नया शोध: अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड से पुरुषों का वजन, हार्मोन और प्रजनन क्षमता पर बुरा असर

कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के शोध में सामने आया है कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड की थोड़ी मात्रा भी पुरुषों के वजन, हार्मोन और प्रजनन क्षमता को नुकसान पहुंचा सकती है। यह पुरुषों के लिए चेतावनी है। पढ़ें रिपोर्ट-

Updated On 2025-08-30 16:41:00 IST

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड से पुरुषों पर खतरा: वजन, हार्मोन और प्रजनन क्षमता पर असर ( Image: AI Generated)

आजकल शहरी जीवनशैली में पैकेटबंद स्नैक्स, फास्ट फूड और प्रोसेस्ड ड्रिंक्स का इस्तेमाल बहुत बढ़ गया है। लेकिन एक नया वैज्ञानिक शोध बताता है कि इसकी थोड़ी-सी मात्रा भी पुरुषों के स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है।

कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पाया कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड (जैसे बर्गर, पिज्जा, पैकेटबंद स्नैक्स, कोल्ड ड्रिंक्स) से वजन तेजी से बढ़ता है, हार्मोन गड़बड़ा जाते हैं और स्पर्म की गुणवत्ता प्रभावित होती है।

क्या कहता है शोध?

  • यह रिसर्च Cell Metabolism जर्नल में प्रकाशित हुई।
  • इसमें बताया गया कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड में हानिकारक प्रदूषक (जैसे प्लास्टिक पैकेजिंग से आने वाले थैलेट) पाए जाते हैं।
  • ये प्रदूषक पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन और फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन को प्रभावित करते हैं, जो प्रजनन स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं।

शोध कैसे हुआ?

वैज्ञानिकों ने इस शोध के लिए 20 से 35 साल के 43 पुरुषों का चयन किया। सभी पुरुष फिजिकली सामान्य तौर फिट थे। हर प्रतिभागी को तीन हफ्ते तक अलग-अलग डाइट (प्रोसेस्ड और अनप्रोसेस्ड) दी गई। दोनों डाइट्स में कैलोरी, प्रोटीन, कार्ब्स और फैट की मात्रा समान रखी गई।

नतीजे चौंकाने वाले थे:

  • अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड खाने वाले पुरुषों का वजन औसतन 1 किलो ज्यादा बढ़ा।
  • उनके शरीर में थैलेट का स्तर बढ़ा।
  • हार्मोनल लेवल नीचे आया और दिल से जुड़े संकेतक बिगड़े।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रोमेन बैरेस के मुताबिक, "यह देखकर हैरानी हुई कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड स्वस्थ युवा पुरुषों के शरीर पर भी गहरा असर डालता है। लंबे समय तक सेवन करने से गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।"

भारत में बढ़ रही पैकेटबंद फूड की खपत

भारत का खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लगातार तेजी से बढ़ रहा है। 2023 में इसका बाजार आकार लगभग 307 बिलियन डॉलर था। अनुमान है कि 2030 तक यह बढ़कर करीब 700 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। यानी, इस दौरान इसमें लगभग 12.5% सालाना वृद्धि (CAGR) दर्ज की जाएगी।

  • पैकेज्ड स्नैक्स, बिस्किट, और रेडी-टू-ईट फूड की मांग तेजी से बढ़ रही है।
  • FSSAI ने 2025 से पैकेज्ड फूड पर चीनी, नमक और फैट की चेतावनी लेबलिंग अनिवार्य करने का नियम बनाया है।
  • भारत में हर चार में से एक व्यक्ति डायबिटीज से पीड़ित है और इसका बड़ा कारण पैकेज्ड व जंक फूड को माना जा रहा है।

क्या करें?

  • ताजा और कम प्रोसेस्ड खाना चुनें: फल, सब्जियां, दालें और घर का बना भोजन।
  • पैकेटबंद स्नैक्स, फास्ट फूड और प्रोसेस्ड ड्रिंक्स से दूरी बनाएं।
  • खानपान के सरकारी दिशानिर्देश फॉलो करें और बच्चों को जंक फूड से बचाएं।

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