Dino Morea: रेड के बाद ED ने डीनो मोरिया को भेजा समन; ₹65 करोड़ के मीठी नदी घोटाले केस में होगी पूछताछ

एक्टर डीनो मोरिया मुश्किलों में फंस गए हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने बॉलीवुड अभिनेता को दोबारा तलब किया है। 65 करोड़ रुपए के मीठी नदी घोटाला मामले में एक्टर का नाम सामने आया है।

Updated On 2025-06-07 13:04:00 IST

डीनो मोरिया का नाम मीठी नदी घोटाले केस में सामने आया है

ED Summons Dino Morea: मिठी नदी की सफाई और सिल्ट हटाने के करोड़ों के घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बॉलीवुड अभिनेता डीनो मोरिया और उनके भाई सैंटिनो मोरिया को पूछताछ के लिए समन भेजा है। डिनो मोरिया को अगले हफ्ते ईडी कार्यालय में उपस्थित होकर अपना बयान दर्ज कराना होगा।

इस मामले में ईडी अधिकारियों ने 7 जून को डीनो मोरिया के बांद्रा स्थित घर पर लगभग 14 घंटे तक छापेमारी अभियान चलाया। यह छानबीन कथित वित्तीय लेन-देन और घोटाले से जुड़े लिंक के सिलसिले में की गई थी। डीनो के अलावा ईडी की टीम ने मुंबई और कोच्चि में कुल 14 अन्य स्थानों पर भी तलाशी अभियान चलाया था।

ईडी के दायरे में क्यों हैं डीनो मोरिया?
ईडी को मिले सुरागों के अनुसार, अभिनेता डीनो मोरिया और घोटाले में गिरफ्तार किए गए बिचौलियों के बीच वित्तीय संबंध पाए गए हैं। अधिकारियों ने डीनो के भाई की कंपनी UBO Ridez को मिले 18 लाख रुपए के संदिग्ध भुगतान की भी जांच शुरू कर दी है। यह रकम कथित रूप से घोटाले में शामिल आरोपियों द्वारा ट्रांसफर की गई थी।

इससे पहले आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने भी डिनो मोरिया और उनके भाई से दो बार पूछताछ की थी। जांच में यह सामने आया था कि डिनो, घोटाले के मुख्य आरोपी और बिचौलिए केतन कदम को बीते दो दशकों से जानते हैं। केतन कदम को घोटाले की योजना बनाने मास्टरमाइंड बताया जा रहा है।

क्या है मिठी नदी घोटाला?
मिठी नदी, जो लगभग 18.64 किलोमीटर लंबी है, मुंबई के घनी आबादी वाले और औद्योगिक इलाकों से होकर बहती है। यह शहर की प्रमुख स्टॉर्म वॉटर ड्रेन है जो मानसून के समय अतिरिक्त बारिश के पानी को बहाने में मदद करती है। लेकिन वर्षों से इसमें अनियंत्रित कचरा, सीवेज और इंडस्ट्रियल वेस्ट डाले जाने से नदी गंभीर रूप से प्रदूषित हो गई।

2005 में आई मुंबई बाढ़ के बाद मिठी नदी की बदहाली पर ध्यान दिया गया और इसके बाद सफाई और सिल्ट हटाने का प्रोजेक्ट शुरू किया गया। हालांकि, जल्द ही इस परियोजना में भ्रष्टाचार के आरोप सामने आने लगे। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की ऑडिट रिपोर्ट और भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो (ACB) की जांच में टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी, अनुबंधों में पक्षपात और बिलिंग में हेराफेरी जैसे गंभीर अनियमितताएं सामने आईं।

65 करोड़ रुपए का गबन
EOW की विशेष जांच टीम (SIT) ने पिछले महीने 13 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिसमें 5 निजी ठेकेदार, 3 बीएमसी अधिकारी, 3 बिचौलिए और 2 निजी कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हैं। इन पर ₹65.54 करोड़ की हानि पहुंचाने का आरोप है। करीब 1,100 करोड़ रुपए की सिल्ट हटाने की परियोजनाएं फिलहाल जांच के दायरे में हैं।

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