटी को बचाने के लिए अपना सब कुछ बेच दिया और अपना लीवर तक दे दिया। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। लीवर ट्रांसप्लांट होने के बाद भी मदर्स डे के दिन बेटी ने दम तोड़ दिया।
मां और बेटी
कुश अग्रवाल- बलौदाबाजार। मां... एक ऐसा शब्द जो ममता, त्याग और निस्वार्थ प्रेम का पर्याय है। छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले के छोटे से गांव अमेरा की सोनी कुर्रे ने इस शब्द के मायने को साक्षात रूप से जीकर दिखाया। उसने वह कर दिखाया जो शायद कोई और नहीं कर पाता अपनी बेटी को नया जीवन देने के लिए अपने शरीर का हिस्सा तक दान कर दिया। लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। मदर्स डे की ही सुबह रिचा इस दुनिया को अलविदा कह जा चुकी थी।
सोनी की 21 वर्षीय बेटी ऋचा एक दुर्लभ लिवर की बीमारी से जूझ रही थी। शुरू में जब इलाज के लिए वह एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटक रही थीं, तो उन्हें केवल निराशा हाथ लगी। रायपुर के रामकृष्ण अस्पताल में जब डॉक्टरों ने कहा कि ऋचा को बचाना लगभग असंभव है, तो एक मां का दिल रो पड़ा, लेकिन उसने हार नहीं मानी।
डॉक्टरों ने दी लीवर ट्रांसप्लांट की सलाह
सोनी को बताया गया कि बेटी के लिवर का दाहिना हिस्सा 10% और बायां हिस्सा 30% खराब हो चुका है। पहले सर्जरी के लिए किसी तरह 5 लाख रुपए जुटाए और 26 जुलाई 2022 को पहली सर्जरी करवाई, लेकिन राहत नहीं मिली। पांच महीने बाद हैदराबाद के डॉक्टरों ने लीवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी। लेकिन नया सवाल था, डोनर कौन बनेगा? सोनी ने बिना पल गंवाए तय कर लिया कि वह अपनी बेटी के लिए अपना लीवर दान करेंगी। अब समस्या थी पैसों की। इलाज का खर्च 40 लाख रुपए बताया गया।
मदर्स डे के दिन बेटी ने कहा दुनिया को अलविदा
पति की नौकरी पहले ही जा चुकी थी। मायके से मदद मांगी, लेकिन इतनी बड़ी रकम जुटाना संभव नहीं था। इस मां ने अपनी पुश्तैनी जमीन और मायके का घर बेच दिया। रिश्तेदारों से कर्ज लिया और मुख्यमंत्री सहायता से 20 लाख की मदद भी मिली। अंततः लीवर ट्रांसप्लांट हुआ और उम्मीद की किरण जगी।लेकिन नियति को कुछ और ही मंज़ूर था। मदर्स डे के दिन, जिस दिन दुनिया मां के प्यार और ममता का उत्सव मना रही थी, उसी दिन सोनी की बेटी ऋचा इस दुनिया को अलविदा कह गई। जिस मां ने अपना खून, जमीन, घर और शरीर का हिस्सा बेटी को दिया, उसी मां के लिए यह दिन सबसे बड़ा दुख बन गया।