Health Tips: कितने घंटे सोना सेहत के लिए फायदेमंद, कहीं आप तो नहीं लेते कम नींद

Health Tips: ]जीवन में अक्सर लोग नींद पूरी करना भूल जाते हैं, लेकिन ये हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक है। इस मसले पर एक्सपर्ट क्या कहते हैं, आइए जानते हैं।

Updated On 2025-10-09 22:00:00 IST

नींद नहीं आने के नुकसान (Grok)

Health Tips: काम, परिवार, जिम्मेदारियां और अनगिनत चिंताओं की वजह से हम दिनभर भागते हुए नजर आते हैं। लेकिन इस भागदौड़ में हम एक सबसे अहम चीज को भूल जाते हैं, वो हे हमारी नींद। आज की तेज रफ्तार ज़िंदगी में लोगों को लगता है कि नींद कम लेना सफलता की निशानी है, जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है। अगर आप लगातार नींद से समझौता कर रहे हैं, तो यह धीरे-धीरे आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है।

हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के डॉ. रवि गुप्ता बताते हैं कि, “नींद शरीर की जैविक घड़ी को संतुलित रखती है। जब व्यक्ति पर्याप्त नींद नहीं लेता, तो शरीर में हार्मोनल असंतुलन, थकान और मानसिक अस्थिरता जैसी समस्याएं बढ़ने लगती हैं। स्वस्थ व्यक्ति को हर दिन कम से कम सात से आठ घंटे की नींद अवश्य लेनी चाहिए, ताकि शरीर की मरम्मत प्रक्रिया सही ढंग से चल सके।”

Source: https://indianpsychiatricsociety.org/wpcontent/uploads/2022/05/Gupta_2017_Clinical_Practice_Guidelines_for_Sleep.pdf


डॉ. गुप्ता के अनुसार हर आयु वर्ग के लोगों के लिए नींद की अवधि अलग होती है।

  • बच्चे (6 से 12 वर्ष) – 9 से 12 घंटे
  • किशोर (13 से 18 वर्ष) – 8 से 10 घंटे
  • बड़े (19 से 60 वर्ष) – 7 से 8 घंटे
  • वरिष्ठ नागरिक (60 वर्ष से अधिक) – 6 से 7 घंटे

नींद की अहमियत

नींद हमारे शरीर की सबसे आवश्यक प्रक्रिया है। जब हम सोते हैं, तो हमारा मस्तिष्क और शरीर दोनों ही विश्राम की स्थिति में आकर खुद को पुनः ऊर्जावान बनाते हैं। यह वह समय होता है जब मस्तिष्क दिनभर की सूचनाओं को व्यवस्थित करता है, हार्मोन का संतुलन बनता है। 

दिलचस्प बात यह है कि नींद के दौरान ही शरीर टॉक्सिन्स यानी हानिकारक तत्वों को बाहर निकालता है। अगर यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तो शरीर में थकान, चिड़चिड़ापन और मानसिक भ्रम जैसी स्थितियाँ पैदा हो सकती हैं।

कम नींद लेने के नुकसान

  • स्मरण शक्ति में कमी – नींद के दौरान मस्तिष्क दिनभर की जानकारी को व्यवस्थित करता है। नींद की कमी से याददाश्त कमजोर होती है।
  • मूड में अस्थिरता – नींद पूरी न होने से व्यक्ति में चिड़चिड़ापन, चिंता और अवसाद जैसी समस्याएँ बढ़ जाती हैं।
  • प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट – कम नींद लेने से शरीर संक्रमणों के प्रति कमजोर हो जाता है।
  • वजन बढ़ना – नींद की कमी से भूख बढ़ाने वाले हार्मोन ‘घ्रेलिन’ का स्तर बढ़ जाता है, जिससे बार-बार खाने की इच्छा होती है।
  • त्वचा पर असर – पर्याप्त नींद न लेने से चेहरे पर थकान, झुर्रियाँ और काले घेरे दिखाई देने लगते हैं।

नींद सुधारने के उपाय

  • नींद में सुधार के लिए दवाओं पर निर्भर होने से बेहतर है कि प्राकृतिक तरीकों को अपनाया जाए।
  • सोने से पहले गुनगुना दूध पीएं – इसमें ट्रिप्टोफैन नामक तत्व होता है, जो नींद लाने में मदद करता है।
  • सुगंधित तेलों का प्रयोग करें – लैवेंडर या चंदन के तेल से मालिश करने पर मन शांत होता है।
  • सोने से पहले मोबाइल और टीवी से दूरी रखें – नीली रोशनी मस्तिष्क को जाग्रत रखती है, जिससे नींद देर से आती है।
  • रोज एक ही समय पर सोएं और उठें – शरीर एक निश्चित लय में ढल जाता है, जिससे नींद की गुणवत्ता बढ़ती है।
  • दिन में थोड़ा व्यायाम करें – हल्का योग या टहलना नींद को गहरा बनाता है।

नींद और मानसिक स्वास्थ्य का संबंध

अच्छी नींद न केवल शरीर बल्कि मन को भी स्वस्थ रखती है। जो व्यक्ति पर्याप्त नींद लेते हैं, उनमें निर्णय लेने की क्षमता बेहतर होती है, वे अधिक सकारात्मक सोच रखते हैं और तनाव का प्रभाव उन पर कम पड़ता है। नींद की कमी से मन की स्थिरता टूट जाती है और चिंता या अवसाद के लक्षण उभरने लगते हैं।

नींद शरीर की बुनियादी जरूरत है। जैसे बिना भोजन या पानी के जीवन असंभव है, वैसे ही बिना नींद के शरीर और मन दोनों कमजोर पड़ जाते हैं। इसलिए अपने दिन का एक हिस्सा हमेशा नींद के लिए सुरक्षित रखें। रोजमर्रा की भागदौड़ में सबसे बड़ा निवेश वही है जो हम अपने शरीर को आराम देने में करते हैं। नींद सबसे सस्ता और सबसे असरदार उपचार है, जिसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

(Disclaimer): यह लेख केवल सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए प्रस्तुत किया गया है। यदि आपको नींद या स्वास्थ्य से संबंधित कोई समस्या है, तो कृपया योग्य चिकित्सक या विशेषज्ञ से सीधे संपर्क करें।

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