रोनित रॉय के पास रहने-खाने के नहीं थे पैसे: प्याज-रोटी खाकर गुजारे दिन; कैसे पहली ही फिल्म ने बदल दी किस्मत

अभिनेता रोनित रॉय अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए भवुक हो गए। उन्होंने बताया कि कैसे एक समय उन्होंने गरीबी झेली और सिर्फ एक वक्त के खाने से दिन गुजारे।

Updated On 2025-07-12 16:34:00 IST

रोनित रॉय अपने संघर्षभरे दिनों को याद करते हुए भावुक हो गए

Ronit Roy: मशहूर अभिनेता रोनित बोस रॉय इंडस्ट्री के जाने-माने सितारे हैं। फिल्मों से लेकर टेलीविजन सीरियल्स तक उन्होंने कई भूमिकाएं निभाईं और तारीफें बटोरीं। अब उन्होंने हाल ही में अपने संघर्षभरे दिनों को याद करते हुए एक भावुक किस्सा सुनाया। मुंबई में अपने शुरुआती दिनों के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि एक समय ऐसा भी था जब उनके पास खाने तक के पैसे नहीं होते थे और वो केवल एक वक्त का भोजन कर पाते थे।

एक इंटरव्यू में रोनित रॉय ने बताया, "बांद्रा (मुंबई) स्टेशन के बाहर एक मशहूर ढाबा है। मैं रोज़ वहीं जाकर खाना खाता था; दिन में केवल एक बार... क्योंकि उससे ज़्यादा अफॉर्ड नहीं कर सकता था। कभी काली दाल और रोटी मिलती थी, तो कभी पालक पनीर और रोटी। ये ही दो विकल्प थे, जो बारी-बारी से मिलते थे।"

उन्होंने एक खास वाकया याद करते हुए कहा, "एक दिन मेरे पास बिल्कुल भी पैसे नहीं थे। मैंने वहां काम करने वाले एक आदमी से सिर्फ दो रोटी और एक प्याज मांगी। लेकिन उसने मुझे दाल भी दी और कहा, ‘ये मेरी तरफ से।’ वो पल आज भी मेरे दिल में बसा है।"

पहली फिल्म के लिए मिले 50 हजार रुपए
रोनित ने यह भी बताया कि 1991 में अपनी पहली फिल्म के लिए जब उन्हें 50 हजार रुपए मिले, तो उन्हें लगा जैसे उनकी ज़िंदगी बदल गई हो। उन्होंने कहा, "उस जमाने में मैंने कभी पैसे देखे ही नहीं थे। जो भी फिल्में कीं, उनसे बस जैसे-तैसे गुज़ारा होता था।"

फिल्मों से लेकर टीवी तक छोड़ी छाप
1992 में फिल्म जान तेरे नाम से बॉलीवुड में कदम रखने वाले रोनित रॉय को उस फिल्म से अच्छी खासी पहचान मिली, लेकिन इसके बाद उनकी फिल्में ज़्यादा सफल नहीं हो पाईं। करियर में गिरावट के चलते उन्हें संघर्ष का सामना करना पड़ा। हालांकि, 2000 के दशक की शुरुआत में टेलीविज़न के ज़रिए उन्होंने जबरदस्त वापसी की और कसौटी ज़िंदगी की तथा क्योंकि सास भी कभी बहू थी जैसे धारावाहिकों से घर-घर में अपनी पहचान बनाई।

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