Women Health Tips: इंसुलिन रेजिस्टेंस का खतरा किन महिलाओं को होता है? जानिए कैसे बचें

Women Health Tips: महिलाओं में थकान, भूख या वजन बढ़ना इंसुलिन रेजिस्टेंस के संकेत हो सकते हैं। समय रहते पहचान और सही देखभाल से मधुमेह का खतरा घटाया जा सकता है।

Updated On 2025-11-11 22:00:00 IST

इंसुलिन रेजिस्टेंस की दिक्कत (Image: grok) 

Women Health Tips: अक्सर महिलाएं अपने परिवार और काम के बीच इतनी व्यस्त रहती हैं कि अपने शरीर की छोटी-छोटी तकलीफों को नजरअंदाज कर देती हैं। थकान, बार-बार भूख लगना, अचानक वजन बढ़ना, ये सभी लक्षण आम लगते हैं, लेकिन कभी-कभी यही संकेत होते हैं इंसुलिन रेजिस्टेंस के, यह एक ऐसी स्थिति है जो धीरे-धीरे शरीर में शुगर की प्रक्रिया को बिगाड़ देती है और समय पर ध्यान न देने पर मधुमेह जैसी बीमारियों का कारण बन सकती है।

न्यूट्रिशन एंड डाइट एक्सपर्ट डॉ. रीता सिन्हा का कहना है कि, महिलाओं को स्वस्थ खान-पान और शुगर कंट्रोल में रखना बहुत जरूरी है। जिससे इन दिक्कतों से बचा जा सकता है।

क्या होता है इंसुलिन रेजिस्टेंस?

हमारा शरीर इंसुलिन नामक हार्मोन की मदद से रक्त में मौजूद शर्करा को ऊर्जा में बदलता है। लेकिन जब शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन को पहचानना बंद कर देती हैं, तो इस स्थिति को इंसुलिन रेजिस्टेंस कहा जाता है। इसका मतलब है कि शरीर में इंसुलिन तो बनता है और वह अपना काम ठीक से नहीं कर पाता। परिणामस्वरूप, रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ने लगता है और धीरे-धीरे यह टाइप 2 डायबिटीज़ का रूप ले सकता है।

किन महिलाएं को होती है ज्यादा परेशानी

वजन अधिक होने वाली महिलाएं

जिन महिलाओं का पेट के आस-पास चर्बी ज़्यादा होती है, उनमें इंसुलिन रेजिस्टेंस का खतरा अधिक होता है। पेट की चर्बी शरीर में ऐसे रसायन उत्पन्न करती है जो इंसुलिन की कार्यक्षमता को कम कर देते हैं।

पीसीओएस

पीसीओएस वाली महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन आम होता है, जिससे शरीर में इंसुलिन का स्तर असामान्य रूप से बढ़ जाता है। यही वजह है कि ऐसी महिलाओं में मधुमेह और वजन बढ़ने का खतरा अधिक रहता है।

कम शारीरिक सक्रियता वाली महिलाएं

जो महिलाएं दिनभर ज़्यादातर बैठकर काम करती हैं या व्यायाम नहीं करतीं, उनके शरीर की कोशिकाएं धीरे-धीरे इंसुलिन के प्रति असंवेदनशील हो जाती हैं। नियमित शारीरिक गतिविधि इंसुलिन के प्रभाव को बढ़ाती है।

तनाव में रहने वाली महिलाएं

लगातार तनाव शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ा देता है, जो इंसुलिन के प्रभाव को कम कर देता है। यही कारण है कि तनावग्रस्त महिलाओं में यह समस्या अधिक देखी जाती है।

अस्वस्थ खान-पान अपनाने वाली महिलाएं

ज्यादा चीनी, सफेद आटा, फास्ट फूड और प्रोसेस्ड चीज़ें खाने से शरीर में ग्लूकोज़ का स्तर तेजी से बढ़ता है। यह आदतें समय के साथ इंसुलिन की कार्यक्षमता को कमजोर कर देती हैं।

इंसुलिन रेजिस्टेंस के संकेत 

  • बार-बार थकान महसूस होना
  • भूख या मीठा खाने की इच्छा बढ़ जाना
  • पेट के आस-पास मोटापा बढ़ना
  • त्वचा का काला पड़ना
  • मासिक चक्र में अनियमितता
  • नींद पूरी होने के बाद भी थकावट महसूस होना
  • अगर इन लक्षणों में से कई आपके साथ मौजूद हैं, तो यह संकेत हो सकता है कि आपका शरीर इंसुलिन को ठीक से नहीं पहचान रहा।


कैसे करें इस समस्या से बचाव


संतुलित आहार अपनाएं

अपने भोजन में साबुत अनाज, दालें, फल, सब्जियां और फाइबर युक्त चीजें शामिल करें। सफेद चीनी और परिष्कृत आटे से बनी चीज़ों से परहेज़ करें।

नियमित व्यायाम करें

रोजाना कम से कम 30 मिनट टहलना, योग या हल्का व्यायाम शरीर की कोशिकाओं को सक्रिय बनाता है और इंसुलिन की संवेदनशीलता बढ़ाता है।

तनाव से दूरी बनाएं

ध्यान, गहरी साँसें लेने के अभ्यास या अपने पसंदीदा शौक़ में समय बिताने से मानसिक शांति मिलती है, जिससे हार्मोनल संतुलन बना रहता है।

पर्याप्त नींद लें

नींद की कमी से शरीर का चयापचय असंतुलित हो जाता है। हर दिन 7–8 घंटे की नींद शरीर के हार्मोन को नियंत्रित रखती है।

जंक फूड और मीठे पेय से दूरी

कोल्ड ड्रिंक, पेस्ट्री, बर्गर जैसी चीजें स्वाद में भले अच्छी लगें, लेकिन ये इंसुलिन रेजिस्टेंस की जड़ होती हैं।

इंसुलिन रेजिस्टेंस कोई अचानक होने वाली बीमारी नहीं है। यह धीरे-धीरे जीवनशैली की गलत आदतों से जन्म लेती है। इसलिए यदि आप चाहती हैं कि आपका शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान बना रहे, तो समय रहते अपने खान-पान, व्यायाम और नींद पर ध्यान देना जरूरी है।

(Disclaimer): ये लेख सामान्य जानकारी के लिए दिया गया है। हरिभूमि इसकी पुष्टि नहीं करता, अगर आपको इंसुलिन रेजिस्टेंस के लक्षण दिखते हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें।

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